नाहन: महिला शक्ति को स्वरोजगार एवं आत्म निर्भर बनाने के उद्देश्य से सरकार अनेकों प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं आर्थिक मदद कर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास कर रही है. वहीं, दूसरी तरफ महिलाएं भी स्वयं सहायता समूह बनाकर खुद को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर हैं. ऐसा ही एक उदाहरण पेश किया है नाहन से 23 किलोमीटर दूर त्रिलोकपुर क्षेत्र की महिलाओं ने.
करीब 10 से 12 महिलाओं के इस समूह का नाम राधे-राधे स्वयं सहायता समूह है. यह महिलाएं (Radhe Radhe Self Help Group) अपने समूह में जहां आलू के चिप्स स्वयं तैयार कर रही है तो वहीं, चावल के पापड़, आचार व डोना पत्तल बनाने का भी कार्य कर रही है. दरअसल पिछले 2 सालों से वैश्विक महामारी कोरोना के चलते यह महिलाएं अपने कार्य को नहीं कर पा रही थी, लेकिन अब एक बार फिर महिलाओं ने अपने काम की शुरूआत की है. लिहाजा अब इन महिलाओं के हुनर को भी पहचान मिलने लगी है. ऐसे में पिछले 2 सालों से कोरोना की वजह से थमी इन महिलाओं की आर्थिक गाड़ी ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है.
इन दिनों त्रिलोकपुर में शुरू हुए चैत्र नवरात्र मेले को लेकर (Self help group in trilokpur) महिलाओं ने कई तरह के चिप्स व पापड़ तैयार किए हैं. अहम बात यह है कि इन महिलाओं को न केवल त्रिलोकपुर मेले में दुकानदारों से बल्कि हरियाणा के नारायणगढ़ सहित नाहन, कालाअंब सहित अनेक स्थानों से आर्डर मिल रहे हैं. ऐसे में समूह से जुड़ी महिलाएं काफी खुश हैं और आशा व्यक्त कर रही हैं कि कोरोना की वजह से हुए नुकसान की अब वह सारी भरपाई कर पाएंगी.
स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष सीमा शर्मा ने बताया कि कोरोना के चलते कार्य ठप होने की वजह से दिक्कतें आई थी, लेकिन अब फिर से उनका काम ठीक से चलने लगा है. नारायणगढ़ सहित कई जगहों से आर्डर मिल रहे हैं. इस समय वह लोग नवरात्रि मेले को लेकर खासतौर पर व्रत के उत्पाद तैयार कर रही हैं. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि अब समूह की महिलाओं की आर्थिकी मजबूत हो सकेगी.
वहीं, समूह की कोषाध्यक्ष रजनी नेगी ने बताया कि समूह की महिलाओं द्वारा इन दिनों घरेलू साम्रगी से आचार, पापड़, चिप्स आदि बनाए जा हैं, जिसके लिए वह सब परिश्रम करती हैं और यह उत्पाद लोकप्रिय भी होने लगे हैं. डोना पत्तल भी तैयार किए जाते हैं. दो सालों से कार्य ठप पड़ा था, मगर अब उम्मीद है कि जल्द ही आर्थिकी सुदृढ़ होगी. वहीं, समूह की सदस्य शीतल और पूनम ठाकुर ने बताया कि सभी महिलाएं एकत्रित होकर आलू के चिप्स, पापड़ आदि बनाती हैं, जोकि स्थानीय बाजार में भी बिक जाते हैं और बाहर से भी उन्हें आर्डर मिल रहे हैं. यह एक स्वरोजगार का बहुत अच्छा साधन साबित हो रहा है. इस कार्य से उन्हें घर बैठे रोजगार मिल रहा है और कार्य में आनंद भी आ रहा है, सरकार ने भी उनकी मदद की है.
प्रदेश में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को (self help group in himachal) आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास प्रदेश सरकार द्वारा भी किए जा रहे हैं. बजट सत्र में भी 25 हजार रुपए प्रति स्वयं सहायता समूहों को देने का भी ऐलान किया गया है. बात अगर नाहन विधानसभा क्षेत्र की ही करें तो यहां भी महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने व आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.
पिछले महीने 15 मार्च को भी नाहन में करीब 150 स्वयं सहायता समूहों को नाबार्ड की ओर से ऋण के रूप में स्वयं सहायता समूहों को जहां 1.37 करोड़ रपए के चैक दिए गए थे तो वहीं, इसी बीच विधायक डॉ. राजीव बिंदल की तरफ से भी महिला समूहों को 5-5 हजार रुपए बतौर आर्थिक सहयोग पत्र बांटे गए थे.
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