ETV Bharat / city

सरकारी व्यवस्था से उठा महिलाओं का भरोसा, प्रसव के लिए कर रहीं निजी अस्पताल का रुख - pregnant women in Paonta Sahib

कोरोना काल में सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी की वजह से लोगों के साथ गर्भवती महिलाएं भी परेशानी का सामना कर रही हैं. कोरोना का में पांवटा सिविल अस्पताल में प्रसव की बात की जाए तो अप्रैल से अगस्त तक करीब 980 महिलाओं का प्रसव कराया गया. वहीं, निजी अस्पतालों में मार्च से सितंबर तक सिर्फ 110 प्रसव हुए हैं. यही नहीं बेहतर सुविधाओं के लिए गर्भवती महिलाएं प्राइवेट पड़ोसी राज्य हरियाणा और उत्तराखंड का भी रुख कर रही हैं.

Pregnant women approach private hospitals amid Corona epidemic
ईटीवी भारत डिजाइन फोटो.
author img

By

Published : Oct 6, 2020, 9:45 PM IST

Updated : Oct 6, 2020, 10:59 PM IST

पांवटा साहिब: कोरोना वायरस के मामलों पर लगाम लगाने के लिए लगाए गये लॉकडाउन के दौरान लोगों को काफी परेशानियां उठानी पड़ी. कोरोना की वजह से सिरमौर के ज्यादातर सरकारी अस्पतालों को कोविड केयर सेंटर में तब्दील कर दिया गया है. ऐसे में गर्भवती महिलाएं प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों के बजाय निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है. लेकिन निजी अस्पतालों में बढ़ी फीस उनके लिए दुश्वारियां पैदा कर रही हैं.

कोरोना काल में सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी की वजह से लोगों के साथ गर्भवती महिलाएं भी परेशानी का सामना कर रही हैं. कोरोना का में पांवटा सिविल अस्पताल में प्रसव की बात की जाए तो अप्रैल से अगस्त तक करीब 980 महिलाओं का प्रसव कराया गया.

वहीं, निजी अस्पतालों में मार्च से सितंबर तक सिर्फ 110 प्रसव हुए हैं. यही नहीं बेहतर सुविधाओं और कम खर्च के लिए गर्भवती महिलाएं पड़ोसी राज्य हरियाणा और उत्तराखंड के निजी अस्पतालों का रुख कर रही हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

निजी अस्पताल में प्रसव का खर्च ज्यादा

शहर के लोगों का कहना है कि कोरोना काल में पहले से ही काम ठप पड़े हैं. रोजगार पटरी पर नहीं आ रहा था. इलाज के लिए सरकारी अस्पताल ही लोगों का सहारा था लेकिन कोरोना काल में सारे अस्पतालों को कोविड सेंटर में बदल दिया है. कोरोना काल से पहले निजी अस्पतालों में प्रसव फीस पांच हजार के करीब लग रही थीं, लेकिन कोरोना काल में फीस दोगुनी हो गई है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं के परिजनों को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है.

आशा वर्कर्स गर्भवती महिलाओं को कर रहीं जागरूक

आशा वर्कर्स पूनम बताती है कि कोरोना काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को समय-समय पर जागरुक करने के साथ-साथ जरूरी इंजेक्शन भी लगाए जा रहे थे. कोरोना के डर और सरकारी अस्पताल में अच्छी सुविधाएं नहीं होने की वजह से गर्भवती महिलाएं निजी अस्पताल का रुख कर रही हैं.

सरकारी अस्पतालों में सुविधा ना के बराबर

पांवटा साहिब के कांग्रेस के पूर्व विधायक किरनेश जंग का कहना है कि जिले सभी सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं ना के बराबर हैं. असुविधा के कारण गरीब परिवारों की गर्भवती महिलाओं निजी अस्पतालों के चक्कर काटने पर मजबूर हैं. ज्यादा खर्च के साथ-साथ तमाम तरह की दुश्वारियां उठानी पड़ रही हैं.

निजी अस्पतालों में बेहतर सुविधाएं

कोरोना काल में निजी अस्पतालों में महिलाएं प्रसव के लिए पहुंच रही हैं. सरकारी की अपेक्षा निजी अस्पतालों का लोग रुख कर रहे हैं. निजी अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है कि यहां पहुंचने वाले मरीजों को बेहतर सुविधाएं दी जा रही हैं. सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ही यहां पर डिलीवरी करवाई जा रही है.

सिविल अस्पताल में तैनात वरिष्ठ डॉक्टर संजय सहगल का कहना है कि कोरोना काल में यहां पर पहले की अपेक्षा कम प्रसव हुए हैं. कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं को तमाम सुविधाएं दी जा रही है.

पांवटा साहिब: कोरोना वायरस के मामलों पर लगाम लगाने के लिए लगाए गये लॉकडाउन के दौरान लोगों को काफी परेशानियां उठानी पड़ी. कोरोना की वजह से सिरमौर के ज्यादातर सरकारी अस्पतालों को कोविड केयर सेंटर में तब्दील कर दिया गया है. ऐसे में गर्भवती महिलाएं प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों के बजाय निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है. लेकिन निजी अस्पतालों में बढ़ी फीस उनके लिए दुश्वारियां पैदा कर रही हैं.

कोरोना काल में सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी की वजह से लोगों के साथ गर्भवती महिलाएं भी परेशानी का सामना कर रही हैं. कोरोना का में पांवटा सिविल अस्पताल में प्रसव की बात की जाए तो अप्रैल से अगस्त तक करीब 980 महिलाओं का प्रसव कराया गया.

वहीं, निजी अस्पतालों में मार्च से सितंबर तक सिर्फ 110 प्रसव हुए हैं. यही नहीं बेहतर सुविधाओं और कम खर्च के लिए गर्भवती महिलाएं पड़ोसी राज्य हरियाणा और उत्तराखंड के निजी अस्पतालों का रुख कर रही हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

निजी अस्पताल में प्रसव का खर्च ज्यादा

शहर के लोगों का कहना है कि कोरोना काल में पहले से ही काम ठप पड़े हैं. रोजगार पटरी पर नहीं आ रहा था. इलाज के लिए सरकारी अस्पताल ही लोगों का सहारा था लेकिन कोरोना काल में सारे अस्पतालों को कोविड सेंटर में बदल दिया है. कोरोना काल से पहले निजी अस्पतालों में प्रसव फीस पांच हजार के करीब लग रही थीं, लेकिन कोरोना काल में फीस दोगुनी हो गई है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं के परिजनों को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है.

आशा वर्कर्स गर्भवती महिलाओं को कर रहीं जागरूक

आशा वर्कर्स पूनम बताती है कि कोरोना काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को समय-समय पर जागरुक करने के साथ-साथ जरूरी इंजेक्शन भी लगाए जा रहे थे. कोरोना के डर और सरकारी अस्पताल में अच्छी सुविधाएं नहीं होने की वजह से गर्भवती महिलाएं निजी अस्पताल का रुख कर रही हैं.

सरकारी अस्पतालों में सुविधा ना के बराबर

पांवटा साहिब के कांग्रेस के पूर्व विधायक किरनेश जंग का कहना है कि जिले सभी सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं ना के बराबर हैं. असुविधा के कारण गरीब परिवारों की गर्भवती महिलाओं निजी अस्पतालों के चक्कर काटने पर मजबूर हैं. ज्यादा खर्च के साथ-साथ तमाम तरह की दुश्वारियां उठानी पड़ रही हैं.

निजी अस्पतालों में बेहतर सुविधाएं

कोरोना काल में निजी अस्पतालों में महिलाएं प्रसव के लिए पहुंच रही हैं. सरकारी की अपेक्षा निजी अस्पतालों का लोग रुख कर रहे हैं. निजी अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है कि यहां पहुंचने वाले मरीजों को बेहतर सुविधाएं दी जा रही हैं. सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ही यहां पर डिलीवरी करवाई जा रही है.

सिविल अस्पताल में तैनात वरिष्ठ डॉक्टर संजय सहगल का कहना है कि कोरोना काल में यहां पर पहले की अपेक्षा कम प्रसव हुए हैं. कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं को तमाम सुविधाएं दी जा रही है.

Last Updated : Oct 6, 2020, 10:59 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.