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प्यासे ग्रामीणों की 'वोट पर चोट', गांव में पानी लाओ वोट पाओ

गांव में पुरानी लाइन ध्वस्त हो चुकी है. लिहाजा 4 महीनों से ग्रामीण पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं. नई लाइनें गांव तक पहुंची नहीं है. ऐसे में ग्रामीण महीनों से स्थानीय खड्ड से अपनी प्यास बुझा रहे हैं.

नाहन के खनोटी गांव में पानी की समस्या.
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Published : Apr 24, 2019, 9:58 AM IST

नाहन: दुर्गम क्षेत्र शिलाई के तहत टटियाना पंचायत के खनोटी गांव के दर्जनों परिवारों ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ये ऐलान किया है कि जो उनके गांव में पानी लाएगा, उसे ही वोट मिलेगा. अन्यथा वह चुनाव में वोट नहीं डालेंगे, क्योंकि कोई भी उनकी परेशानी नहीं सुन रहा है.

नाहन के खनोटी गांव में पानी की समस्या.

दरअसल अब खनोटी गांव के ग्रामीण क्षेत्र के नेताओं से पानी की समस्या को लेकर दो-दो हाथ करने को तैयार बैठे हैं. गांव में पुरानी लाइन ध्वस्त हो चुकी है. लिहाजा 4 महीनों से ग्रामीण पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं. नई लाइनें गांव तक पहुंची नहीं है. ऐसे में ग्रामीण महीनों से स्थानीय खड्ड से अपनी प्यास बुझा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: करोड़पति हैं कांग्रेस नेता धनीराम शांडिल, दो साल में इतने करोड़ बढ़ी संपत्ति

महिलाओं का कहना है कि चार किलोमीटर दूर स्थानीय खड्ड से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है. अब गर्मी के मौसम में वहां भी पानी उपलब्ध नहीं है. शौच तक जाने के लिए पानी उपलब्ध नहीं होता. पानी के कारण समय पर बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाते हैं.

ये भी पढ़ें: आनंद शर्मा ने की PM मोदी की नॉर्थ कोरिया के किम जोंग से तुलना, न्यूक्लियर पावर के बयान को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

उधर ग्रामीणों का आरोप है कि नेता चुनाव के समय में वोट मांगने आ जाते हैं, लेकिन उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं करता. विभाग से भी कई बार शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. गांव के लोगों को बरसात के पानी का इस्तेमाल भी करना पड़ता है. लिहाजा इस बार वह चुनाव के बहिष्कार का मन बना रहे हैं.

पानी की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों ने नेताओं को एक स्वर में जवाब देने की कोशिश की है. ग्रामीणों का कहना है कि अब झूठ की राजनीति नहीं चलेगी. जो भी समस्या का समाधान करेगा उसे ही वोट मिलेगा.

नाहन: दुर्गम क्षेत्र शिलाई के तहत टटियाना पंचायत के खनोटी गांव के दर्जनों परिवारों ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ये ऐलान किया है कि जो उनके गांव में पानी लाएगा, उसे ही वोट मिलेगा. अन्यथा वह चुनाव में वोट नहीं डालेंगे, क्योंकि कोई भी उनकी परेशानी नहीं सुन रहा है.

नाहन के खनोटी गांव में पानी की समस्या.

दरअसल अब खनोटी गांव के ग्रामीण क्षेत्र के नेताओं से पानी की समस्या को लेकर दो-दो हाथ करने को तैयार बैठे हैं. गांव में पुरानी लाइन ध्वस्त हो चुकी है. लिहाजा 4 महीनों से ग्रामीण पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं. नई लाइनें गांव तक पहुंची नहीं है. ऐसे में ग्रामीण महीनों से स्थानीय खड्ड से अपनी प्यास बुझा रहे हैं.

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महिलाओं का कहना है कि चार किलोमीटर दूर स्थानीय खड्ड से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है. अब गर्मी के मौसम में वहां भी पानी उपलब्ध नहीं है. शौच तक जाने के लिए पानी उपलब्ध नहीं होता. पानी के कारण समय पर बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाते हैं.

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उधर ग्रामीणों का आरोप है कि नेता चुनाव के समय में वोट मांगने आ जाते हैं, लेकिन उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं करता. विभाग से भी कई बार शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. गांव के लोगों को बरसात के पानी का इस्तेमाल भी करना पड़ता है. लिहाजा इस बार वह चुनाव के बहिष्कार का मन बना रहे हैं.

पानी की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों ने नेताओं को एक स्वर में जवाब देने की कोशिश की है. ग्रामीणों का कहना है कि अब झूठ की राजनीति नहीं चलेगी. जो भी समस्या का समाधान करेगा उसे ही वोट मिलेगा.

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ग्रामीणों की नेताओं को दोटूक, जो लाएगा पानी, वो ही पाएगा वोट, वरना बहिष्कार
-वोट मांगने आ जाते हैं नेता, पर नहीं सुनता कोई समस्या 
-4 किलोमीटर दूर से ढोते हैं पानी, वो भी स्वच्छ नहीं
-बरसाती पानी तक का इस्तेमाल कर निपटाते हैं कामकाज 
-गर्मी में बढ़ गई है दिक्कत, 4 महीनों से बूंद-बूंद को तरसे ग्रामीण
-खुद के लिए पानी नहीं, फिर कहां से पशुओं की बुझाए प्यास
-अब नेताओं से दो-दो हाथ करने को ग्रामीण तैयार 
नाहन। दुर्गम क्षेत्र शिलाई के तहत टटियाना पंचायत के खनोटी गांव के दर्जनों परिवारों ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर नेताओं को दोटुक शब्दों में ऐलान किया है कि जो उनके गांव में पानी लाएगा, वो ही वोट पाएगा। अन्यथा वह चुनाव में वोट नहीं डालेंगे, क्योंकि उनकी किसी भी स्तर पर सुनवाई नहीं हो रही है। 
दरअसल अब खनोटी गांव के ग्रामीण नेताओं से पानी की समस्या को लेकर दो-दो हाथ करने को तैयार बैठे हैं। बता दें कि पुरानी लाइनों ध्वस्त हो चुकी है। लिहाजा 4 महीनों से ग्रामीण पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं। नई लाइनें गांव तक पहुंची नहीं है। ऐसे में ग्रामीण महीनों से स्थानीय खड्ड से अपनी प्यास बुझा रहे हैं। 
ग्रामीणों महिलाओं का आरोप है कि 4 किलोमीटर दूर स्थानीय खड्ड से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है। अब गर्मी के मौसम में वहां भी पानी उपलब्ध नहीं है। शौच तक जाने के लिए पानी उपलब्ध नहीं होता। पानी के कारण समय पर बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाते हैं। महिलाओं ने दो टुक शब्दों में कहा कि जो नेता पानी की समस्या का हल करेगा, वो ही वोट पाएगा, अन्यथा वह वोट नहीं करेंगी। 
बाइट: स्थानीय महिला
उधर ग्रामीणों का आरोप है कि नेता चुनाव के समय में वोट मांगने आ जाते हैं, लेकिन उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं करता। विभाग से भी कई मर्तबा शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन कुछ नहीं बनता। बरसात के पानी का इस्तेमाल भी करना पड़ता है। लिहाजा इस बार वह चुनाव के बहिष्कार का मन बना रहे हैं। 
बाइट: स्थानीय ग्रामीण-1 व 4
उधर गांव की महिलाओं का कहना है कि पानी की समस्या से दोचार होना पड़ रहा हैै। खुद ही प्यास बुझाना तो दूर पशुओं तक को पानी नहीं मिल रहा है। पानी के लिए 4 किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है। 3-4 महीनों से गांव में पानी तक बूंद तक नहीं टपकी है।
बाइट: स्थानीय ग्रामीण-2 व 3
वहीं स्थानीय बच्चों का भी कहना है कि स्कूल जाते वक्त मुंह धोने तक पानी नहीं मिलता। पानी के लिए दूर खड्ड में जाना पड़ता है। ऐसे में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 
बाइट: स्थानीय बच्चे 
कुल मिलाकर अब पानी की समस्या के लिए ग्रामीणों ने नेताओं को एक स्वर में यह जवाब देने की कोशिश की है कि अब झूठ की राजनीति नहीं चलेगी। जो समस्या का समाधान करेगा वो ही वोट पाएगा। अब देखना यह होगा कि कब तक ग्रामीणों को पानी उपलब्ध हो पाएगा। 
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