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बिंदल ने कृषि कानून वापस लेने के फैसले का किया स्वागत, विपक्ष को घेरा - फैसले का किया स्वागत

शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के फैसले का पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं नाहन के विधायक डॉ. राजीव बिंदल ने भी स्वागत किया हैं.उन्होंने कहा की तीन कृषि कानूनों (three agricultural laws) को वापिस लिए जाने के फैसले की घोषणा करना सारी दुनिया के लिए एक नया संदेश लेकर आया है.

डा. बिंदल
Dr. Bindal
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Published : Nov 20, 2021, 12:51 PM IST

नाहन: बीते दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा तीन कृषि कानूनों (three agricultural laws) को वापस लिए जाने के फैसले की घोषणा करना सारी दुनिया के लिए एक नया संदेश लेकर आया है. भारत का लोकतंत्र (India's democracy) विश्व का सबसे शानदार लोकतंत्र बन कर उभरा है. नरेन्द्र मोदी देश के सबसे बड़े स्टेटसमैन बनकर उभरे हैं. यह बात पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं नाहन के विधायक डॉ. राजीव बिंदल ( bjp mla dr. rajiv bindal) ने कही.

डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि केंद्र सरकार ने केवल इसलिए 3 कृषि कानूनों को वापिस ले लिया, क्योंकि वे इससे होने वाले लाभ किसानों को नहीं समझा पाए (Couldn't convince farmers) या फिर हमारे किसान भाई समझ नहीं पाए. बिंदल ने कहा कि इंडिया ने 'भारत माता' का विभाजन देखा है. करोड़ों भारतीयों को अपना घर-बार, माता-पिता, बच्चों से बिछुड़ते देखा है. विभाजन की आग में लाखों के कत्लेआम का साक्षी बना है भारत. भारत ने मजहबी, उन्माद की आंधी देखी है. परन्तु उस समय के सत्तासीन नेताओं ने देशवासियों से क्षमा याचना करना तो दूर भारत माता के अंग-भंग होने पर खेद तक जताना उचित नहीं समझा.

बीजेपी विधायक ने कहा कि मेरे देश ने सत्ता की लोलुपता में आपातकाल की आंधी देखी है. इमरजेंसी (emergency) के नाम पर लोकतंत्र की हत्या, मीडिया की तबाही, तानाशाही की इंतहा देखी है, परन्तु उस समय के सत्तासीन नेताओं ने इस अत्याचार को सदा ही सही ठहराने का प्रयास किया. बिंदल ने कहा कि देश में विगत 70 सालों में सैंकड़ों किसान, मजदूर आंदोलन (farmers and labor movement) हुए, जिन्हें लाठी-गोली के दम पर कुचल डाला गया. किसी नेता ने इसकी जिम्मेवारी नहीं ली.

यह पहला अवसर है कि देश के विकास के लिए, किसान की आमदनी को दोगुना करने के लिए कृषि कानून लाए गए. उन कानूनों का लाभ किसानों को मिलेगा, यह बात किसान को हम समझा नहीं पाए. विपक्ष (counterparty) कभी किसान का भला नहीं चाहता था, जिसने किसान को यह विषय समझने नहीं दिए. 'देश का हित मेरे लिए सर्वोपरि है, देश हित में सदैव कार्य करता रहूंगा', यह कहते हुए क्षमा याचना के साथ कृषि कानूनों की वापसी (withdrawal of agricultural laws) की घोषणा पीएम नरेन्द्र मोदी ने कर डाली और वे दुनिया के सबसे बड़े स्टेटसमैन बन गए. आज का दिन इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया है.

ये भी पढ़ें- आइस स्केटर्स का इंतजार जल्द होगा खत्म, आइस स्केटिंग रिंक तैयार करने में जुटा क्लब

नाहन: बीते दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा तीन कृषि कानूनों (three agricultural laws) को वापस लिए जाने के फैसले की घोषणा करना सारी दुनिया के लिए एक नया संदेश लेकर आया है. भारत का लोकतंत्र (India's democracy) विश्व का सबसे शानदार लोकतंत्र बन कर उभरा है. नरेन्द्र मोदी देश के सबसे बड़े स्टेटसमैन बनकर उभरे हैं. यह बात पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं नाहन के विधायक डॉ. राजीव बिंदल ( bjp mla dr. rajiv bindal) ने कही.

डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि केंद्र सरकार ने केवल इसलिए 3 कृषि कानूनों को वापिस ले लिया, क्योंकि वे इससे होने वाले लाभ किसानों को नहीं समझा पाए (Couldn't convince farmers) या फिर हमारे किसान भाई समझ नहीं पाए. बिंदल ने कहा कि इंडिया ने 'भारत माता' का विभाजन देखा है. करोड़ों भारतीयों को अपना घर-बार, माता-पिता, बच्चों से बिछुड़ते देखा है. विभाजन की आग में लाखों के कत्लेआम का साक्षी बना है भारत. भारत ने मजहबी, उन्माद की आंधी देखी है. परन्तु उस समय के सत्तासीन नेताओं ने देशवासियों से क्षमा याचना करना तो दूर भारत माता के अंग-भंग होने पर खेद तक जताना उचित नहीं समझा.

बीजेपी विधायक ने कहा कि मेरे देश ने सत्ता की लोलुपता में आपातकाल की आंधी देखी है. इमरजेंसी (emergency) के नाम पर लोकतंत्र की हत्या, मीडिया की तबाही, तानाशाही की इंतहा देखी है, परन्तु उस समय के सत्तासीन नेताओं ने इस अत्याचार को सदा ही सही ठहराने का प्रयास किया. बिंदल ने कहा कि देश में विगत 70 सालों में सैंकड़ों किसान, मजदूर आंदोलन (farmers and labor movement) हुए, जिन्हें लाठी-गोली के दम पर कुचल डाला गया. किसी नेता ने इसकी जिम्मेवारी नहीं ली.

यह पहला अवसर है कि देश के विकास के लिए, किसान की आमदनी को दोगुना करने के लिए कृषि कानून लाए गए. उन कानूनों का लाभ किसानों को मिलेगा, यह बात किसान को हम समझा नहीं पाए. विपक्ष (counterparty) कभी किसान का भला नहीं चाहता था, जिसने किसान को यह विषय समझने नहीं दिए. 'देश का हित मेरे लिए सर्वोपरि है, देश हित में सदैव कार्य करता रहूंगा', यह कहते हुए क्षमा याचना के साथ कृषि कानूनों की वापसी (withdrawal of agricultural laws) की घोषणा पीएम नरेन्द्र मोदी ने कर डाली और वे दुनिया के सबसे बड़े स्टेटसमैन बन गए. आज का दिन इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया है.

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