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ये राहें नहीं आसान, यहां कदम-कदम पर मौत कर रही इंतजार, जोखिम में जान - nahan

सिरमौर जिला के संगड़ाह उपमंडल के तहत ग्राम पंचायत भराड़ी के चाडग गांव में स्थानीय खड्ड के ऊपर बना झूला पुल लोगों के लिए मौत का कारण बन सकता है. यहां बरसात के मौसम में लोगों को खड्ड को आर-पार करना पड़ता है.

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Published : Aug 4, 2019, 12:29 PM IST

नाहन: जिला सिरमौर के संगड़ाह उपमंडल के तहत ग्राम पंचायत भराड़ी के चाडग गांव में स्थानीय खड्ड के ऊपर बना झूला पुल लोगों के लिए मौत का कारण बन सकता है. हालात ये हैं कि ग्रामीणों व स्कूली बच्चों को बरसात के मौसम में उफनते खड्ड को ही आर-पार करना पड़ता है.

झूला पुल की खस्ताहाल हालत होने से स्थानीय लोगों को बहुत परेशानी हो रही है. बता दें कि ग्रामिणों के लिए आने-जाने के लिए यही एक मात्र रास्ता है. हालांकि इसकी हालत बेहद खराब और क्षतिग्रस्त हो चुकी है पर कोई इसकी सुध नहीं ले रहा है.

वीडियो.

स्कूली बच्चों का कहना है कि झूला पुल की हालत बेहद खस्ताहाल होने के कारण उन्हें खड्ड को पार करने के लिए अपने घर वालों को साथ ले जाना पड़ता है. बरसात के दिनों के दौरान खड्ड को पार करना नामुमकिन है.

स्थानीय लोगों ने कहा कि कि जब से यह पुल तहस-नहस हुआ है, तब से किसी ने इसकी तरफ ध्यान तक नहीं दिया. लोगों ने सरकार से गुहार लगाई है कि उनकी समस्या का जल्द ही समाधान किया जाए.

नाहन: जिला सिरमौर के संगड़ाह उपमंडल के तहत ग्राम पंचायत भराड़ी के चाडग गांव में स्थानीय खड्ड के ऊपर बना झूला पुल लोगों के लिए मौत का कारण बन सकता है. हालात ये हैं कि ग्रामीणों व स्कूली बच्चों को बरसात के मौसम में उफनते खड्ड को ही आर-पार करना पड़ता है.

झूला पुल की खस्ताहाल हालत होने से स्थानीय लोगों को बहुत परेशानी हो रही है. बता दें कि ग्रामिणों के लिए आने-जाने के लिए यही एक मात्र रास्ता है. हालांकि इसकी हालत बेहद खराब और क्षतिग्रस्त हो चुकी है पर कोई इसकी सुध नहीं ले रहा है.

वीडियो.

स्कूली बच्चों का कहना है कि झूला पुल की हालत बेहद खस्ताहाल होने के कारण उन्हें खड्ड को पार करने के लिए अपने घर वालों को साथ ले जाना पड़ता है. बरसात के दिनों के दौरान खड्ड को पार करना नामुमकिन है.

स्थानीय लोगों ने कहा कि कि जब से यह पुल तहस-नहस हुआ है, तब से किसी ने इसकी तरफ ध्यान तक नहीं दिया. लोगों ने सरकार से गुहार लगाई है कि उनकी समस्या का जल्द ही समाधान किया जाए.

Intro:-जान हथेली पर रख स्कूली बच्चे व ग्रामीण कर रहे उफनते खड्ड को पार
-झूला पुल की हालत खस्ताहाल होने से हालात बेहद खराब
-खड्ड क्रास करने के बाद शिक्षा के लिए फिर 7 किलोमीटर का पैदल सफर
नाहन। ये राहें आसान नहीं हैं। नीचे मौत के मुंह में भेजने वाला उफनता खड्ड, तो उपर मौत का झूला पुल। उफनते खड्ड से गुजरे तो हर पल जोखिम में जान और यदि खस्ताहाल झुला पुल से जाएं तो सीधे मौत के मुंह में जाने जैसे हालात। ऐसे में करें भी तो क्या करें।

Body:जी हां ये हालात सिरमौर जिला के संगड़ाह उपमंडल के तहत ग्राम पंचायत भराड़ी के चाडग गांव के है। यहां स्थानीय खड्ड के उपर बना झूला पुल लोगों के लिए मौत का कारण बन सकता है, क्योंकि इसकी हालत बेहद खराब है और क्षतिग्रस्त हो चुका है, जिसकी कोई सुध नहीं ले रहा है। ऐसे में ग्रामीणों व स्कूली बच्चों को बरसात के मौसम में उफनते खड्ड को ही आर-पार करना पड़ता है। हैरानी इस बात की है कि स्कूली बच्चों सहित ग्रामीणों के लिए आने-जाने के लिए एक मात्र यही रास्ता है। यहां के बच्चे स्कूल जाकर पढ़ना तो चाहते हैं, लेकिन खड्ड, उस पर खस्ताहाल पुल और सरकार की लापरवाही इनके मनसूबों पर पानी फेर देती हैं। कल का भविष्य संवारने वाले मासूम इसी खड्ड से होकर रोजाना गुजरते हैं, लेकिन हर वक्त जोखिम में जान रहती है।
उधर स्कूली बच्चों का कहना है कि झूला पुल की हालत बेहद खस्ताहाल होने के कारण उन्हें खड्ड को पार करने के लिए कभी दादा, कभी पिता या फिर किसी अन्य का सहारा लेना पड़ता है। बरसात के दिनों में तो स्कूल जाना ही मुश्किल हो जाता है, क्योंकि उस दौरान खड्ड को पार करना नामुमकिन है। साथ ही इस खड्ड को पार करने के बाद उन्हें 7 किलोमीटर का पैदल ही सफर करना पड़ता है।
बाइट 1: स्कूली छात्रा, स्थानीय निवासी
वहीं ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के इन दिनों में 2-3 महीने का राशन एडवांस में लाना पड़ता है। बताया गया कि जब ये पुल तहस-नहस हुआ है, तब से किसी ने इसकी तरफ ध्यान तक नहीं दिया। लोगों ने सरकार से गुहार लगाई है कि इस समस्या का जल्द से जल्द निपटारा किया जाए।
बाइट 2: स्थानीय ग्रामीणConclusion:कुल मिलाकर हिम्मत वाले हैं ये लोग, जो जानते हैं कि सरकार कुछ नहीं कर रही है, क्योंकि अपना हक पाने के लिए ये जितना दम लगा सकते थे, वो पहले ही लगा चुके हैं। वहीं एक तरफ बच्चे स्कूल के लिए निकलते हैं, तो परिवार को चिंता सताने लगती है। लिहाजा ग्रामीणों ने एक बार फिर सरकार से उनकी समस्या के समाधान की मांग की है।
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