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इस परियोजना से संवर रहे पुराने जलस्त्रोत, लोगों की आर्थिक स्थिति को सुधारने की भी हो रही कोशिश

आम्बवाला-सैनवाला पंचायत के प्रधान संदीपक तोमर ने कहा कि संबंधित परियोजना के तहत क्षेत्र में 10 हेक्टेयर भूमि में औषधीय पौधों के साथ-साथ घास-पत्ती के लिए पौधारोपण किया जा रहा है. वहीं, इस परियोजना का जो सबसे मुख्य उद्देश्य है, वह विलुप्त हो रहे प्राकृतिक जल स्त्रोतों का संरक्षण है.

Integrated Development Project Ambwala-Sanwal Panchayat selected
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Published : Aug 31, 2020, 11:00 AM IST

नाहन: विकास खंड नाहन के तहत आने वाली ग्राम पंचायत आम्बवाला-सैनवाला में जलधारा से जलागम क्षेत्र में विकास हो रहा है, जिसके तहत यहां जल संरक्षण के साथ-साथ अन्य कई तरह के काम किए जा रहे हैं.

दरअसल विश्व बैंक की मदद से एकीकृत विकास परियोजना चलाई जा रही है, जिसमें ऐसी पंचायतों का चयन किया जा रहा है, जहां पर प्राचीन जल स्रोत के साथ-साथ जंगल मौजूद है. यह परियोजना प्रदेश के 10 जिलों की 426 पंचायतों में चल रही है.

वीडियो रिपोर्ट

इसी परियोजना के तहत नाहन की आम्बवाला-सैनवाला पंचायत को भी चयनित किया गया है. इस परियोजना के तहत पंचायत के गलवा गांव में जहां प्राचीन जल स्रोतों को सुधारा जा रहा है. वहीं, औषधीय पौधों के साथ-साथ घास पत्ती वाले पौधों का भी रोपण किया जा रहा है.

वन विभाग इस परियोजना से सभी खेत को सिंचाई से जोड़ना चाहता है. साथ ही औषधीय पौधों के माध्यम से ग्रामीणों की आर्थिकी भी सुधारने के लिए प्रयासरत है. नाहन यूनिट के सहायक परियोजना अधिकारी काकूराम चौहान ने बताया कि विश्व बैंक की सहायता से एकीकृत विकास परियोजना में आम्बवाला-सैनवाला पंचायत का चयन किया गया है.

इसके तहत पंचायत के गांव गलवा में पानी के सोर्स को बढ़ाना मुख्य मकसद है. गांव के पास स्थित जल स्रोत के संरक्षण के लिए संबंधित क्षेत्र का चयन किया गया है, जिसके तहत 10 हैक्टेयर में पौधारोपण किया जा रहा है.

इसी पानी का इस्तेमाल पौधों की सिंचाई के लिए होगा. वहीं, प्राचीन जल स्रोतके पानी को किसानों के खेतों तक भी पहुंचाया जाएगा, ताकि लोगों की आजीविका बढ़ सके.

इसके साथ-साथ यहां एक पानी के तालाब का निर्माण भी किया जाएगा. साथ ही जो पौधे लगाए जा रहे हैं, उससे स्थानीय लोगों को घास-पत्ती भी उपलब्ध होगी, ताकि लोगों को दूरदराज के जंगल में जाने से निजात मिल सकेगी.

आम्बवाला-सैनवाला पंचायत के प्रधान संदीपक तोमर ने कहा कि संबंधित परियोजना के तहत क्षेत्र में 10 हैक्टेयर भूमि में औषधीय पौधों के साथ-साथ घास-पत्ती के लिए पौधारोपण किया जा रहा है. वहीं, इस परियोजना का जो सबसे मुख्य उद्देश्य है, वह विलुप्त हो रहे प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण है.

साथ ही किसानों के खेतों तक पानी स्त्रोतों के माध्यम से पानी उपलब्ध करवाना भी बेहतर प्रयास है. इस परियोजना से उनकी लगभग सारी पंचायत को काफी फायदा मिल सकेगा.

कुल मिलाकर इन दिनों आम्बवाला-सैनवाला पंचायत में संबंधित परियोजना के तहत जलधारा से जलागम के क्षेत्र में विकास हो रहा है. अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में यह प्रयास कितने कारगर साबित होते हैं.

नाहन: विकास खंड नाहन के तहत आने वाली ग्राम पंचायत आम्बवाला-सैनवाला में जलधारा से जलागम क्षेत्र में विकास हो रहा है, जिसके तहत यहां जल संरक्षण के साथ-साथ अन्य कई तरह के काम किए जा रहे हैं.

दरअसल विश्व बैंक की मदद से एकीकृत विकास परियोजना चलाई जा रही है, जिसमें ऐसी पंचायतों का चयन किया जा रहा है, जहां पर प्राचीन जल स्रोत के साथ-साथ जंगल मौजूद है. यह परियोजना प्रदेश के 10 जिलों की 426 पंचायतों में चल रही है.

वीडियो रिपोर्ट

इसी परियोजना के तहत नाहन की आम्बवाला-सैनवाला पंचायत को भी चयनित किया गया है. इस परियोजना के तहत पंचायत के गलवा गांव में जहां प्राचीन जल स्रोतों को सुधारा जा रहा है. वहीं, औषधीय पौधों के साथ-साथ घास पत्ती वाले पौधों का भी रोपण किया जा रहा है.

वन विभाग इस परियोजना से सभी खेत को सिंचाई से जोड़ना चाहता है. साथ ही औषधीय पौधों के माध्यम से ग्रामीणों की आर्थिकी भी सुधारने के लिए प्रयासरत है. नाहन यूनिट के सहायक परियोजना अधिकारी काकूराम चौहान ने बताया कि विश्व बैंक की सहायता से एकीकृत विकास परियोजना में आम्बवाला-सैनवाला पंचायत का चयन किया गया है.

इसके तहत पंचायत के गांव गलवा में पानी के सोर्स को बढ़ाना मुख्य मकसद है. गांव के पास स्थित जल स्रोत के संरक्षण के लिए संबंधित क्षेत्र का चयन किया गया है, जिसके तहत 10 हैक्टेयर में पौधारोपण किया जा रहा है.

इसी पानी का इस्तेमाल पौधों की सिंचाई के लिए होगा. वहीं, प्राचीन जल स्रोतके पानी को किसानों के खेतों तक भी पहुंचाया जाएगा, ताकि लोगों की आजीविका बढ़ सके.

इसके साथ-साथ यहां एक पानी के तालाब का निर्माण भी किया जाएगा. साथ ही जो पौधे लगाए जा रहे हैं, उससे स्थानीय लोगों को घास-पत्ती भी उपलब्ध होगी, ताकि लोगों को दूरदराज के जंगल में जाने से निजात मिल सकेगी.

आम्बवाला-सैनवाला पंचायत के प्रधान संदीपक तोमर ने कहा कि संबंधित परियोजना के तहत क्षेत्र में 10 हैक्टेयर भूमि में औषधीय पौधों के साथ-साथ घास-पत्ती के लिए पौधारोपण किया जा रहा है. वहीं, इस परियोजना का जो सबसे मुख्य उद्देश्य है, वह विलुप्त हो रहे प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण है.

साथ ही किसानों के खेतों तक पानी स्त्रोतों के माध्यम से पानी उपलब्ध करवाना भी बेहतर प्रयास है. इस परियोजना से उनकी लगभग सारी पंचायत को काफी फायदा मिल सकेगा.

कुल मिलाकर इन दिनों आम्बवाला-सैनवाला पंचायत में संबंधित परियोजना के तहत जलधारा से जलागम के क्षेत्र में विकास हो रहा है. अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में यह प्रयास कितने कारगर साबित होते हैं.

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