नाहन: किसान बागवान तेजी से जीरो बजट खेती का रुख करने लगे हैं. सरकार की ओर से भी किसानों को अधिक संख्या जीरो बजट खेती से जोड़ने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं. सिरमौर जिला में श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र के तहत बेचड़ का बाग क्षेत्र की महीपुर पंचायत अपने स्तर पर किसानों को इस खेती जोड़ने के लिए प्रयास कर रही है.
महीपुर पंचायत में कई किसान जीरो लागत कृषि से जुड़कर अच्छी पैदावार ले रहे हैं. जीरो बजट खेती से जुड़े किसनों की आय में भी बढ़ोतरी हो रही है. अच्छी सिंचाई व मार्केटिंग की सुविधा मिलने पर किसानों का आर्थिक विकास हो सकता है.
स्थानीय किसान का कहना है कि पहले उर्वरक खाद, कीटनाशक डालने से उपज अच्छी होती थी, लेकिन मिट्टी व खेत खराब हो रहे थे. अब जीरो बजट पर आधारित कृषि से भी अच्छी उपज हो रही है. साथ ही भूमि की उर्वरता शक्ति भी बढ़ी है. वहीं, महीपुर पंचायत के प्रधान सतपाल मान ने बताया कि पंचायत में जीरो लागत खेती को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है. बेचड़ का बाग में सभी किसान इससे जोड़ दिए गए हैं और अच्छी फसलें भी हो रही हैं.
बताया जा रहा है कि किसान लगातार देसी गाय के गोमूत्र व गोबर का प्रयोग कर रहे हैं. इस क्षेत्र में अधिकांश लोग अब जीरो बजट पर आधारित कृषि ही करने में जुटे हुए हैं. कुल मिलाकर महीपुर पंचायत में प्राकृतिक खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है, लेकिन मार्केटिंग व सिंचाई की सुविधा ना मिलने से परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है.
क्या होती है जीरो बजट खेती
जीरो बजट खेती में कीटनाशक, रासायनिक खाद और हाईब्रिड बीज जैसे किसी भी आधुनिक उपाय का इस्तेमाल नहीं होता है. इस खेती को पूरी तरह से प्राकृतिक संसाधनों के जरिए ही किया जाता है.
रासायनिक खाद के स्थान पर किसान स्वयं तैयार की हुई देसी खाद बनाते हैं. इसका नाम नाम 'घन जीवा अमृत' रखा है. यह खाद गाय के गोबर, गौमूत्र, चने के बेसन, गुड़, मिट्टी और पानी पानी से बनती है. वहीं, रासायनिक कीटनाशकों की जगह पर नीम, गोबर और गौमूत्र से बना 'नीमास्त्र' इस्तेमाल किया जाता है. इससे फसल को कीड़ा नहीं लगता है.