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बेचड़ का बाग में जीरो बजट खेती से लहलहा रहे खेत, अच्छा मुनाफा कमा रहे किसान

महीपुर पंचायत में कई किसान जीरो लागत कृषि से जुड़कर अच्छी पैदावार ले रहे हैं. जीरो बजट खेती से जुड़े किसनों की आय में भी बढ़ोतरी हो रही है.

Farmers doing organic farming in Mahipur Panchayat
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Published : Oct 28, 2019, 11:18 AM IST

Updated : Oct 28, 2019, 12:33 PM IST

नाहन: किसान बागवान तेजी से जीरो बजट खेती का रुख करने लगे हैं. सरकार की ओर से भी किसानों को अधिक संख्या जीरो बजट खेती से जोड़ने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं. सिरमौर जिला में श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र के तहत बेचड़ का बाग क्षेत्र की महीपुर पंचायत अपने स्तर पर किसानों को इस खेती जोड़ने के लिए प्रयास कर रही है.

महीपुर पंचायत में कई किसान जीरो लागत कृषि से जुड़कर अच्छी पैदावार ले रहे हैं. जीरो बजट खेती से जुड़े किसनों की आय में भी बढ़ोतरी हो रही है. अच्छी सिंचाई व मार्केटिंग की सुविधा मिलने पर किसानों का आर्थिक विकास हो सकता है.

वीडियो.

स्थानीय किसान का कहना है कि पहले उर्वरक खाद, कीटनाशक डालने से उपज अच्छी होती थी, लेकिन मिट्टी व खेत खराब हो रहे थे. अब जीरो बजट पर आधारित कृषि से भी अच्छी उपज हो रही है. साथ ही भूमि की उर्वरता शक्ति भी बढ़ी है. वहीं, महीपुर पंचायत के प्रधान सतपाल मान ने बताया कि पंचायत में जीरो लागत खेती को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है. बेचड़ का बाग में सभी किसान इससे जोड़ दिए गए हैं और अच्छी फसलें भी हो रही हैं.

बताया जा रहा है कि किसान लगातार देसी गाय के गोमूत्र व गोबर का प्रयोग कर रहे हैं. इस क्षेत्र में अधिकांश लोग अब जीरो बजट पर आधारित कृषि ही करने में जुटे हुए हैं. कुल मिलाकर महीपुर पंचायत में प्राकृतिक खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है, लेकिन मार्केटिंग व सिंचाई की सुविधा ना मिलने से परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है.

क्या होती है जीरो बजट खेती

जीरो बजट खेती में कीटनाशक, रासायनिक खाद और हाईब्रिड बीज जैसे किसी भी आधुनिक उपाय का इस्तेमाल नहीं होता है. इस खेती को पूरी तरह से प्राकृतिक संसाधनों के जरिए ही किया जाता है.

रासायनिक खाद के स्थान पर किसान स्वयं तैयार की हुई देसी खाद बनाते हैं. इसका नाम नाम 'घन जीवा अमृत' रखा है. यह खाद गाय के गोबर, गौमूत्र, चने के बेसन, गुड़, मिट्टी और पानी पानी से बनती है. वहीं, रासायनिक कीटनाशकों की जगह पर नीम, गोबर और गौमूत्र से बना 'नीमास्त्र' इस्तेमाल किया जाता है. इससे फसल को कीड़ा नहीं लगता है.

नाहन: किसान बागवान तेजी से जीरो बजट खेती का रुख करने लगे हैं. सरकार की ओर से भी किसानों को अधिक संख्या जीरो बजट खेती से जोड़ने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं. सिरमौर जिला में श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र के तहत बेचड़ का बाग क्षेत्र की महीपुर पंचायत अपने स्तर पर किसानों को इस खेती जोड़ने के लिए प्रयास कर रही है.

महीपुर पंचायत में कई किसान जीरो लागत कृषि से जुड़कर अच्छी पैदावार ले रहे हैं. जीरो बजट खेती से जुड़े किसनों की आय में भी बढ़ोतरी हो रही है. अच्छी सिंचाई व मार्केटिंग की सुविधा मिलने पर किसानों का आर्थिक विकास हो सकता है.

वीडियो.

स्थानीय किसान का कहना है कि पहले उर्वरक खाद, कीटनाशक डालने से उपज अच्छी होती थी, लेकिन मिट्टी व खेत खराब हो रहे थे. अब जीरो बजट पर आधारित कृषि से भी अच्छी उपज हो रही है. साथ ही भूमि की उर्वरता शक्ति भी बढ़ी है. वहीं, महीपुर पंचायत के प्रधान सतपाल मान ने बताया कि पंचायत में जीरो लागत खेती को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है. बेचड़ का बाग में सभी किसान इससे जोड़ दिए गए हैं और अच्छी फसलें भी हो रही हैं.

बताया जा रहा है कि किसान लगातार देसी गाय के गोमूत्र व गोबर का प्रयोग कर रहे हैं. इस क्षेत्र में अधिकांश लोग अब जीरो बजट पर आधारित कृषि ही करने में जुटे हुए हैं. कुल मिलाकर महीपुर पंचायत में प्राकृतिक खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है, लेकिन मार्केटिंग व सिंचाई की सुविधा ना मिलने से परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है.

क्या होती है जीरो बजट खेती

जीरो बजट खेती में कीटनाशक, रासायनिक खाद और हाईब्रिड बीज जैसे किसी भी आधुनिक उपाय का इस्तेमाल नहीं होता है. इस खेती को पूरी तरह से प्राकृतिक संसाधनों के जरिए ही किया जाता है.

रासायनिक खाद के स्थान पर किसान स्वयं तैयार की हुई देसी खाद बनाते हैं. इसका नाम नाम 'घन जीवा अमृत' रखा है. यह खाद गाय के गोबर, गौमूत्र, चने के बेसन, गुड़, मिट्टी और पानी पानी से बनती है. वहीं, रासायनिक कीटनाशकों की जगह पर नीम, गोबर और गौमूत्र से बना 'नीमास्त्र' इस्तेमाल किया जाता है. इससे फसल को कीड़ा नहीं लगता है.

Intro:- पूरी पंचायत में प्राकृतिक खेती यानी जीरो लागत खेती पर दिया जा रहा
नाहन। आज किसान बागवान तेजी से प्राकृतिक खेती यानी जीरो लागत खेती से जुड़ने लगे हैं। किसानों को और अधिक संख्या में इससे जोड़ने के प्रयास भी लगातार किए जा रहे हैं।



Body:इसी के तहत सिरमौर जिला में श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले बेचड़ का बाग क्षेत्र में महीपुर पंचायत अपने स्तर पर किसानों को जोड़ने के लिए प्रयासरत है। यहां पर कई किसान आज जीरो लागत कृषि से जुड़कर जहां अच्छी उपज पैदा कर रहे हैं, वहीं उनकी आय में भी बढ़ोतरी हो रही है। यदि इन्हें सिंचाई व मार्केटिंग की सुविधा मिल जाए तो इनका काफी अधिक मात्रा में आर्थिक विकास हो सकता है।
किसानों को पंचायत स्तर पर लगातार देसी गाय के गोमूत्र वह गोबर के प्रयोग बारे बताया जा रहा है और इस क्षेत्र में अधिकांश लोग अब जीरो आधारित कृषि ही करने में जुटे हुए हैं। पंचायत की मानें तो जल्द ही पूरी महीपुर पंचायत को जीरो आधारित कृषि से जोड़ दिया जाएगा।

वही स्थानीय किसान उदय सिंह ने बताया कि पहले वह अन्य खादें डालते थे, उससे उपज होती थी, लेकिन मिट्टी व खेत खराब हो रहे थे। अब वह जीरो आधारित कृषि कर रहे हैं। इससे अच्छी उपज भी हो रही है। साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ी है। सरकार यदि सिंचाई व मंडी की सुविधा दे तो उन्हें बहुत लाभ हो सकता है।
बाइट 1 : उदय सिंह किसान बेचड़ का बाग

उधर महीपुर पंचायत के प्रधान सतपाल मान ने बताया कि पंचायत में जीरो लागत खेती को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। बेचड़ का बाद में तो सभी किसान इससे जोड़ दिए गए हैं और अच्छी फसलें भी हो रही हैं। अब उनका लक्ष्य पूरी पंचायत को जीरो लागत खेती से जोड़ना है। दूसरे सरकार सिंचाई व मार्केटिंग की सुविधा उपलब्ध करवा दें, तो इलाके के किसानों को बहुत लाभ मिलेगा।
बाइट 2 : सतपाल मान, प्रधान महीपुर पंचायत


Conclusion:कुल मिलाकर महीपुर पंचायत में प्राकृतिक खेती की तरफ तो किसानों का रुझान बढ़ा है, लेकिन मार्केटिंग व सिंचाई की सुविधा ना मिलने से परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है। यदि सरकार किसानों की समस्या समाधान कर दें, तो निसंदेह यह पंचायत प्राकृतिक खेती के दिशा में पड़ा उदाहरण पेश कर सकती है।
Last Updated : Oct 28, 2019, 12:33 PM IST
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