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पटैना में गौवंश की मौत का मामला, हरकत में आया पशु पालन विभाग

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Published : Feb 19, 2021, 11:08 PM IST

पझौता के पटेना गांव में गत दिनो एक निजी गौ सदन में रखे गए गौवंश के मरने व मृत गौ वंश को खुले मे फेंकने के मामले में अब पशुपालन विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है. साथ ही पशु चिकित्सकों ने मौके मृत पशुओं के सैम्पल लिए हैं.

Animal Husbandry Department Sirmaur
पशुपालन विभाग

राजगढ़: उप तहसील पझौता के पटेना गांव में गत दिनो एक निजी गौ सदन में रखे गए गौवंश के मरने व मृत गौ वंश को खुले मे फेंकने के मामले में अब पशुपालन विभाग ने अपनी कार्रवाई आरंभ कर दी है. इस मामले में पशुपालन विभाग के अधिकारियों व डाक्टरों का एक दल पटेना गांव पंहुचा व मरे गौ वंश को दफनाया. इसके साथ ही पशु चिकित्सकों ने मौके से मृत पशुओं के सैम्पल लिए हैं.

इस बारे में पशुपालन विभाग की उप निदेशक डॉ. नीरू शबनम ने बताया कि उनके संज्ञान में जब यह मामला आया तो उन्होंने 13 फरवरी को स्थानीय पशु चिकित्सक को मौके पर भेजा और 14 फरवरी को सहायक निदेशक प्रोजेक्ट व दो अन्य पशु चिकित्सकों को मौके पर भेजा था. टीम ने उन्हें अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसे उन्होंने पशुपालन विभाग के निदेशक को भेज दिया है.

इस रिपोर्ट में पशुओं के मरने और उन्हें खुले में फेंकने की बात सामने आई है. यही नहीं गौसदन के प्रबंधकों ने पशुपालन विभाग की अनुमति के बिना करीब सौ पशु जिला शिमला से भी यहां लाए थे, जिससे यहां पशुओं की संख्या काफी बढ़ गई थी, लेकिन गौसदन ने इसके लिए कोई प्रबंध नहीं किए.

मौके पर गए सहायक निदेशक विपिन कुमार ने बताया कि पशुओं को दबाने के लिए जेसीबी मशीन लाई गई थी. कुछ पशुओं को दबा दिया गया है, लेकिन जो पशु ढांक से खाई में फेंके गए हैं, वहां तक न तो जेसीबी नहीं पहुंच पाई. ऐसे में उन्हें बिन दफनाए ही छोड़ना पड़ा.

ये भी पढ़ें: आबकारी एवं कराधान विभाग की कार्रवाई, अंबाला के व्यापारी से वसूला 3.65 लाख का जुर्माना

राजगढ़: उप तहसील पझौता के पटेना गांव में गत दिनो एक निजी गौ सदन में रखे गए गौवंश के मरने व मृत गौ वंश को खुले मे फेंकने के मामले में अब पशुपालन विभाग ने अपनी कार्रवाई आरंभ कर दी है. इस मामले में पशुपालन विभाग के अधिकारियों व डाक्टरों का एक दल पटेना गांव पंहुचा व मरे गौ वंश को दफनाया. इसके साथ ही पशु चिकित्सकों ने मौके से मृत पशुओं के सैम्पल लिए हैं.

इस बारे में पशुपालन विभाग की उप निदेशक डॉ. नीरू शबनम ने बताया कि उनके संज्ञान में जब यह मामला आया तो उन्होंने 13 फरवरी को स्थानीय पशु चिकित्सक को मौके पर भेजा और 14 फरवरी को सहायक निदेशक प्रोजेक्ट व दो अन्य पशु चिकित्सकों को मौके पर भेजा था. टीम ने उन्हें अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसे उन्होंने पशुपालन विभाग के निदेशक को भेज दिया है.

इस रिपोर्ट में पशुओं के मरने और उन्हें खुले में फेंकने की बात सामने आई है. यही नहीं गौसदन के प्रबंधकों ने पशुपालन विभाग की अनुमति के बिना करीब सौ पशु जिला शिमला से भी यहां लाए थे, जिससे यहां पशुओं की संख्या काफी बढ़ गई थी, लेकिन गौसदन ने इसके लिए कोई प्रबंध नहीं किए.

मौके पर गए सहायक निदेशक विपिन कुमार ने बताया कि पशुओं को दबाने के लिए जेसीबी मशीन लाई गई थी. कुछ पशुओं को दबा दिया गया है, लेकिन जो पशु ढांक से खाई में फेंके गए हैं, वहां तक न तो जेसीबी नहीं पहुंच पाई. ऐसे में उन्हें बिन दफनाए ही छोड़ना पड़ा.

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