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सिरमौर की इस पंचायत में वरदान साबित हो रहा जल शक्ति अभियान, 100 साल पुरानी बावड़ी को बना दिया आदर्श

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Published : Sep 17, 2019, 11:16 AM IST

Updated : Sep 17, 2019, 11:46 AM IST

नाहन-शिमला हाईवे के पच्छाद क्षेत्र की बाग पशोग पंचायत के धरयार गांव में 100 साल पुरानी बावड़ी का कायाकल्प किया गया है. जिससे ग्रामीणों की पेयजल, सिंचाई, पशु जल की समस्या हल हुई है, साथ ही राहगीरों को भी स्वच्छ जल प्राप्त हो रहा है.

डिजाइन फोटो

नाहन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर जल शक्ति अभियान सिरमौर जिला में बेहद कारगर साबित हो रहा है. इसी कड़ी में नाहन-शिमला हाईवे के पच्छाद क्षेत्र की बाग पशोग पंचायत के धरयार गांव में 100 साल पुरानी बावड़ी का कायाकल्प किया गया है.

दरअसल शिमला हाईवे पर साल 1914 में बनी ये प्राचीन बावड़ियां देखरेख के अभाव में अपना वजूद खो चुकी थी. जल शक्ति अभियान अभियान के तहत पंचायत ने प्रशासन के साथ मिलकर इसके जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया. इसके बाद बावड़ी में पशुओं के लिए अलग से पीने के पानी का प्रावधान किया गया है, जबकि शेष व्यर्थ पानी को पाइप के माध्यम से खेतों से जोड़ा गया है.

वीडियो

बावड़ी को स्वच्छ रखने के लिए एक पंप लगाया गया है, जिससे पानी बाहर आ जाता है और जल प्रदूषित भी नहीं होता. बावड़ी के आसपास सुंदर रेलिंग लगाई गई है. साथ ही बावड़ी से जहां ग्रामीणों की पेयजल, सिंचाई, पशु जल की समस्या हल हुई है, वहीं राहगीरों को भी स्वच्छ जल प्राप्त हो रहा है.

पर्यटकों ने बताया कि बावड़ी की कायाकल्प सरकार का सराहनीय काम है. उन्होंने कहा कि सभी जल स्रोतों को को ऐसा ही स्वच्छ बनाया जाए, ताकि सभी लोगों को लाभ मिल सके. साथ ही ग्रामीण शशिकांत शर्मा ने बताया कि पहले यहां पानी की बड़ी दिक्कत रहती थी और बावड़ी भी बेकार हो चुकी थी, लेकिन अब इसके जीर्णोद्धार से सभी को लाभ मिल रहा है.

कुल मिलाकर धरयार गांव की है प्राचीन बावड़ी प्रदेश में एक आदर्श बावड़ी के रूप में उभरी है, जिसकी यहां से गुजरने वाला हर कोई प्रशंसा करता है. साथ ही अन्य पंचायतों को भी इससे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है, ताकि जल संरक्षण की दिशा में सभी अपनी अहम भूमिका निभा सकें.

नाहन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर जल शक्ति अभियान सिरमौर जिला में बेहद कारगर साबित हो रहा है. इसी कड़ी में नाहन-शिमला हाईवे के पच्छाद क्षेत्र की बाग पशोग पंचायत के धरयार गांव में 100 साल पुरानी बावड़ी का कायाकल्प किया गया है.

दरअसल शिमला हाईवे पर साल 1914 में बनी ये प्राचीन बावड़ियां देखरेख के अभाव में अपना वजूद खो चुकी थी. जल शक्ति अभियान अभियान के तहत पंचायत ने प्रशासन के साथ मिलकर इसके जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया. इसके बाद बावड़ी में पशुओं के लिए अलग से पीने के पानी का प्रावधान किया गया है, जबकि शेष व्यर्थ पानी को पाइप के माध्यम से खेतों से जोड़ा गया है.

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बावड़ी को स्वच्छ रखने के लिए एक पंप लगाया गया है, जिससे पानी बाहर आ जाता है और जल प्रदूषित भी नहीं होता. बावड़ी के आसपास सुंदर रेलिंग लगाई गई है. साथ ही बावड़ी से जहां ग्रामीणों की पेयजल, सिंचाई, पशु जल की समस्या हल हुई है, वहीं राहगीरों को भी स्वच्छ जल प्राप्त हो रहा है.

पर्यटकों ने बताया कि बावड़ी की कायाकल्प सरकार का सराहनीय काम है. उन्होंने कहा कि सभी जल स्रोतों को को ऐसा ही स्वच्छ बनाया जाए, ताकि सभी लोगों को लाभ मिल सके. साथ ही ग्रामीण शशिकांत शर्मा ने बताया कि पहले यहां पानी की बड़ी दिक्कत रहती थी और बावड़ी भी बेकार हो चुकी थी, लेकिन अब इसके जीर्णोद्धार से सभी को लाभ मिल रहा है.

कुल मिलाकर धरयार गांव की है प्राचीन बावड़ी प्रदेश में एक आदर्श बावड़ी के रूप में उभरी है, जिसकी यहां से गुजरने वाला हर कोई प्रशंसा करता है. साथ ही अन्य पंचायतों को भी इससे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है, ताकि जल संरक्षण की दिशा में सभी अपनी अहम भूमिका निभा सकें.

Intro:- ग्रामीणों सहित राहगीरों की बुझा रही प्यास, बावड़ी को देख हर कोई रुकने को हो जाता है मजबूर
- जल शक्ति अभियान के तहत बावड़ी का किया ऐसा सौंदर्यकरण, देखते ही बनता है नजारा
नाहन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर जल शक्ति अभियान सिरमौर जिला में बेहद कारगर साबित हो रहा है। इसी कड़ी में पच्छाद क्षेत्र की बाग पशोग पंचायत के धरयार गांव में 100 साल से भी अधिक पुरानी बावड़ी का ऐसा कायाकल्प किया गया है कि इसका नजारा देखते ही बनता है। नाहन-शिमला हाईवे के साथ होने के कारण हर कोई इस बावड़ी को देख यहां रुकने को मजबूर हो रहा है।


Body:दरअसल शिमला हाईवे पर वर्ष 1914 में बनी यह प्राचीन बावड़ी देखरेख के अभाव में अपना वजूद खो चुकी थी। जल शक्ति अभियान ने इस बावड़ी में नए प्राण फूंकने का काम। अभियान के तहत पंचायत ने प्रशासन के साथ मिलकर इसके जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया और आज यह बावड़ी पूरे जिला व क्षेत्र में एक आदर्श बावड़ी के रूप में उभर कर सामने आई है। बावड़ी को सुंदर व आकर्षक बनाया गया है। इसे स्वच्छ रखने की अपील भी की गई है। पशुओं के लिए अलग से पीने के पानी का प्रावधान किया गया है, जबकि शेष व्यर्थ पानी को पाइप के माध्यम से खेतों से जोड़ा गया है। बावड़ी को स्वच्छ रखने के लिए एक पंप लगाया गया है, जिससे पानी बाहर आ जाता है और जल प्रदूषित भी नहीं होता। बावड़ी के आसपास सुंदर रेलिंग लगाई गई है। इस बावड़ी से जहां ग्रामीणों की पेयजल, सिंचाई, पशु जल की समस्या हल हुई है, वहीं राहगीरों को भी स्वच्छ जल प्राप्त हो रहा है।
वही शिमला हाईवे से गुजरने वाले पर्यटक राजेश ने इस बावड़ी को बहुत अच्छा प्रयास बताते हुए सरकार से मांग की है कि सभी जल स्तोत्रों को ऐसा ही स्वच्छ बनाया जाए ताकि सभी लोगों को लाभ मिल सके।
बाइट 1 : राजेश, पर्यटक
उधर ग्रामीण शशिकांत शर्मा ने बताया कि पहले यहां पानी की बड़ी दिक्कत रहती थी। बावड़ी भी बेकार हो चुकी थी, लेकिन अब इसके जीर्णोद्धार से सभी को लाभ मिल रहा है। इसी के पानी से वह खेतों की सिंचाई कर रहे हैं।
बाइट 2 : शशिकांत शर्मा, स्थानीय ग्रामीण
अन्य ग्रामीण विजय शर्मा ने बताया कि यहां जल संकट रहता था, मगर अब प्राचीन बावड़ी के बन जाने से उन्हें बहुत लाभ मिल रहा है।
बाइट 3 : विजय शर्मा, स्थानीय ग्रामीण
धरयार गांव के अन्य ग्रामीण रोहित ने बताया कि 100 साल से भी अधिक पुरानी यह बावड़ी खस्ताहाल में थी, मगर सरकार के जल शक्ति अभियान से अब इसका कायाकल्प हो गया और सभी को लाभ मिल रहा है।
बाइट 4 : रोहित, स्थानीय ग्रामीण


Conclusion:कुल मिलाकर धरयार गांव की है प्राचीन बावड़ी संभवत: प्रदेश में एक आदर्श बावड़ी के रूप में उभरी है, जिसकी यहां से गुजरने वाला हर कोई प्रशंसा करता है। साथ ही अन्य पंचायतों को भी इससे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है, ताकि जल संरक्षण की दिशा में सभी अपनी अहम भूमिका निभा सकें।
Last Updated : Sep 17, 2019, 11:46 AM IST
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