धर्मपुर: ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने धर्मपुर मंडल में निर्माणाधीन मढ़ी में 33 केवी और भरौरी में 132 केवी विद्युत सब स्टेशनों का निरीक्षण किया. इस पर जिला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मंत्री केवल मात्र निरीक्षण करने के लिए यहां पहुंचे हैं लेकिन बेहतर होता कि वह यहां किसी नई योजना का शुभारंभ करने आते.
जिला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मंत्री यहां खाली पड़े पदों को भरने के बारे में निर्णय करते. इस मंडल के अंतर्गत तीन उपमंडल और 14 अनुभाग हैं. जिनके तहत विभिन्न क्षमताओं के 410 ट्रांसफार्मर स्थापित किए गए हैं जो 26863 उपभोक्ताओं को बिजली पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं.
इसके अलावा एच टी लाइनें भी हैं और कई परियोजनाएं भी चल रही हैं लेकिन यहां आधे पद कर्मचारियों के खाली पड़े हैं जिसके कारण बिजली बाधित होने पर कई घंटों तक बहाल नहीं होती है. उन्हें रात-दिन निर्धारित समय से ज्यादा काम करना पड़ता है. सबसे बड़ी संख्या जूनियर टी मेटों की खाली है जो कुल स्वीकृत 44 पदों में से केवल मात्र 12 ही भरे गए हैं.
इसी प्रकार टी मेटों की 27 पोस्ट हैं लेकिन उनमें से केवल 3 ही पोस्ट भरी हैं और 24 पोस्ट खाली हैं. इसके अलावा एएलएम की कुल 36 पोस्ट में से 21 पोस्ट खाली है. कनिष्ठ अभियंता के 7 और क्लर्कों के 13 पद खाली पड़े हैं. इससे स्पष्ट है कि बिजली विभाग का क्षेत्रीय स्टाफ कुल जरुरत का एक चौथाई ही कार्यरत है तो ऐसी स्थिति में कोई कैसे नियमित बिजली सप्लाई की उम्मीद कर सकता है.
भूपेंद्र सिंह ने सरकार व मंत्री पर आरोप लगाया है कि जनता को हर समय बिजली उपलब्ध कराने वाले इस महत्वपूर्ण विभाग की दुर्दशा के लिए वह ही जिम्मेदार है. भूपेंद्र सिंह ने मांग की है कि निरीक्षणों और उद्घाटनों के साथ-साथ सरकार खाली पदों को भरने के लिए भी कदम उठाए.
जिला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने कहा कि वर्तमान में यहां के विधायक सरकार में अहम भूमिका में होते हुए भी इन पदों को भरने के लिए प्रयास नहीं कर रहे हैं. हालांकि, धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र की छवि पूरे प्रदेश में विकास की दृष्टि से बेहतर बताई जाती है लेकिन हकीकत में ऐसी नहीं है.
भूपेंद्र सिंह ने कहा कि यहां पर स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति भी बहुत ज्यादा खराब है और सैंकड़ों पद खाली पड़े हैं. कृषि और बागवानी विभाग में भी दर्जनों पद खाली पड़े हैं. लोकनिर्माण व आईपीएच विभागों में भी नई भर्ती आउटसोर्सिंग और ठेके के आधार की जा रही है और ठेकेदारों के माध्यम से विकास करवाने को ही प्राथमिकता दी जा रही है.