सराज/मंडीः प्रदेश के सीएम व सराज के विधायक जयराम ठाकुर के लिए अब थाची कॉलेज निर्माण का मुद्दा सरदर्द बनता जा रहा है. तीन साल पहले कांग्रेस सरकार में खुले इस कॉलेज के भवन निर्माण में स्थान चयन को लेकर उलझे दो गुट अब आरपार ले मूड में आ गए हैं. एक गुट जहां थाची बाजार में कॉलेज भवन का निर्माण चाहता है तो वंही दूसरे गुट का कहना है कि कॉलेज बाजार से दूर खड़ीधार नामक स्थान पर बनना चाहिए.
सोमवार को थाची बाजार में कॉलेज भवन के निर्माण की मांग कर रही दर्जनों महिलाओं ने बालीचौकी बाजार में प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
इन महिलाओं का नेतृत्व जनवादी महिला समिति की राज्य उपाध्यक्ष जयवंती, आदर्श ग्राम संगठन थाची की प्रधान शकुंतला व नौजवान सभा के जिला सचिव महेंद्र राणा ने किया. इस दौरान बालीचौकी में तहसील कार्यलय के सामने प्रदर्शनकारियों ने जमकर नारेबाजी की और जनसभा का भी आयोजन किया.
जनवादी आदर्श ग्राम संगठन थाची की अध्यक्ष शकुंतला ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि थाची में ग्राम सभा द्वारा कॉलेज भवन के लिए न केवल प्रस्ताव पारित किया गया है बल्कि भवन निर्माण के लिए जमीन का इंतकाल तक शिक्षा विभाग के नाम से किया गया है.
उन्होंने कहा कि थाची में कॉलेज भवन के निर्माण को लेकर वे पुरजोर संघर्ष करेंगे. नौजवान सभा के नेता महेंद्र राणा ने कहा कि थाची में कॉलेज भवन का मामला जानबूझकर सरकार व कुछ अन्य लोगों द्वारा उलझाया जा रहा है.
उन्होंने कहा की थाची के अलावा जिस अन्य स्थान पर कॉलेज निर्माण की बात की जा रही है, वहां हजारों की संख्या में देवदार के पेड़ है, जिनका कटान किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.
खड़ीधार में कॉलेज भवन का निर्माण होने से छात्रों को बंजार कॉलेज की तरह कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा और बस सेवाएं न होने से कई किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ेगा. वहीं, जनवादी महिला समिति की राज्य उपाध्यक्षा जयवंती ने भी इस मामले पर सरकार और जिला प्रशासन के रवैये की निंदा करते हुए जनहित में थाची बाजार में ही जल्द कॉलेज भवन बनाने की मांग की.
थाची में कॉलेज भवन निर्माण को लेकर भाजपा के भीतर भी असंतोष की चिंगारी सुलगती जा रही है. थाची, मुराह, पंजाई, बागी भनवास व सोमगाड़ पंचायत के अधिकांश लोग जहां दबे स्वरों में थाची में ही कॉलेज भवन का निर्माण चाहते है. वहीं, भाजपा के ही कुछ लोग खड़ीधार के नाम से कॉलेज चाहते हैं. सरकार अगर अगले सत्र तक इस बारे कोई निर्णय नहीं ले पाई तो आने वाले चौथे साल के सत्ताधारी भाजपा को लोगों के कोप का शिकार होना पड़ सकता है.
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