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करसोग में मनरेगा के कार्यों में महिलाएं आगे, बन रहीं आत्मनिर्भर - women taking part in mnrega

केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना को महिलाओं ने शिखर पर पहुंचाया है. करसोग में बीते वित्त वर्ष में ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने मनरेगा में रोजगार प्राप्त कर अपनी समृद्धि के द्वार खोले हैं.

MNREGA in karsog
करसोग में मनरेगा
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Published : Aug 7, 2020, 6:46 PM IST

करसोग: हिमाचल में अन्य राज्यों की तुलना में मनरेगा की दिहाड़ी कम होने से वित्तीय वर्ष में 100 दिन का रोजगार प्राप्त करने वाले परिवारों का आंकड़ा कम हो गया है. वहीं, पहाड़ी राज्य के करसोग खंड में महिलाओं ने मनरेगा को हाथों हाथ लिया है.

केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना को महिलाओं ने शिखर पर पहुंचाया है. यहां बीते वित्त वर्ष में ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने मनरेगा में रोजगार प्राप्त कर अपनी समृद्धि के द्वार खोले हैं. नारी शक्ति घर के कार्य निपटाने के साथ मनरेगा में दिहाड़ी लगाकर स्वतंत्र तौर पर घर का खर्च उठा रही हैं.

वीडियो रिपोर्ट

1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक मनरेगा में कुल लगे 5, 55,379 दिनों में से अकेले 3,12,197 कार्य दिवस महिलाओं ने पूरे किए हैं. ऐसे में खंड स्तर पर मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी 56.21 फीसदी रही है. ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं अब सरकारी नौकरी के पीछे न भाग कर घर परिवार चलाने के साथ मनरेगा में भी घरद्वार पर रोजगार प्राप्त कर रही हैं.

वर्ष 2019-20 में 14 हजार से अधिक परिवारों को दिया रोजगार

बीते वित्त वर्ष में करसोग खंड में 14,089 परिवारों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया गया. इसमें 11,905 परिवार ऐसे थे, जहां मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी अधिक रही. ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं मनरेगा के तहत व्यक्तिगत कार्यों के अतिरिक्त गांव के विकास के लिए होने वाले सार्वजनिक कार्यों में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं.

ऐसे में अब महिलाएं पैसे के लिए परिवार के किसी सदस्यों पर निर्भर नहीं रही हैं. महिलाएं खुद अपने दम पर घर परिवार का भी खर्च उठा रही हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में ये सब कुछ मनरेगा से ही संभव हो पाया है.

वहीं, बीडीओ करसोग भवनेश चड्डा का कहना है कि विकास खंड में बीते वित्त वर्ष मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी 56.21 फीसदी रही है, इससे ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं आर्थिक तौर पर समृद्ध हुई है और उनके रहन सहन में सुधार आया है.

ये भी पढ़ें: ट्रक मालिक ने खर्चा मांगने पर पीटा ट्रक ड्राइवर, पुलिस में दर्ज हुई शिकायत

करसोग: हिमाचल में अन्य राज्यों की तुलना में मनरेगा की दिहाड़ी कम होने से वित्तीय वर्ष में 100 दिन का रोजगार प्राप्त करने वाले परिवारों का आंकड़ा कम हो गया है. वहीं, पहाड़ी राज्य के करसोग खंड में महिलाओं ने मनरेगा को हाथों हाथ लिया है.

केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना को महिलाओं ने शिखर पर पहुंचाया है. यहां बीते वित्त वर्ष में ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने मनरेगा में रोजगार प्राप्त कर अपनी समृद्धि के द्वार खोले हैं. नारी शक्ति घर के कार्य निपटाने के साथ मनरेगा में दिहाड़ी लगाकर स्वतंत्र तौर पर घर का खर्च उठा रही हैं.

वीडियो रिपोर्ट

1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक मनरेगा में कुल लगे 5, 55,379 दिनों में से अकेले 3,12,197 कार्य दिवस महिलाओं ने पूरे किए हैं. ऐसे में खंड स्तर पर मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी 56.21 फीसदी रही है. ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं अब सरकारी नौकरी के पीछे न भाग कर घर परिवार चलाने के साथ मनरेगा में भी घरद्वार पर रोजगार प्राप्त कर रही हैं.

वर्ष 2019-20 में 14 हजार से अधिक परिवारों को दिया रोजगार

बीते वित्त वर्ष में करसोग खंड में 14,089 परिवारों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया गया. इसमें 11,905 परिवार ऐसे थे, जहां मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी अधिक रही. ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं मनरेगा के तहत व्यक्तिगत कार्यों के अतिरिक्त गांव के विकास के लिए होने वाले सार्वजनिक कार्यों में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं.

ऐसे में अब महिलाएं पैसे के लिए परिवार के किसी सदस्यों पर निर्भर नहीं रही हैं. महिलाएं खुद अपने दम पर घर परिवार का भी खर्च उठा रही हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में ये सब कुछ मनरेगा से ही संभव हो पाया है.

वहीं, बीडीओ करसोग भवनेश चड्डा का कहना है कि विकास खंड में बीते वित्त वर्ष मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी 56.21 फीसदी रही है, इससे ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं आर्थिक तौर पर समृद्ध हुई है और उनके रहन सहन में सुधार आया है.

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