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मां जोगणी के दरबार में बीमारियों से मिलती है निजात, माता की गुफा में छिपे हैं कई रहस्य

मंडी जिले के करसोग क्षेत्र में जोगणी माता अपने चमत्कारों से लोगों के चर्म रोगों का अंत कर देती हैं. लोग इन्हें बीमारी का नाश करने वाली माता के नाम से भी पुकारा जाता है. रोगों से निजात पाने के लिए दूर-दूर से लोग जोगणी माता के दर पर पहुंचते हैं और अपनी बीमारी से निजात पाने के लिए मिन्नतें मांगते हैं.

story on faith of himachals people in Mata Jogni
फोटो.
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Published : Jun 22, 2021, 7:55 PM IST

करसोग: हिमाचल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए दुनियाभर में अपनी अलग पहचान रखता है और यहां की देव परंपराएं, रहस्य और पौराणिक कहानियां सबको अपनी ओर आकर्षित करती हैं. यहां कण-कण में देवी-देवताओं का वास माना जाता है और इसीलिए हिमाचल को देवभूमि भी कहा जाता है. ऐसी देवभूमि जहां लोग मानते हैं कि भगवान के दर पर हर मर्ज, हर दुख की दवा मिलती है. आइए हम आपको देवभूमि के कुछ ऐसे ही अविश्वसनीय रहस्यों और कहानियों से आपको रूबरू कराते हैं.

मंडी जिले के करसोग क्षेत्र के लोगों का दावा है कि माता जोगणी के दर पर हर बीमारी का इलाज होता है. जोगणी माता के मंदिर में ऐसे मरीज पहुंचते हैं जिनको बड़े-बड़े अस्पतालों और डॉक्टरों के पास से निराशा हाथ लगती है. इसलिए स्थानीय लोग इन्हें बीमारी का नाश करने वाली माता के नाम से जानते हैं.

दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं माता के दरबार

माता के दरबार में दूर-दूर से लोग अपनी बीमारी का इलाज ढूंढते हुए पहुंचते हैं. जोगणी माता से बीमारी को ठीक करने के लिए लोग मन्नतें मांगते हैं. मान्यता है कि माता के दर पर हर मर्ज का इलाज होता है और जब मरीज ठीक हो जाता है तो वो मंदिर में आटे और गुड़ से प्रसाद तैयार कर माता को भोग लगाता है.

वीडियो रिपोर्ट.

प्रसाद खाने के लिए पहुंचते हैं कौवे

स्थानीय लोगों के मुताबिक जिस दिन मंदिर के बाहर माता के भोग के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है तो वहां बड़ी तादाद में कौए पहुंच जाते हैं. मंदिर के पास कौवों की तादाद माता के प्रसन्न होने का प्रतीक माना जाता है. लोगों की मानें तो इस इलाके में दूर-दूर तक कौवों का कोई नामो निशान आम दिनों में नहीं दिखता, लेकिन माता को प्रसाद चढ़ाने वाले दिन कौवों की ये तादाद सबको हैरान कर देती है. यानी स्थानीय लोग इन कौवों को माता जोगणी देवी का दूत मानते हैं और माता को भोग लगाने के बाद कौवों को भी प्रसाद देते हैं.

ये भी पढ़ें: IAF में फ्लाइंग ऑफिसर बनीं शिमला की प्रेरणा, इन्हें दिया सफलता का श्रेय

पूरे इलाके को माता ने महामारी से दिलाई थी निजात

सदियों पहले इलाके में महामारी फैली थी. इस भयंकर बीमारी की चपेट में आने से हजारों लोगों की मौत हो गई थी. इलाके के जाने-माने वैद्य भी बीमारी पर काबू पाने में नाकामयाब रहे. मान्यता है कि उस समय यहां माहूंनाग काकनो ने जोगणी माता को बीमारी पर काबू पाने के लिए प्रकट किया था. माता की चमत्कारिक शक्तियों से बीमारी कुछ ही दिनों में दूर हो गई थी. जिसके बाद नाग देवता ने माता जोगणी को अपने साथ रहने के लिए कहा, लेकिन जोगणी माता ने छोटी सी पहाड़ी पर एक बड़े पत्थर के नीचे बनी छोटी सी गुफा को रहने के लिए चुना.

माता की यह गुफा सच में अपने भीतर कई रहस्यों को छिपाए बैठी है. लोगों की आस्था के आगे आज का विज्ञान भी अपने घुटने टेक देगा. यही वह कारण है, जो देवभूमि हिमाचल को सबसे अलग बनाता है.

ये भी पढ़ें: जन्म से नहीं हैं हाथ-पैर फिर भी नहीं मानी हार, कंप्यूटर डिग्री लेने के बाद शुरू किया व्यापार

करसोग: हिमाचल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए दुनियाभर में अपनी अलग पहचान रखता है और यहां की देव परंपराएं, रहस्य और पौराणिक कहानियां सबको अपनी ओर आकर्षित करती हैं. यहां कण-कण में देवी-देवताओं का वास माना जाता है और इसीलिए हिमाचल को देवभूमि भी कहा जाता है. ऐसी देवभूमि जहां लोग मानते हैं कि भगवान के दर पर हर मर्ज, हर दुख की दवा मिलती है. आइए हम आपको देवभूमि के कुछ ऐसे ही अविश्वसनीय रहस्यों और कहानियों से आपको रूबरू कराते हैं.

मंडी जिले के करसोग क्षेत्र के लोगों का दावा है कि माता जोगणी के दर पर हर बीमारी का इलाज होता है. जोगणी माता के मंदिर में ऐसे मरीज पहुंचते हैं जिनको बड़े-बड़े अस्पतालों और डॉक्टरों के पास से निराशा हाथ लगती है. इसलिए स्थानीय लोग इन्हें बीमारी का नाश करने वाली माता के नाम से जानते हैं.

दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं माता के दरबार

माता के दरबार में दूर-दूर से लोग अपनी बीमारी का इलाज ढूंढते हुए पहुंचते हैं. जोगणी माता से बीमारी को ठीक करने के लिए लोग मन्नतें मांगते हैं. मान्यता है कि माता के दर पर हर मर्ज का इलाज होता है और जब मरीज ठीक हो जाता है तो वो मंदिर में आटे और गुड़ से प्रसाद तैयार कर माता को भोग लगाता है.

वीडियो रिपोर्ट.

प्रसाद खाने के लिए पहुंचते हैं कौवे

स्थानीय लोगों के मुताबिक जिस दिन मंदिर के बाहर माता के भोग के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है तो वहां बड़ी तादाद में कौए पहुंच जाते हैं. मंदिर के पास कौवों की तादाद माता के प्रसन्न होने का प्रतीक माना जाता है. लोगों की मानें तो इस इलाके में दूर-दूर तक कौवों का कोई नामो निशान आम दिनों में नहीं दिखता, लेकिन माता को प्रसाद चढ़ाने वाले दिन कौवों की ये तादाद सबको हैरान कर देती है. यानी स्थानीय लोग इन कौवों को माता जोगणी देवी का दूत मानते हैं और माता को भोग लगाने के बाद कौवों को भी प्रसाद देते हैं.

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पूरे इलाके को माता ने महामारी से दिलाई थी निजात

सदियों पहले इलाके में महामारी फैली थी. इस भयंकर बीमारी की चपेट में आने से हजारों लोगों की मौत हो गई थी. इलाके के जाने-माने वैद्य भी बीमारी पर काबू पाने में नाकामयाब रहे. मान्यता है कि उस समय यहां माहूंनाग काकनो ने जोगणी माता को बीमारी पर काबू पाने के लिए प्रकट किया था. माता की चमत्कारिक शक्तियों से बीमारी कुछ ही दिनों में दूर हो गई थी. जिसके बाद नाग देवता ने माता जोगणी को अपने साथ रहने के लिए कहा, लेकिन जोगणी माता ने छोटी सी पहाड़ी पर एक बड़े पत्थर के नीचे बनी छोटी सी गुफा को रहने के लिए चुना.

माता की यह गुफा सच में अपने भीतर कई रहस्यों को छिपाए बैठी है. लोगों की आस्था के आगे आज का विज्ञान भी अपने घुटने टेक देगा. यही वह कारण है, जो देवभूमि हिमाचल को सबसे अलग बनाता है.

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