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मंडी: बड़ा देव कमरुनाग मंदिर में सरानाहुली मेले का आगाज - mandi news hindi

हर वर्ष पहली आषाढ़ को मंडी जिले के बड़ा देव कमरुनाग मंदिर में सरानाहुली मेले का आयोजन 14-15 जून को किया जाता है. जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ (Bada Dev Kamrunag Temple Mandi) उमड़ती है. श्रद्धालु देवता के दर्शन करने के लिए यहां दूर-दूर से पहुंचते हैं. कोरोना महामारी के 2 वर्षो बाद मेले का आयोजन किया गया है.

Bada Dev Kamrunag Temple Mandi
बड़ा देव कमरुनाग मंदिर
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Published : Jun 14, 2022, 10:26 PM IST

मंडी: हर वर्ष पहली आषाढ़ को मंडी जिले के बड़ा देव कमरुनाग मंदिर में सरानाहुली मेले का आयोजन 14-15 जून को किया जाता है. जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. श्रद्धालु देवता के दर्शन करने के लिए यहां दूर-दूर से पहुंचते हैं. कमरुनाग झील के किनारे पहाड़ी शैली में निर्मित कमरुनाग देवता का प्राचीन मंदिर भी है, जहां पत्थर की प्रतिमा स्थापित है.

मेले के दौरान मंदिर में बड़ा देव कमरुनाग के प्रति आस्था का महाकुंभ उमड़ता है. निसंतान दम्पतियों को संतान की चाह हो या फिर अपनों के लिए सुख-शांति और सुख-सुविधा की मनौती, हर श्रद्धालु के मन में कोई न कोई कामना रहती है (Bada Dev Kamrunag Temple Mandi) जो उन्हें मीलों पैदल चढ़ाई चढ़ाकर इस स्थल तक पहुंचा देती है. बता दें दूर-दूर से आए लोग मनोकामना पूरी होने पर झील में करंसी नोट, हीरे जवाहरात चढ़ाते हैं. महिलाएं अपने सोने-चांदी के जेवर झील को अर्पित कर देती है. देव कमरुनाग के प्रति लोगों की आस्था इतनी गहरी है कि झील में सोना-चांदी और मुद्रा अर्पित करने की यह परम्परा सदियों से चली आ रही है. यह झील आभूषणों से भरी है.

बड़ा देव कमरुनाग मंदिर

झील में अपने आराध्य के नाम से भेंट चढ़ाने का भी एक शुभ समय है. मेले में आए लोगों के लिए लंगर की व्यवस्था भी सुचारू रुप से चली है. कमरुनाग के गुर गुरुदेव ने बताया कि कोरोना महामारी के 2 वर्षो बाद मेले का आयोजन किया (Bada Dev Kamrunag Temple Mandi) गया और इस मेले में देव कमरुनाग का आर्शीवाद लेने के लिए प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के लोग भी इस मेले में आस्था की डूबकी लगाने पहुंच रहे हैं. उन्होंने देव कमरुनाग से विश्व शांति व सुख समृद्धि की कामना की.

मंडी: हर वर्ष पहली आषाढ़ को मंडी जिले के बड़ा देव कमरुनाग मंदिर में सरानाहुली मेले का आयोजन 14-15 जून को किया जाता है. जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. श्रद्धालु देवता के दर्शन करने के लिए यहां दूर-दूर से पहुंचते हैं. कमरुनाग झील के किनारे पहाड़ी शैली में निर्मित कमरुनाग देवता का प्राचीन मंदिर भी है, जहां पत्थर की प्रतिमा स्थापित है.

मेले के दौरान मंदिर में बड़ा देव कमरुनाग के प्रति आस्था का महाकुंभ उमड़ता है. निसंतान दम्पतियों को संतान की चाह हो या फिर अपनों के लिए सुख-शांति और सुख-सुविधा की मनौती, हर श्रद्धालु के मन में कोई न कोई कामना रहती है (Bada Dev Kamrunag Temple Mandi) जो उन्हें मीलों पैदल चढ़ाई चढ़ाकर इस स्थल तक पहुंचा देती है. बता दें दूर-दूर से आए लोग मनोकामना पूरी होने पर झील में करंसी नोट, हीरे जवाहरात चढ़ाते हैं. महिलाएं अपने सोने-चांदी के जेवर झील को अर्पित कर देती है. देव कमरुनाग के प्रति लोगों की आस्था इतनी गहरी है कि झील में सोना-चांदी और मुद्रा अर्पित करने की यह परम्परा सदियों से चली आ रही है. यह झील आभूषणों से भरी है.

बड़ा देव कमरुनाग मंदिर

झील में अपने आराध्य के नाम से भेंट चढ़ाने का भी एक शुभ समय है. मेले में आए लोगों के लिए लंगर की व्यवस्था भी सुचारू रुप से चली है. कमरुनाग के गुर गुरुदेव ने बताया कि कोरोना महामारी के 2 वर्षो बाद मेले का आयोजन किया (Bada Dev Kamrunag Temple Mandi) गया और इस मेले में देव कमरुनाग का आर्शीवाद लेने के लिए प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के लोग भी इस मेले में आस्था की डूबकी लगाने पहुंच रहे हैं. उन्होंने देव कमरुनाग से विश्व शांति व सुख समृद्धि की कामना की.

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