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धर्मपुर में किसान सभा का प्रदर्शन, सिंचाई व्यवस्था की उठाई मांग

किसान सभा धर्मपुर खण्ड कमेटी ने किसानों की मांगों को लेकर एसडीएम कार्यालय धर्मपुर के बाहर धरना प्रदर्शन किया. इस मौके पर रणतांज राणा ने कहा कि दिल्ली में किसान कृषि बिलों के विरोध में 108 दिनों से संघर्ष कर रहे हैं और हम धर्मपुर किसान सभा की ओर से उन्हें पूरा समर्थन करते हैं.

protest of Kisan Sabha for demands of farmers in Dharampur
फोटों.
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Published : Mar 15, 2021, 6:17 PM IST

धर्मपुर/मंडी: हिमाचल किसान सभा धर्मपुर खण्ड कमेटी ने किसानों की मांगों को लेकर एसडीएम कार्यालय धर्मपुर के बाहर धरना प्रदर्शन किया. इसके बाद एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को मांगपत्र सौंपा गया. प्रर्दशन का नेतृत्व किसान सभा के अध्यक्ष रणतांज राणा व पूर्व जिला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने किया.

इस मौके पर रणतांज राणा ने कहा कि दिल्ली में किसान कृषि बिलों के विरोध में 108 दिनों से संघर्ष कर रहे हैं और हम धर्मपुर किसान सभा की ओर से उन्हें पूरा समर्थन करते हैं.

उन्होंने कहा कि धर्मपुर खण्ड में पैदा होने वाली फसलों की बिक्री के लिए कोई केंद्र सरकार ने अभी तक नहीं खोले हैं और न ही फसलों का न्यून्तम समर्थन मूल्य निर्धारित किया है, जिसके कारण यहां किसानों को मक्की, आम, किन्नू, हल्दी, अदरक इत्यादि का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है.

सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य करें निर्धारित

दूसरी तरफ मक्की की खरीद किसानों से करने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है और व्यापारी मनमर्जी के दाम पर किसानों से मक्की की खरीद करते हैं. इसलिए सरकार को धर्मपुर में मक्की और आम क्रय विक्रय केंद्र खोलने चाहिये. इसके अलावा सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाना चाहिए.

खेतों के लिए पानी उपलब्ध नहीं

इसके अलावा खैर के पेड़ों की खरीद करने के लिए भी न्यून्तम समर्थन मूल्य तय करने की जरूरत है, ताकि किसानों को उनका सही और उचित मूल्य मिल सके. इसके अलावा धर्मपुर में दो दर्जन सिंचाई योजनायें अभी तक बनाई गई है, लेकिन इनसे किसानों के खेतों के लिए कहीं भी पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है.

स्थानीय विधायक व मंत्री को ठहराया जिम्मेदार

धर्मपुर में कृषि विभाग के खंड स्तरीय अधिकारी और क्षेत्रीय प्रसार अधिकारियों के आधा दर्जन पद खाली पड़े हैं, जिन्हें भरा नहीं जा रहा है. भूपेंद्र सिंह ने इसके लिए स्थानीय विधायक व मन्त्री को जिम्मेदार ठहराया है और मांग की है कि वर्तमान गेहूं की फसल जो सूखे से नष्ट होने के कगार पर है, इसलिए सिंचाई योजनाएं जल्दी बहाल की जाएं और कर्मचारिओं के खाली पद भी भरे जाएं.

सरकार से ये की मांग

इसके अलावा किसान विरोधी तीनों कृषि बिल रद्द करने, पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतें कम करने, बढ़ती महंगाई पर रोक लगाने, डिपुओं में मिलने वाले राशन की मात्रा बढ़ाने और कीमतें कम करने, मनरेगा के काम शुरू करने, अवैध खनन पर रोक लगाने की भी मांग सरकार से की गई.

ये भी पढ़ें: सोमवार से शुरू होंगी एचपीयू की पीजी कोर्स की परीक्षाएं, एग्जाम देने से पहले जान लें ये शर्तें

धर्मपुर/मंडी: हिमाचल किसान सभा धर्मपुर खण्ड कमेटी ने किसानों की मांगों को लेकर एसडीएम कार्यालय धर्मपुर के बाहर धरना प्रदर्शन किया. इसके बाद एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को मांगपत्र सौंपा गया. प्रर्दशन का नेतृत्व किसान सभा के अध्यक्ष रणतांज राणा व पूर्व जिला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने किया.

इस मौके पर रणतांज राणा ने कहा कि दिल्ली में किसान कृषि बिलों के विरोध में 108 दिनों से संघर्ष कर रहे हैं और हम धर्मपुर किसान सभा की ओर से उन्हें पूरा समर्थन करते हैं.

उन्होंने कहा कि धर्मपुर खण्ड में पैदा होने वाली फसलों की बिक्री के लिए कोई केंद्र सरकार ने अभी तक नहीं खोले हैं और न ही फसलों का न्यून्तम समर्थन मूल्य निर्धारित किया है, जिसके कारण यहां किसानों को मक्की, आम, किन्नू, हल्दी, अदरक इत्यादि का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है.

सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य करें निर्धारित

दूसरी तरफ मक्की की खरीद किसानों से करने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है और व्यापारी मनमर्जी के दाम पर किसानों से मक्की की खरीद करते हैं. इसलिए सरकार को धर्मपुर में मक्की और आम क्रय विक्रय केंद्र खोलने चाहिये. इसके अलावा सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाना चाहिए.

खेतों के लिए पानी उपलब्ध नहीं

इसके अलावा खैर के पेड़ों की खरीद करने के लिए भी न्यून्तम समर्थन मूल्य तय करने की जरूरत है, ताकि किसानों को उनका सही और उचित मूल्य मिल सके. इसके अलावा धर्मपुर में दो दर्जन सिंचाई योजनायें अभी तक बनाई गई है, लेकिन इनसे किसानों के खेतों के लिए कहीं भी पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है.

स्थानीय विधायक व मंत्री को ठहराया जिम्मेदार

धर्मपुर में कृषि विभाग के खंड स्तरीय अधिकारी और क्षेत्रीय प्रसार अधिकारियों के आधा दर्जन पद खाली पड़े हैं, जिन्हें भरा नहीं जा रहा है. भूपेंद्र सिंह ने इसके लिए स्थानीय विधायक व मन्त्री को जिम्मेदार ठहराया है और मांग की है कि वर्तमान गेहूं की फसल जो सूखे से नष्ट होने के कगार पर है, इसलिए सिंचाई योजनाएं जल्दी बहाल की जाएं और कर्मचारिओं के खाली पद भी भरे जाएं.

सरकार से ये की मांग

इसके अलावा किसान विरोधी तीनों कृषि बिल रद्द करने, पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतें कम करने, बढ़ती महंगाई पर रोक लगाने, डिपुओं में मिलने वाले राशन की मात्रा बढ़ाने और कीमतें कम करने, मनरेगा के काम शुरू करने, अवैध खनन पर रोक लगाने की भी मांग सरकार से की गई.

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