ETV Bharat / city

इस गांव में आज भी अनोखे तरीके से होती है धान की रोपाई, दिया जाता है भाईचारे का संदेश

author img

By

Published : Jul 14, 2020, 3:04 PM IST

करसोग में भण्डारनु पंचायत के तहत आने वाले गांव में जिस भी किसान के खेतों में धान की रोपाई होती है, वह व्यक्ति एक दिन पहले घर-घर जाकर लोगों को धान की रोपाई करने का संदेश देता है. हर घर से एक-एक महिला या पुरुष सुबह धान की रोपाई के लिए खेतों में पहुंच जाते हैं. ऐसे में सभी लोग पूरा दिन आपसी भाईचारे की भावना के साथ धान की रोपाई करते हैं.

People promoting mutual brotherhood during planting  paddy  in Karsog
करसोग में धान की रोपाई के दौरान आपसी भाईचारे को बढ़ावा देते लोग

करसोग/मंडीः जिला के करसोग में भण्डारनु पंचायत के तहत आने वाले गांव में आज भी (धान की रुहणी) रोपाई बिना मजदूरी के एक दूसरे के सहयोग से की जाती है. गांव में जिस भी किसान के खेतों में धान की रोपाई होती है, वह व्यक्ति एक दिन पहले घर-घर जाकर लोगों को धान की रोपाई करने का संदेश देता है.

इसके बाद अगले दिन हर घर से एक-एक महिला या पुरुष सुबह धान की रोपाई के लिए खेतों में पहुंच जाते हैं. ऐसे में सभी लोग पूरा दिन आपसी भाईचारे की भावना के साथ धान की रोपाई करते हैं. इस दौरान काम करने के साथ-साथ लोकगीतों से एक दूसरे का भी खूब मनोरंजन किया जाता है.

वीडियो.

यहीं, नहीं जिस व्यक्ति के खेतों में धान की रोपाई की होती है. उसके यहां घर पर धान की रोपाई में लगे लोगों के लिए धाम का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें करसोग की मशहूर धुली माह की दाल, राजमाह, मटर पनीर, खट्टी रोगी व मोठा आदि व्यंजन बनाए जाते हैं. इस धाम को भी स्थानीय लोगों के सहयोग से ही तैयार किया जाता हैं.

करसोग के कई गांव में सदियों से चली आ रही परंपरा को आज की युवा पीढ़ी भी निभा रही है. हालांकि, मौसम की बेरुखी से बहुत से खड्डों में पानी सूखने लगा है, ऐसे में कई जगहों पर अब धान की रोपाई नहीं की जाती है.

करसोग में आसपास के गांव में अब भी हर साल धान की रोपाई होती है, फर्क सिर्फ इतना है कि पहले खड्डों में अधिक पानी होने से गर्मियों के सीजन में ही धान की रोपाई का काम पूरा कर लिया जाता था, लेकिन अब लोगों को बरसात का इंतजार करना पड़ता है. इस के साथ किसानों की दिक्कतें भी बढ़ गई हैं.

भण्डारनु के रमेश कुमार का कहना है कि इन दिनों हम युवा किसान धान की रोपाई कर रहे हैं. सभी आपसी भाईचारे के साथ धान की रूहणी लगाते हैं, लेकिन अब मौसम में बदलाव के कारण खेतों को समय पर पानी नहीं मिल पाता है. जिस कारण किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें : सोलन में कोरोना का विस्फोट, एक दिन में 69 मामले आए सामने

करसोग/मंडीः जिला के करसोग में भण्डारनु पंचायत के तहत आने वाले गांव में आज भी (धान की रुहणी) रोपाई बिना मजदूरी के एक दूसरे के सहयोग से की जाती है. गांव में जिस भी किसान के खेतों में धान की रोपाई होती है, वह व्यक्ति एक दिन पहले घर-घर जाकर लोगों को धान की रोपाई करने का संदेश देता है.

इसके बाद अगले दिन हर घर से एक-एक महिला या पुरुष सुबह धान की रोपाई के लिए खेतों में पहुंच जाते हैं. ऐसे में सभी लोग पूरा दिन आपसी भाईचारे की भावना के साथ धान की रोपाई करते हैं. इस दौरान काम करने के साथ-साथ लोकगीतों से एक दूसरे का भी खूब मनोरंजन किया जाता है.

वीडियो.

यहीं, नहीं जिस व्यक्ति के खेतों में धान की रोपाई की होती है. उसके यहां घर पर धान की रोपाई में लगे लोगों के लिए धाम का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें करसोग की मशहूर धुली माह की दाल, राजमाह, मटर पनीर, खट्टी रोगी व मोठा आदि व्यंजन बनाए जाते हैं. इस धाम को भी स्थानीय लोगों के सहयोग से ही तैयार किया जाता हैं.

करसोग के कई गांव में सदियों से चली आ रही परंपरा को आज की युवा पीढ़ी भी निभा रही है. हालांकि, मौसम की बेरुखी से बहुत से खड्डों में पानी सूखने लगा है, ऐसे में कई जगहों पर अब धान की रोपाई नहीं की जाती है.

करसोग में आसपास के गांव में अब भी हर साल धान की रोपाई होती है, फर्क सिर्फ इतना है कि पहले खड्डों में अधिक पानी होने से गर्मियों के सीजन में ही धान की रोपाई का काम पूरा कर लिया जाता था, लेकिन अब लोगों को बरसात का इंतजार करना पड़ता है. इस के साथ किसानों की दिक्कतें भी बढ़ गई हैं.

भण्डारनु के रमेश कुमार का कहना है कि इन दिनों हम युवा किसान धान की रोपाई कर रहे हैं. सभी आपसी भाईचारे के साथ धान की रूहणी लगाते हैं, लेकिन अब मौसम में बदलाव के कारण खेतों को समय पर पानी नहीं मिल पाता है. जिस कारण किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें : सोलन में कोरोना का विस्फोट, एक दिन में 69 मामले आए सामने

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.