मंडी: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी की शोध टीम ने योगी वेमना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर एक नया फोटो कैटलिस्ट विकसित किया है. इससे अब सूर्य की मदद से पानी से हाइड्रोजन प्राप्त की जा सकेगी. यही नहीं पानी के प्रदूषण को भी दूर किया जा सकेगा
इस शोध के नतीजे कैमफोटोकैम नामक पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं. शोध टीम में स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज के एसोसिएट प्रोफेसर (रसायन विज्ञान) डॉ. वेंकट कृष्णन, उनके शोध विद्वान आशीष कुमार, अजय कुमार और योगी वेमना विश्वविद्यालय के डॉ. एमवी शंकर और उनक वेंपुलुरु नवकोटेस्वर राव शामिल हैं.
ये है हाइड्रोजन के प्रयोग
हाइड्रोजन के अनेक उपयोग हैं. हेबर विधि में नाइट्रोजन के साथ संयुक्त हो यह अमोनिया बनता है. जो उर्वरक के रूप में व्यवहार में आता है. तेल के साथ संयुक्त होकर हाइड्रोजन वनस्पति तेल (ठोस या अर्धठोस वसा) बनाता है. खाद्य के रूप में प्रयुक्त होने के लिए वनस्पति तेल बहुत बड़ी मात्रा में बनती है. अपचायक के रूप में यह अनेक धातुओं के निर्माण में काम आता है.
इसकी सहायता से कोयले से संश्लिष्ट पेट्रोलियम भी बनाया जाता है. अनेक ईधंनों में हाइड्रोजन जलकर ऊष्मा उत्पन्न करता है. हल्का होने के कारण गुब्बारा और वायुपोतों में हाइड्रोजन प्रयुक्त होता है और अब इ,ता स्थान अब हीलियम ले रहा है.
नैनोकम्पोजिट फोटोकैटलिस्ट की सीरीज की डिजाइन
शोधकर्ताओं ने नए और बहु-उपयोगी नैनोकम्पोजिट फोटोकैटलिस्ट की सीरीज डिजाइन की है. इसके लिए कैल्शियम टाइटेनेट के मेसोक्रिस्टल्स को मोलिब्डेनम डाइसल्फाइड युक्त और कम ग्रेफीन ऑक्साइड वाले सल्फर परमाणुओं को आपस में जोड़ा है. फोटोकैटलिटिक प्रतिक्रिया का विशेष और उपयोगी उदाहरण पानी का हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजन है.
यद्यपि इस प्रतिक्रिया को 1972 की शुरुआत में ही फुजिशिमा और होण्डा ने प्रदर्शित किया था लेकिन इस प्रक्रिया की अक्षमता इसके व्यावहारिक उपयोग की प्रौद्योगिकी विकसित करने में बाधक रही है पर वर्तमान शोध में शोधकर्ताओं ने फोटोकैटलिस्ट्सि से पानी के जैविक प्रदूषकों को भी दूर किया है.
प्रदूषण नियंत्रक तकनीकों की प्रबल संभावना
शोध टीम के प्रोफेसर डॉ. वेंकट कृष्णन ने बताया कि मेसोक्रिस्टल-सेमीकंडक्टर-ग्रैफीन कंबिनेशन प्रकाश के संपर्क में आने पर विभिन्न जैविक प्रदूषकों का भी नाश करता है. इस शोध में प्रदूषण नियंत्रण तकनीकों की भी प्रबल संभावना नजर आती है. उन्होंने बताया कि मैटिरियल के फोटोकैटलिटिक प्रदर्शन में तेजी के तीन कारक मानते हैं.