मंडीः भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने स्पिन-ट्रांस्फर टॉर्क (एसटीटी) आधारित नैनो स्पिंट्रोनिक डिवाइस के डिजाइन का विकास किया है. इससे बिजली आपूर्ति में परेशानी आने पर कंप्यूटर डेटा का नुकसान नहीं होगा.
एमआरएएम के मामले में इन्फॉर्मेशन पारंपरिक इलेक्ट्रिक चार्ज के रूप में नहीं स्टोर होगा बल्कि स्पिन के चुंबकीय एलाइनमेंट से यह कार्य होगा. इस तरह ऊर्जा सक्षमता बढ़ेगी और वर्तमान डीआरएएम और एसआरएएम तकनीकियों (स्टैटिक रैंडम-एक्सेस मेमोरी) की तुलना में कम वॉल्यूम में अधिक इन्फॉर्मेशन स्टोर किया जाएगा.
इस तरह के मेमोरी का एक और लाभ यह है कि उन्हें पारंपरिक अत्यधिक कार्य सक्षम सिलिकॉन से जोड़ा जा सकता है, जो सभी कंप्यूटरों और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के लिए डिजिटल डेटा स्टोरेज की ज्यादा क्षमता कायम करेंगे.
इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स (आईओटी) तकनीक का लाभ लेकर नेक्स्ट-जेनरेशन कंप्युटर, स्मार्टफोन और अन्य गैजेट्स को नया अवतार देने की क्षमता है.
आईआईटी मंडी टीम के हाल के इन शोधों के निष्कर्ष आईईई ट्रांजेक्शन ऑन इलेक्ट्रॉन डिवाइसेज के प्रकाशित किया है. इसके सह-लेखक स्कूल ऑफ कम्प्यूटिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सतिंदर के. शर्मा और डॉ. श्रीकांत श्रीनिवासन हैं. इसमें उनके रिसर्च स्कॉलर मोहम्मद जी मोईनुद्दीन, शिवांगी श्रृंगी और एजाज एच लोन सहयोगी रहे हैं.
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