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यहां चंदन से नहीं माटी से तिलक करते हैं देव और मानस, 'चमत्कारी' मिट्टी में है लोगों की आस्था - नारायण बान

अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में पहुंची देवी अंबिका माता. माता के मूल स्थान नारायण बान की मिट्टी का है विशेष महत्व. देवी-देवताओं का चंदन के बजाय इस मिट्टी से होता है तिलक.

अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में पहुंची देवी अंबिका माता
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Published : Mar 7, 2019, 3:52 PM IST

मंडी: अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करने वाले मंडी जिला के देवी देवताओं की अपनी अलग अलग पहचान और इतिहास है. देवता की अपनी एक अनूठी कहानी है. ऐसी ही एक कहानी है बाली चौकी इलाके के नारायण बान की देवी अंबिका माता की. यहां पर देव और मानस चंदन से नहीं बल्कि मिट्टी से तिलक करते हैं.

अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में पहुंची देवी अंबिका माता

माता अंबिका के मूल स्थान पर खणी पंचायत के नारायण बान गांव में एक विशेष तरह की मिट्टी पाई जाती है. इस मिट्टी को देव तुल्य मानकर हर शुभ कार्य में इसका इस्तेमाल किया जाता है. शिवरात्रि महोत्सव में भी इस मिट्टी से ही शिव और पार्वती की मूर्तियां बनाई जाती हैं और हर कार्य में इस मिट्टी का इस्तेमाल होता है. यहां तक कि देवी देवताओं को भी चंदन से तिलक करने के बजाय इस मिट्टी से ही तिलक किया जाता है.

maa ambika devi
अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में पहुंची देवी अंबिका माता

माता के पुजारी अतीर सिंह ने कहा कि उनके गांव में इस मिट्टी को देव तुल्य मानकर हर शुभ कार्य में इसका इस्तेमाल होता है. माता अंबिका के मूल स्थान निरमंड से निकलने वाली मिट्टी में लोगों की आस्था है. लोग दूर-दूर से माता के दर्शक को आते हैं. कहा जाता है कि इस मिट्टी से चर्म रोग से निजात मिलती है.

मंडी: अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करने वाले मंडी जिला के देवी देवताओं की अपनी अलग अलग पहचान और इतिहास है. देवता की अपनी एक अनूठी कहानी है. ऐसी ही एक कहानी है बाली चौकी इलाके के नारायण बान की देवी अंबिका माता की. यहां पर देव और मानस चंदन से नहीं बल्कि मिट्टी से तिलक करते हैं.

अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में पहुंची देवी अंबिका माता

माता अंबिका के मूल स्थान पर खणी पंचायत के नारायण बान गांव में एक विशेष तरह की मिट्टी पाई जाती है. इस मिट्टी को देव तुल्य मानकर हर शुभ कार्य में इसका इस्तेमाल किया जाता है. शिवरात्रि महोत्सव में भी इस मिट्टी से ही शिव और पार्वती की मूर्तियां बनाई जाती हैं और हर कार्य में इस मिट्टी का इस्तेमाल होता है. यहां तक कि देवी देवताओं को भी चंदन से तिलक करने के बजाय इस मिट्टी से ही तिलक किया जाता है.

maa ambika devi
अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में पहुंची देवी अंबिका माता

माता के पुजारी अतीर सिंह ने कहा कि उनके गांव में इस मिट्टी को देव तुल्य मानकर हर शुभ कार्य में इसका इस्तेमाल होता है. माता अंबिका के मूल स्थान निरमंड से निकलने वाली मिट्टी में लोगों की आस्था है. लोग दूर-दूर से माता के दर्शक को आते हैं. कहा जाता है कि इस मिट्टी से चर्म रोग से निजात मिलती है.

Intro:यहां चंदन से नहीं माटी से तिलक करते हैं देव और मानस, अनूठी देव परंपरा का आज भी हो रहा निर्वहन
मंडी.
अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करने वाले मंडी जिला के देवी देवताओं की अपनी अलग अलग पहचान और इतिहास है. देवता की अपनी एक अनूठी कहानी है.


Body:ऐसी ही एक कहानी है बाली चौकी क्षेत्र की देवी अंबिका माता नारायण बान की। यहां पर देव और मानस चंदन से नहीं बल्कि मिट्टी से तिलक करते हैं। माता अंबिका के मूल स्थान पर खणी पंचायत के नारायनबान गांव में एक विशेष तरह की मिट्टी पाई जाती है। इस मिट्टी को देव तुल्य मानकर हर शुभ कार्य में इसका इस्तेमाल किया जाता है। शिवरात्रि महोत्सव में भी इस मिट्टी से ही शिव और पार्वती की मूर्तियां बनाई जाती हैं और हर कार्य में इस देर तो ले मिट्टी का इस्तेमाल होता है। यहां तक कि देवी देवताओं को भी चंदन से तिलक करने के बजाय इस मिट्टी से ही तिलक किया जाता है। माता के पुजारी अतीर सिंह ने कहा कि उनके गांव में इस मिट्टी को देव तुल्य मानकर हर शुभ कार्य में इसका इस्तेमाल होता है.


Conclusion:पुजारी का कहना है कि इस मिट्टी के इस्तेमाल से चर्म रोग से भी मुक्ति मिलती है. माता अंबिका का मूल स्थान निरमंड है. पुजारी ने कहा कि क्षेत्र में माता के मूल स्थान से निकलने वाली इस मिट्टी को लेकर लोगों में बड़ी आस्था है दूर-दूर से लोग यहां पर माता के दर्शनों को पहुंचते हैं.
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