मंडी: कोरोना संकट काल में ऑक्सीजन संकट (oxygen crisis) ने देश के कोने-कोने में तांडव मचाया लेकिन करीब 70 लाख की आबादी वाले देव भूमि हिमाचल में ऑक्सीजन की ज्यादा कमी देखने को नहीं मिली. उल्टा प्रदेश में ऑक्सीजन की अधिकता को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को विकट परिस्थिति में मदद करने का आश्वासन दिया था. अब पता चला है कि राज्य को 1 जनवरी 2021 से 31 मई 2021 के मध्य 1801 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मदद केंद्र सरकार से प्राप्त हुई थी. इसका खुलासा आरटीआई के माध्यम से सामाजिक कार्यकर्ता सुजीत स्वामी ने की है.
एक्सप्लोसिव विभाग के डिप्टी कंट्रोलर (Deputy Controller of Explosives Department) की तरफ से दी गई जानकारी से पता चला कि हिमाचल प्रदेश को सबसे ज्यादा मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई मई माह में दी गई जबकि सबसे कम सप्लाई फरवरी माह में दी गई. प्रदेश को केंद्र सरकार द्वारा जनवरी माह में कुल 265.17 मीट्रिक टन, फरवरी माह में कुल 218.11 मीट्रिक टन, मार्च माह में कुल 224.47 मीट्रिक टन, अप्रैल माह में 354.09 मीट्रिक टन और मई माह में 739.39 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई दी गई.
इन पांच महीनों में 23 मई को 35.38 मीट्रिक टन ऑक्सीजन देकर सबसे ज्यादा सप्लाई गई, जबकि सबसे कम 4.22 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई 10 मार्च को गई. प्रदेश में एवरेज मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई (Medical Oxygen Supply) जनवरी महीने में 8.55 मीट्रिक टन, फरवरी में 7.79 मीट्रिक टन, मार्च में 7.24 मीट्रिक टन, अप्रैल में 11.803 मीट्रिक टन और मई 23.86 मीट्रिक टन रही. वहीं, इन पांच महीनों में हिमाचल प्रदेश के समकक्ष माने जाने वाले राज्य जम्मू कश्मीर (Jammu & Kashmir) को 1973.17 मीट्रिक टन, उत्तराखंड को 8055.79 मीट्रिक टन, हरियाणा को 12586 मीट्रिक टन एवं पंजाब-चंडीगढ़ को 16107.58 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई केंद्र द्वारा दी गई.
सुजीत स्वामी का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर (second wave of corona) के दौरान पुरे देश में ऑक्सीजन संकट गहराया था, लेकिन हिमाचल प्रदेश में अच्छी व्यवस्था एवं आम जन की जागरूकता के कारण ऑक्सीजन संकट देखने को नहीं मिला. लोगों को उचित चिक्तिसा व्यवस्था एवं मेडिकल फैसिलिटी (medical facility) समय पर मिलने के कारण मामला अधिक गंभीर नहीं हुआ.
इस दौरान ऑक्सीजन की कमी के ज्यादा मरीज देखने को नहीं मिले और इस वजह से ही केंद्र से मिली इतनी कम सप्लाई को भी सरप्लस में बदल दिया गया. लोगों की जागरूकता, सरकार-प्रशासन की व्यापक देखरेख से ही हिमाचल को इस भयंकर आपदा का सामना नहीं करना पड़ा, यदि ऐसा होता तो परिणाम बहुत ही खतरनाक हो सकते थे, क्योंकि बिना रेलवे ट्रैक एवं दुर्गम रास्तों के जरिये मदद को मिलने में मुश्किल हो सकती थी.
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