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फसल नष्ट करने पर बंदरों को मार सकेंगे किसान, केंद्र सरकार ने बंदरों को घोषित किया वर्मिन

डीएफओ वन मंडल करसोग आरके शर्मा का कहना है कि भारत सरकार ने बंदरों को वर्मिन घोषित किया है. जिसमें करसोग तहसील भी शामिल है. केंद्र सरकार ने वन विभाग को इस बारे में आदेश पारित किए हैं. इसके मुताबिक निजी भूमि में बंदर आ रहे हैं तो किसानों को उन्हें मारने की अनुमति होगी.

Farmer can kill monkeys
खेतों में फसल को नष्ट करने पर बंदरों को मार सकेंगे किसान,केंद्र सरकार ने बंदरों को वर्मिन किया घोषित
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Published : May 30, 2020, 6:58 PM IST

मंडीः जिला के करसोग उपमंडल के हजारों किसानों को उत्पाती बंदरों से राहत मिल सकती है. केंद्र सरकार ने बंदरों को वर्मिन घोषित कर दिया है. अब निजी भूमि में बंदर आते हैं तो किसान उन्हें शेड्यूल 5 वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत मार सकते हैं. केंद्र सरकार ने इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है.

इसके मुताबिक प्रदेश की 91 तहसीलों में बंदरों को वर्मिन घोषित किया गया है. इसमें जिला मंडी की 10 तहसीलों को भी लिया गया है, जिसमें करसोग भी शामिल है, ऐसे में बंदरों के उत्पात से परेशान हजारों किसानों को बड़ी राहत मिलेगी. बता दें कि किसान केवल अपनी निजी भूमि पर ही नुकसान करने पर बंदरों को मार सकेंगे, वन क्षेत्र में बंदरों को मारने की अनुमति नहीं होगी. बंदरों को मारने की अनुमति को मारने के आदेश एक साल तक लागू रहेंगे.

वीडियो.

प्रदेश सहित करसोग में बंदर खेती को भारी नुकसान पहुंचा रहे थे, यहीं नहीं हिंसक हो चुके बंदरों ने लोगों पर भी हमले करने शुरू कर दिए थे. प्रदेश में बंदरों के काटने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इस समस्या को देखते हुए प्रदेश सरकार ने एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को भेजी थी, जिसमें लोगों को बंदरों की समस्या से निजात दिलाने की मांग की गई थी. जिस पर केंद्र सरकार ने बंदरों को वर्मिन घोषित कर किसानों को बड़ी राहत प्रदान की है.

किसान छोड़ रहे हैं खेती

उपमंडल में बंदरों ने काफी उत्पात मचा रखा है. हर साल बंदर खेतों में ही किसानों की लाखों की फसलों को उजाड़ कर नष्ट करते हैं. जिस कारण धीरे-धीरे किसानों ने अपने कृषि के पुश्तैनी पेशे को छोड़ना शुरू कर दिया है. कई जगहों पर तो जंगल के साथ लगती निजी भूमि पर किसानों ने खेती करना ही छोड़ दिया है, जिससे कृषि योग्य भूमि अब बंजर पड़ गई है.

हालांकि सरकार ने कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल बढ़ाने के किए मनरेगा जैसी महत्वकांक्षी योजना में किसानों को भूमि सुधार की सुविधा भी दे रही है, जिसमें किसानों को बंजर भूमि को खेती योग्य बनाने को 1 लाख रुपये का प्रावधान है, लेकिन बंदरों की समस्या से ये योजना भी अधिक कारगर नजर नहीं आ रही थी.

डीएफओ वन मंडल करसोग आरके शर्मा का कहना है कि भारत सरकार ने बंदरों को वर्मिन घोषित किया है. जिसमें करसोग तहसील भी शामिल है. केंद्र सरकार ने वन विभाग को इस बारे में आदेश पारित किए हैं. इसके मुताबिक निजी भूमि में बंदर आ रहे हैं तो किसानों को उन्हें मारने की अनुमति होगी.

मंडीः जिला के करसोग उपमंडल के हजारों किसानों को उत्पाती बंदरों से राहत मिल सकती है. केंद्र सरकार ने बंदरों को वर्मिन घोषित कर दिया है. अब निजी भूमि में बंदर आते हैं तो किसान उन्हें शेड्यूल 5 वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत मार सकते हैं. केंद्र सरकार ने इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है.

इसके मुताबिक प्रदेश की 91 तहसीलों में बंदरों को वर्मिन घोषित किया गया है. इसमें जिला मंडी की 10 तहसीलों को भी लिया गया है, जिसमें करसोग भी शामिल है, ऐसे में बंदरों के उत्पात से परेशान हजारों किसानों को बड़ी राहत मिलेगी. बता दें कि किसान केवल अपनी निजी भूमि पर ही नुकसान करने पर बंदरों को मार सकेंगे, वन क्षेत्र में बंदरों को मारने की अनुमति नहीं होगी. बंदरों को मारने की अनुमति को मारने के आदेश एक साल तक लागू रहेंगे.

वीडियो.

प्रदेश सहित करसोग में बंदर खेती को भारी नुकसान पहुंचा रहे थे, यहीं नहीं हिंसक हो चुके बंदरों ने लोगों पर भी हमले करने शुरू कर दिए थे. प्रदेश में बंदरों के काटने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इस समस्या को देखते हुए प्रदेश सरकार ने एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को भेजी थी, जिसमें लोगों को बंदरों की समस्या से निजात दिलाने की मांग की गई थी. जिस पर केंद्र सरकार ने बंदरों को वर्मिन घोषित कर किसानों को बड़ी राहत प्रदान की है.

किसान छोड़ रहे हैं खेती

उपमंडल में बंदरों ने काफी उत्पात मचा रखा है. हर साल बंदर खेतों में ही किसानों की लाखों की फसलों को उजाड़ कर नष्ट करते हैं. जिस कारण धीरे-धीरे किसानों ने अपने कृषि के पुश्तैनी पेशे को छोड़ना शुरू कर दिया है. कई जगहों पर तो जंगल के साथ लगती निजी भूमि पर किसानों ने खेती करना ही छोड़ दिया है, जिससे कृषि योग्य भूमि अब बंजर पड़ गई है.

हालांकि सरकार ने कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल बढ़ाने के किए मनरेगा जैसी महत्वकांक्षी योजना में किसानों को भूमि सुधार की सुविधा भी दे रही है, जिसमें किसानों को बंजर भूमि को खेती योग्य बनाने को 1 लाख रुपये का प्रावधान है, लेकिन बंदरों की समस्या से ये योजना भी अधिक कारगर नजर नहीं आ रही थी.

डीएफओ वन मंडल करसोग आरके शर्मा का कहना है कि भारत सरकार ने बंदरों को वर्मिन घोषित किया है. जिसमें करसोग तहसील भी शामिल है. केंद्र सरकार ने वन विभाग को इस बारे में आदेश पारित किए हैं. इसके मुताबिक निजी भूमि में बंदर आ रहे हैं तो किसानों को उन्हें मारने की अनुमति होगी.

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