सुंदरनगर: कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर के प्रभारी डॉ. पंकज सूद ने टिड्डियों के प्रकोप को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि प्रदेश को टिड्डी दल के प्रकोप से कोई खतरा नहीं है, क्योंकि किसानों को घास के ऊपर जो नजर आ रहा है वो टिड्डी नहीं, बल्कि उनके शिशु हैं.
डॉ. पंकज सूद ने कहा कि हालांकि फिर भी ऐहतिहात के तौर पर कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर की ओर से प्रदेश में प्रचार और प्रसार सामग्री वितरित की जा चुकी है. कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर के प्रभारी डॉ. पंकज सूद ने बताया कि प्रदेश के कांगड़ा, ऊना और सिरमौर जिला में प्रचार सामग्री का वितरण ज्यादा किया गया है, क्योंकि ये जिला पंजाब व अन्य पड़ोसी राज्यों की सीमा से जुड़े हुए हैं.
उन्होंने कहा कि अफवाह फैलाने के लिए प्रदेश में टिड्डी दल के कई वीडियो वायरल किए जा रहे हैं. ऐसे में किसान सहित आम लोग इस तरह की वीडियो पर ध्यान न दें. वैज्ञानिक डॉ. पंकज सूद ने कहा कि हिमाचल प्रदेश अभी तक टिड्डी दल के प्रकोप से दूर है और ये पड़ोसी राज्यों में ही संभव है.
उन्होंने किसानों को संदेश दिया है कि वो टिड्डी दल से अपनी फसलों को बचाने के लिए खेत में थोड़ी मदूरी पर कचरे की छोटी डेरिया बनाकर रखें, ताकि टिड्डियों के आने पर उनको जलाया जा सके.
डॉ. पंकज सूद ने कहा कि टिड्डियों को भागने के लिए परंपरागत उपाय जैसे ताली बजाना व खेतों में धुंआ करना होगा, क्योंकि आवाज को टिड्डी महसूस करती है और अपना रास्ता बदल देती है. उन्होंने कहा कि खेतों में गहरी खुदाई की जानी चाहिए और उसमें पानी भर देना चाहिए. साथ ही लहसुन मिर्च के अर्क और अलसी के तेल का उपयोग भी करना चाहिए.
कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर के प्रभारी ने बताया कि रेगिस्तानी टिड्डी दल किसानों के सबसे प्राचीन शत्रु हैं और इनके माध्यम से बड़े आकार के टिड्डे होते हैं. उन्होंने कहा कि जब वो अकेले होते हैं तो साधारण कीटों की तरह व्यवहार करते हैं, लेकिन संख्या ज्यादा होने पर ये झुंड बनाकर रहते हैं.
ये भी पढ़ें: शादी समारोह का बहाना बनाकर कुल्लू पहुंचे सैलानी, कोविड रिपोर्ट नहीं मिलने पर पुलिस ने किया गिरफ्तार