करसोग: हिमाचल में जिला मंडी के करसोग में पीडब्ल्यूडी की लापरवाही ने सरकार के विकासकार्यों के दावों की पोल खोल दी है. प्रदेश में हजारों किलोमीटर सड़क बनाने का दम भरने वाला लोक निर्माण विभाग, करसोग में पांच सालों में 900 मीटर बाईपास के निर्माण कार्य को सिरे नहीं चढ़ा पाया है. ऐसे में विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली ने सरकार की छवि पर भी बट्टा लगा दिया है. करसोग बाजार में जाम की समस्या से निजात पाने (traffic problem in karsog) के लिए गैस गोदान के समीप से बरल पुल तक बाईपास बनाने का निर्णय लिया गया था.
प्रदेश सरकार की लताड़ के बाद पीडब्ल्यूडी ने करीब दो साल पहले (bypass not built in karsog) बाईपास का निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया था, लेकिन सालों के बाद भी निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है. इसके अतिरिक्त बाईपास के निर्माण पर विभाग अब तक एक करोड़ की राशि भी खर्च कर चुका हैं. यही नहीं विभाग की सुस्ती से सरकारी पैसे की बर्बादी होने के साथ अप्पर करसोग से लोअर करसोग तक सिंचाई की जो कूहल बनाई गई है, वह भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त की गई है. जिससे किसान, खड्ड में पानी की पर्याप्त सुविधा होने पर भी पिछले दो सालों से धान की फसल भी नहीं लगा पा रहे हैं.
वहीं, जल शक्ति विभाग ने भी कूहल निर्माण पर जनता की खून पसीने की कमाई के लाखों रुपए बर्बाद किए हैं. हैरानी की बात है कि खड्ड के साथ बनाए जा रहे बाईपास में खनन नियमों की भी खुलेआम धज्जियां उड़ाईं जा रही है, लेकिन माइनिंग डिपार्टमेंट ने भी अवैध खनन पर आंखे मूंद रखी हैं. वहीं, सराहन जिला परिषद वार्ड सदस्य किशोरीलाल, समाजसेवी उत्तम चंद चौहान व हरिओम शर्मा का कहना है कि करसोग में बाई पास के निर्माण में भारी अनियमितताएं बरती जा रही हैं. जिसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता अरविंद भारद्वाज का कहना है कि बाईपास के निर्माण पर अभी तक करीब 60 लाख खर्च हुए हैं. उनका कहना है कि बाईपास निर्माण कार्य को जल्द पूरा किया जा रहा है.
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