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करसोग में जैव विविधता उत्सव का आयोजन, लोगों ने विलुप्त होते पारंपरिक अनाजों से तैयार व्यंजनों का लिया आनंद

Biodiversity festival organized in Karsog: बुधवार को करसोग उपमंडल में राम मंदिर में उत्सव आयोजित किया गया. जिसमें लोगों को विलुप्त होते पारंपरिक अनाजों से तैयार हलवा, खीर, चाय व रोटी आदि व्यंजन परोसे गए. इस अवसर पर एसडीएम करसोग सन्नी शर्मा बतौर मुख्यातिथि शिरकत की. लोगों को बताया गया कि एक समय जब देश में अनाज की कमी हो गई थी तो उस वक्त सरकारों ने देशी बीजों को विकसित करने की बजाए विदेशी किस्म के हाइब्रिड बीजों को तवज्जो दी. जिससे देशभर में अन्न की की कमी तो दूर हो गई लेकिन इन बीजों की वजह से खेती विदेशी कंपनियों के हाथों का खिलौना बन गई.

Biodiversity festival organized in Karsog
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Published : Dec 15, 2021, 7:22 PM IST

करसोग: जैव विविधता पर बुधवार को करसोग उपमंडल में राम मंदिर में उत्सव (Biodiversity festival organized in Karsog) आयोजित किया गया. जिसमें लोगों को विलुप्त होते पारंपरिक अनाजों से तैयार हलवा, खीर, चाय व रोटी आदि व्यंजन परोसे गए. इसके साथ ही विलुप्त होते अनाजों जैसे कोदा कौणी, बाथू, नगा जौ, लाल मक्की, ज्वार व काली गेहूं आदि के स्वास्थ्य पर होने वाले फायदों के बारे में भी जानकारी दी गई.

इस अवसर पर एसडीएम करसोग सन्नी शर्मा बतौर मुख्यातिथि शिरकत की. लोगों को बताया गया कि एक समय जब देश में अनाज की कमी हो गई थी तो उस वक्त सरकारों ने देशी बीजों को विकसित करने की बजाए विदेशी किस्म के हाइब्रिड बीजों को तवज्जो दी. जिससे देशभर में अन्न की की कमी तो दूर हो गई, लेकिन इन बीजों की वजह से खेती विदेशी कंपनियों के हाथों का खिलौना बन गई.

विदेशों से आयात किए गए बीजों से अच्छी पैदावार (Traditional cereal dishes of Himachal) लेने के लिए अत्यधिक रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल किया गया. जिसका दुष्प्रभाव ये हुआ कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो गई. यही नहीं रासायनिक खेती से लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ा. इसलिए अब पारंपरिक फसलों की पैदावार लेने का समय आ गया है. जिसके लिए विलुप्त हो रहे बीजों को बचाया जाना जरुरी हो गया है. इसी कड़ी में प्रदेश भर में पर्वतीय टिकाऊ खेती अभियान चलाया जा रहा है.

वीडियो.

इस दौरान बाल विकास परियोजना अधिकारी पृथ्वी सिंह, करसोग नगर पंचायत उपाध्यक्ष बंसी लाल कौंडल, भडारणु पंचायत के प्रधान दिलीप कुमार राजू, कृषि विकास अधिकारी डॉक्टर मीना, महिला मोर्चा की अध्यक्ष बबीत ठाकुर व शोधार्थी गगनदीप सिंह ने भी भाग लिया. कार्यक्रम के संचालक लोक कृषि विशेषज्ञ नेकराम शर्मा ने कहा कि ऋषि मुनियों ने बहुत तपस्या के बाद पारंपरिक कृषि बीजों को विकसित किया था, लेकिन नकदी फसलों के लालच में हमने नए बीज अपना कर बीमारियों को न्योता दिया है. ऐसे में अब फिर से पारंपरिक खेती का वक्त आ गया है. जिसके लिए विलुप्त होते पुराने बीजों को बचाया जाना बहुत ही आवश्यक है.

एसडीएम सन्नी शर्मा ने कहा कि जो किसान इस तरह के अनाज की खेती कर रहे हैं, इसका अध्ययन किया चाहिए. इसकी बिक्री के लिए करसोग में एक जैविक कृषि उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध किया जाएगा. इस के लिए सभी विभागों से बात कर जगह देखी जाएगी. जैविक खेती (organic farming in himachal) करने वाले किसानों के साथ मिलकर जल्द ही कृषि विभाग द्वारा फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन का भी गठन किया.

ये भी पढ़ें- हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद बिपिन रावत और अन्य अफसरों की याद में मनाली की कल्पना ठाकुर लगाएंगी 3000 पौधे

करसोग: जैव विविधता पर बुधवार को करसोग उपमंडल में राम मंदिर में उत्सव (Biodiversity festival organized in Karsog) आयोजित किया गया. जिसमें लोगों को विलुप्त होते पारंपरिक अनाजों से तैयार हलवा, खीर, चाय व रोटी आदि व्यंजन परोसे गए. इसके साथ ही विलुप्त होते अनाजों जैसे कोदा कौणी, बाथू, नगा जौ, लाल मक्की, ज्वार व काली गेहूं आदि के स्वास्थ्य पर होने वाले फायदों के बारे में भी जानकारी दी गई.

इस अवसर पर एसडीएम करसोग सन्नी शर्मा बतौर मुख्यातिथि शिरकत की. लोगों को बताया गया कि एक समय जब देश में अनाज की कमी हो गई थी तो उस वक्त सरकारों ने देशी बीजों को विकसित करने की बजाए विदेशी किस्म के हाइब्रिड बीजों को तवज्जो दी. जिससे देशभर में अन्न की की कमी तो दूर हो गई, लेकिन इन बीजों की वजह से खेती विदेशी कंपनियों के हाथों का खिलौना बन गई.

विदेशों से आयात किए गए बीजों से अच्छी पैदावार (Traditional cereal dishes of Himachal) लेने के लिए अत्यधिक रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल किया गया. जिसका दुष्प्रभाव ये हुआ कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो गई. यही नहीं रासायनिक खेती से लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ा. इसलिए अब पारंपरिक फसलों की पैदावार लेने का समय आ गया है. जिसके लिए विलुप्त हो रहे बीजों को बचाया जाना जरुरी हो गया है. इसी कड़ी में प्रदेश भर में पर्वतीय टिकाऊ खेती अभियान चलाया जा रहा है.

वीडियो.

इस दौरान बाल विकास परियोजना अधिकारी पृथ्वी सिंह, करसोग नगर पंचायत उपाध्यक्ष बंसी लाल कौंडल, भडारणु पंचायत के प्रधान दिलीप कुमार राजू, कृषि विकास अधिकारी डॉक्टर मीना, महिला मोर्चा की अध्यक्ष बबीत ठाकुर व शोधार्थी गगनदीप सिंह ने भी भाग लिया. कार्यक्रम के संचालक लोक कृषि विशेषज्ञ नेकराम शर्मा ने कहा कि ऋषि मुनियों ने बहुत तपस्या के बाद पारंपरिक कृषि बीजों को विकसित किया था, लेकिन नकदी फसलों के लालच में हमने नए बीज अपना कर बीमारियों को न्योता दिया है. ऐसे में अब फिर से पारंपरिक खेती का वक्त आ गया है. जिसके लिए विलुप्त होते पुराने बीजों को बचाया जाना बहुत ही आवश्यक है.

एसडीएम सन्नी शर्मा ने कहा कि जो किसान इस तरह के अनाज की खेती कर रहे हैं, इसका अध्ययन किया चाहिए. इसकी बिक्री के लिए करसोग में एक जैविक कृषि उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध किया जाएगा. इस के लिए सभी विभागों से बात कर जगह देखी जाएगी. जैविक खेती (organic farming in himachal) करने वाले किसानों के साथ मिलकर जल्द ही कृषि विभाग द्वारा फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन का भी गठन किया.

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