मंडीः प्रदेश सरकार ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने की बात कर रही है, लेकिन जिला में इसकी तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है. रोहांडा से कमरुनाग जाने पर रास्ते में वन विभाग की ओर से बनाया गया एक मात्र विश्राम कुटीर खस्ता हालात में है. इस विश्राम कुटीर की हालत सुधारने में कोई भी अधिकारी अपनी दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है. जिसको लेकर ग्रामीणों और आम जनता में भारी रोष हैं.
बता दें कि यह विश्राम कुटीर रोहांडा से कमरुनाग जाने वाले रास्ते पर वन विभाग ने आम जनता व कमरुनाग मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लगभग 8 वर्ष पहले बनाया था. इस विश्राम कुटीर की देखभाल न होने के कारण अब ये खंडहर हो चुका है. दीवारें काफी गंदी हो चुकी है और इसके दरवाजे भी कई लोग उखाड़ ले गए हैं.
ग्रामीणों और श्रद्धालुओं ने मांग की है कि इस विश्राम कुटीर में चौकीदार की ड्यूटी लगाकार इसकी हालत सुधारी जाए, ताकि मुसीबत के समय में श्रद्धालु और आम जनता इसमें रह सकें. इसके अलावा ग्रामीणों ने मांग की है कि यहां पर वन विभाग की बहुत सी जमीन खाली पड़ी है. जिसमें नर्सरी का निर्माण कर उसमें पेड़-पौधे लगाए जाए. आने वाले समय में सरकार को इसका फायदा होगा.
वहीं, मंडी निवासी रीतिका ने बताया की वह अपने परिवार के साथ कमरुनाग मंदिर जा रही थी कि अचानक बारिश होने के कारण उन्होंने विश्राम कुटीर में शरण ली, लेकिन यहां की हालत देखकर उन्हें बहुत निराशा हुई. उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इस विश्राम कुटीर की हालत सुधारी जाए, ताकि लोगों को मुसीबत के समय में फायदा मिल सके.
रोहांडा ग्राम पंचायत के प्रधान प्रकाश चंद ने बताया कि रोहांडा से कमरुनाग मंदिर की दूरी लगभग 6 किलोमीटर की है. इसके बीच लोगों को आराम करने के लिए कोई भी ठिकाना नहीं है. सरकार ने 8 वर्ष पहले इस रास्ते पर एक विश्राम कुटीर बनाया था, लेकिन इस विश्राम कुटीर की हालत जर्जर हो गई है.
उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस विश्राम गृह की हालत सुधारने के लिए संबंधित विभाग को निर्देश दें, ताकि प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों से कमरूनाग मंदिर दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को मुसीबत के समय में विश्राम कुटीर में आराम करने के लिए सुविधा मिल सके.