मंडी: यदि आप अपना बच्चा पाल नहीं सकते हैं तो उसे मौत के घाट उतारने के बजाय उसे अस्पताल में स्थापित पालना शिशु स्वागत केंद्र में छोड़ दें. आपसे इसके बारे में कोई कुछ नहीं पूछेगा. सरकार की इस योजना से बहुत ही कम लोग वाकिफ हैं. यही कारण है कि बीते दिनों मंडी जिले में एक मां ने अपनी दो नवजात बच्चियों को मौत की नींद सुला दिया था.
बता दें कि मंडी जिले के 6 अस्पतालों में यह सुविधा मौजूद है. इनमें जोनल हॉस्पिटल मंडी, सिविलि हॉस्पिटल सुंदरनगर, सरकाघाट, जोगिंद्रनगर, करसोग और जंजैहली हास्पिटल शामिल हैं. जोनल हास्पिटल मंडी में यह पालना ब्लड बैंक के सामने स्थापित किया गया है, यदि आप अपने बच्चे को पालने में असमर्थ हैं तो यहां पर आप 6 वर्ष तक की आयु वाले बच्चे को छोड़ सकते हैं.
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दिनेश ठाकुर ने बताया कि बच्चों को न मारा जाए और उन्हें हर कहीं न छोड़ा जाए, इसकी रोकथाम के लिए ही यह पालना स्थापित किया गया है. यदि अभिभावक चाहें तो सीधे चाइल्ड वेल्फेयर कमेटी के समक्ष भी बच्चे को छोड़ सकते हैं. उन्होंने आमजन से इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की अपील भी की है, ताकि बच्चों के साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार को रोका जा सके.
जोनल हास्पिटल मंडी के एमएस डॉ. डीएस वर्मा ने बताया कि जोनल हास्पिटल में स्थापित पालना केंद्र में 2018 से लेकर आज दिन तक 3 बच्चों को छोड़ा जा चुका है, जिन्हें बाद में चाइल्ड वेल्फेयर कमेटी के हवाले कर दिया जाता है. उन्होंने बताया कि बच्चे को छोड़ने वाले से किसी भी प्रकार की कोई पूछताछ नहीं की जाती. जहां पर पालना है वहां पर बच्चे को छोड़ने के बाद साथ लगी घंटी को दबाना होता है, जिसके बाद विभाग के लोग वहां पर जाकर बच्चे को अपने अधीन लेकर चाइल्ड वेल्फेयर कमेटी के हवाले कर देते हैं.
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