मंडी: कोरोना जैसे संकट काल में ग्रामीण क्षेत्रों में कमजोर पड़ी अर्थव्यवस्था मनरेगा के सहारे पटरी पर लौट रही है. उपमंडल करसोग में करीब दो महीनों में गांव के विकास पर 3.74 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं.
उपमंडल में मनरेगा के तहत नए और पुराने 3 हजार 434 काम के लिए मस्टररोल जारी किए जा चुके हैं. इन कार्यों के शुरू किए जाने से करसोग की विभिन्न पंचायतों में 7,305 परिवारों को रोजगार मिला है.
बता दें कि सरकार ने 20 अप्रैल के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा का काम शुरू करने के निर्देश दिए थे, जिससे बेरोजगार हुए लोगों को घर पर रोजगार मिल गया था. क्षेत्र में इन दिनों भूमि सुधार और रेंहरवेस्टिंग टैंक के निर्माण कार्य किए जा रहे हैं.
इसके अलावा रास्तों और ट्रैक्टर रोड को पक्का करने का काम भी चल रहा है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संकट काल में बेरोजगारी की समस्या काफी हद तक दूर हुई है. करसोग में मनरेगा का काम शुरू होने के बाद अभी तक 1,50,674 मेंडेज बन चुके हैं.
कोरोना काल में जिस तरह से मनरेगा ने रफ्तार पकड़ी है, उससे आने वाले दिनों में लोगों को और अधिक रोजगार के मौके मिलेंगे. प्रदेश में सरकार ने एक अप्रैल से श्रमिकों की दिहाड़ी में 13 रुपये की बढ़ोतरी की है, जिससे श्रमिकों को अब मनरेगा में काम करने पर प्रतिदिन 198 रुपये दिहाड़ी दी जा रही है, जो पिछले वित्त साल में 185 रुपये थी.
हालांकि प्रदेश सरकार ने अप्रैल से न्यूनतम दिहाड़ी भी 250 रुपये से बढ़ाकर 275 रुपये कर दी है. इस लिहाज से मनरेगा में काम करने पर न्यूनतम वेतन से 77 रुपये कम दिहाड़ी मिल रही है, लेकिन कोरोना काल के इस मुश्किल दौर में घर पर ही 198 रुपये दिहाड़ी मिलने से श्रमिकों ने राहत की सांस ली है.
बीडीओ राजेंद्र सिंह तेजटा ने बताया कि 20 अप्रैल के बाद करसोग में मनरेगा के मस्टररोल जारी किए गए हैं, जिसमें अभी तक 7 हजार से अधिक परिवारों को रोजगार दिया गया है. उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत अब तक 3.74 करोड़ खर्च किये गए हैं.