कुल्लू: देशभर में सोमवार को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (Trade unions protest in Kullu) के द्वारा मजदूरों की विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल की गई. दो दिवसीय इस हड़ताल में मजदूर संगठनों से जुड़े तमाम यूनियन प्रदर्शन कर रहे हैं. कुल्लू में भी ट्रेड यूनियनों ने अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया. कुल्लू जिला मुख्यालय के सरवरी से लेकर ढालपुर तक केंद्रीय ट्रेड यूनियन द्वारा रैली का आगोजन किया गया. जिसमें विभिन्न यूनियनों से जुड़े हुए सैकड़ों लोगों ने भाग लिया.
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए ट्रेड यूनियनों के प्रवक्ताओं ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में संगठित व असंगठित क्षेत्र में लगभग पंद्रह लाख मजदूर कार्यरत है. वहीं भारतीय श्रम सम्मेलन के विभिन्न सत्रों की सिफारिश अनुसार इन मजदूरों के लिए वेतन से लेकर सामाजिक सुरक्षा का कोई ठोस प्रावधान आज तक नहीं किया गया है. साथ ही 44 श्रम कानूनों को खत्म करके बनाए गए नए 4 श्रम संहिताओं (labour laws in Himachal) के लागू होने से मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा पूरी तरह नष्ट हो गई है.
पूरे देश में पूर्वोत्तर के 5 बेहद छोटे राज्यों के अलावा हिमाचल प्रदेश की एकमात्र राज्य बचा है. जहां पर वेतन को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक अथवा महंगाई सूचकांक के साथ नहीं जोड़ा गया है. देश की तुलना में हिमाचल में औद्योगिक मजदूरों का वेतन बहुत कम है. वहीं आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा जैसे योजना कर्मी कार्यकर्ताओं को पड़ोसी राज्यों की तुलना में बहुत ही कम वेतन मिल रहा है. वहीं मनरेगा मजदूरों को प्रदेश में न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा है.
ऐसे में श्रमिक कल्याण बोर्ड (labor welfare board Himachal) द्वारा उपलब्ध करवाए जाने वाले आर्थिक लाभ व सामान पिछले कुछ वर्षों से नहीं दिए जा रहे हैं. सीटू के जिलाध्यक्ष सरचंद ठाकुर ने कहा कि आउट सोर्स मजदूरों के स्थायीकरण के लिए प्रदेश में कोई ठोस नीति नहीं बनाई जा रही है. वहीं हिमाचल में मोटर व्हीकल एक्ट को भी आनन-फानन में लागू किया गया है. जिससे भारी जुर्माना से न केवल गाड़ी धारक वहीं आम नागरिकों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने मांग उठाई की 44 श्रम कानूनों को खत्म कर 4 श्रम सहिंताओं में बदलने के मजदूर विरोधी निर्णय को वापस लिया जाए.
ये भी पढ़ें: हिमाचल में भारत बंद का असर, प्रदेश की सड़कों पर जगह-जगह जन विरोधी नीतियों के खिलाफ हुआ प्रदर्शन