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लाहौल में किसानों के लिए आफत बनी बेमौसम बर्फबारी, फसलों का खराब होने का सता रहा डर

लाहौल-स्पीति में बीते दिन हुई भारी बर्फबारी मटर व आइसबर्ग (गोभी की किस्म) की फसल के आफत बनकर गिरी है. बर्फबारी से किसानों की फसल भी बर्फ में दब गई. लाहौल के किसानों का कहना है कि इस सर्दी में पहले के मुकाबले बहुत कम बर्फबारी हुई थी. लाहौल घाटी में इस सर्दी के मौसम की बेरुखी से किसान सिंचाई को लेकर परेशान थे.

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Published : Apr 27, 2021, 11:02 AM IST

लाहौल-स्पीतिः घाटी में बीते दिन हुई भारी बर्फबारी मटर व आइसबर्ग (गोभी की किस्म) की फसल के लिए आफत बनकर बरसी है. यहां घाटी के लोगों का सैकड़ों बीघा जमीन पर मटर की निराई का कार्य शुरू होने वाला है. कुछ हिस्सों में यह काम शुरू हो गया है. किसान कई दिनों से मटर की निराई के लिए मौसम खुलने का इंतजार कर रहे थे. बीते दिन हुई ताजा बर्फबारी ने किसानों की चिंता को बढ़ा दिया है.

बर्फबारी से किसानों की फसल भी बर्फ में दब गई. लाहौल के किसानों का कहना है कि इस सर्दी में पहले के मुकाबले बहुत कम बर्फबारी हुई थी. लाहौल घाटी में इस सर्दी के मौसम की बेरुखी से किसान सिंचाई को लेकर परेशान थे.

असमय भारी बर्फबारी होने से किसान परेशान

अब फसल बीजने के बाद अप्रैल में भारी बर्फबारी होने से किसानों की परेशानी फिर बढ़ गई है. पट्टन घाटी के किसान रमेश लाल, दुनी चंद, सुरेश कुमार, प्रेम चंद और शाम लाल का कहना है कि इस सर्दी में कम बर्फबारी हुई है, लेकिन अप्रैल में हो रही बर्फबारी ग्लेशियरों के लिए संजीवनी है.

फसल को लेकर किसान परेशान

प्रेम चंद और शाम लाल ने कहा कि लाहौल की खेती सिंचाई पर निर्भर है. गर्मी के दिनों में बर्फ पिघलने से इसका फायदा किसानों को होता है,लेकिन फसल बिजाई के असमय बर्फबारी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. पट्टन, मयाड़ सहित तोद घाटी में मटर बिजाई हो चुकी है. साथ ही पट्टन घाटी में निराई का कार्य भी शुरू हो गया है. ठोलंग, शांशा, कीरतिंग सहित कई गांव के किसान आइसबर्ग की फसल को लेकर परेशान है.

ये भी पढ़ेंः शिमला: अस्पताल में ऑक्सीजन न मिलने से मरीज की मौत, परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप

लाहौल-स्पीतिः घाटी में बीते दिन हुई भारी बर्फबारी मटर व आइसबर्ग (गोभी की किस्म) की फसल के लिए आफत बनकर बरसी है. यहां घाटी के लोगों का सैकड़ों बीघा जमीन पर मटर की निराई का कार्य शुरू होने वाला है. कुछ हिस्सों में यह काम शुरू हो गया है. किसान कई दिनों से मटर की निराई के लिए मौसम खुलने का इंतजार कर रहे थे. बीते दिन हुई ताजा बर्फबारी ने किसानों की चिंता को बढ़ा दिया है.

बर्फबारी से किसानों की फसल भी बर्फ में दब गई. लाहौल के किसानों का कहना है कि इस सर्दी में पहले के मुकाबले बहुत कम बर्फबारी हुई थी. लाहौल घाटी में इस सर्दी के मौसम की बेरुखी से किसान सिंचाई को लेकर परेशान थे.

असमय भारी बर्फबारी होने से किसान परेशान

अब फसल बीजने के बाद अप्रैल में भारी बर्फबारी होने से किसानों की परेशानी फिर बढ़ गई है. पट्टन घाटी के किसान रमेश लाल, दुनी चंद, सुरेश कुमार, प्रेम चंद और शाम लाल का कहना है कि इस सर्दी में कम बर्फबारी हुई है, लेकिन अप्रैल में हो रही बर्फबारी ग्लेशियरों के लिए संजीवनी है.

फसल को लेकर किसान परेशान

प्रेम चंद और शाम लाल ने कहा कि लाहौल की खेती सिंचाई पर निर्भर है. गर्मी के दिनों में बर्फ पिघलने से इसका फायदा किसानों को होता है,लेकिन फसल बिजाई के असमय बर्फबारी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. पट्टन, मयाड़ सहित तोद घाटी में मटर बिजाई हो चुकी है. साथ ही पट्टन घाटी में निराई का कार्य भी शुरू हो गया है. ठोलंग, शांशा, कीरतिंग सहित कई गांव के किसान आइसबर्ग की फसल को लेकर परेशान है.

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