कुल्लू: देश भर में नवरात्रि की धूम मची हुई है और भक्त देश भर के देवालय में जाकर मां का आशीर्वाद ग्रहण कर रहे (Shardiya Navratri 2022 2nd Day) हैं. ऐसे में नवरात्र के दूसरे दिन भक्तों के द्वारा मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जा रही है. मां ब्रह्मचारिणी के नाम में ही उनकी शक्तियों की महिमा का वर्णन मिलता है. ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली. अर्थात तप का आचरण करने वाली शक्ति को हम बार-बार नमन करते हैं. माता के इस स्वरूप की पूजा करने से तप, त्याग, संयम, सदाचार की वृद्धि होती है. जीवन के कठिन से कठिन समय में भी इंसान अपने पथ से विचलित नहीं होता है.
नवरात्रि के दूसरे दिन पूजित ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) आंतरिक जागरण का प्रतिनिधित्व करती हैं. मां सृष्टि में ऊर्जा के प्रवाह, कार्यकुशलता और आंतरिक शक्ति में विस्तार की जननी है. ब्रह्मचारिणी इस लोक के समस्त चर और अचर जगत की विद्याओं की ज्ञाता हैं. इनका स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिपटी हुई कन्या के रूप में है, जिनके एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे में कमंडल है. यह अक्षयमाला और कमंडल धारिणी ब्रह्मचारिणी नामक दुर्गा शास्त्रों के ज्ञान और निगमागम तंत्र-मंत्र आदि से संयुक्त हैं.
भक्तों को यह अपनी सर्वज्ञ संपन्न विद्या देकर विजयी बनाती हैं. ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत ही सादा और भव्य है. अन्य देवियों की तुलना में वह अति सौम्य, क्रोध रहित और तुरंत वरदान देने वाली देवी हैं. माता ब्रह्मचारिणी को तप की देवी माना जाता है. हजारों वर्षों कठिन तपस्य करने के बाद माता का नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा था. तपस्या की इस अवधि में उन्होंने कई सालों तक निराहार व्रत किया था, जिससे देवों के देव महादेव प्रसन्न हुए थे. शिवजी ने प्रसन्न होकर माता पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया (Brahmacharini Mata ka Mantra) था.
मां ब्रह्मचारिणी देवी का पूजा मंत्र-
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।
माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि- हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू से ज्योतिषाचार्य दीप कुमार बताते हैं कि मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा शास्त्रीय विधि से की जाती (Maa Brahmacharini Puja Vidhi) है. सुबह शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा की उपासना करें और मां की पूजा में पीले या सफेद रंग के वस्त्र का उपयोग करें. माता का सबसे पहले पंचामृत से स्नान कराएं, इसके बाद रोली, अक्षत, चंदन अर्पित करे. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में गुड़हल या कमल के फूल का ही प्रयोग करें.
माता को दूध से बनी चीजों का ही भोग लगाएं. इसके साथ ही मन में माता के मंत्र या जयकारे लगाते रहें. इसके बाद पान-सुपारी भेंट करने के बाद प्रदक्षिणा करें. फिर कलश देवता और नवग्रह की पूजा करें. घी और कपूर से बने दीपक से माता की आरती उतारें और दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करें. पाठ करने के बाद सच्चे मन से माता के जयकारे लगाएं. इससे माता की असीम अनुकंपा प्राप्त होगी.
माता ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व- माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करना बहुत सरल है और उससे भी सरल है इनको प्रसन्न करना. मां ब्रह्मचारिणी को सच्ची श्रद्धा से अगर बुलाया जाए तो वह तुरंत आ जाती हैं. मां दुर्गा का यह स्वरूप अनंत फल देने वाला माना गया (Brahmacharini Mata Ki Aart) है. मां की पूजा करने से ज्ञान की वृद्धि होती है और सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है. माता ब्रह्मचारिणी ने अपने तप के माध्यम से ही हजारों राक्षसों का अंत किया था. तप करने से इनको असीम शक्ति प्राप्त हुई थी.
मां अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बनाए रखती हैं और आशीर्वाद देती हैं. माता के आशीर्वाद से हर कार्य पूरे हो जाते हैं और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है. माता की आराधना करने से जीवन में संयम, बल, सात्विक, आत्मविश्वास की वृद्धि होती है. माता की शक्ति के प्रभाव से तन-मन के सभी दोष दूर होते हैं और जीवन में उत्साह व उमंग के साथ-साथ धैर्य व साहस का समावेश होता है. मां दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप दिव्य और अलौकिक प्रकाश लेकर आता है.
ये भी पढ़ें: Shardiya Navratri 2022: शूलिनी मंदिर में भक्तों का लगा तांता, धनीराम शांडिल ने भी की पूजा अर्चना