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लाहौल स्पीति को हरा भरा करेगा रूस का हाइब्रिड छरमा, खेतों में भूमि कटाव से भी मिलेगी निजात - chharma in Lahaul and Spiti

रूस का हाइब्रिड छरमा (Russian hybrid seabuckthorn) लाहौल स्पीति में अब किसानों की आर्थिकी को मजबूत करेगा. इसके लिए वन विभाग के सहयोग से किसानों (farmers in Lahaul and Spiti) को छरमा की खेती के तौर-तरीके बताए गए हैं.दरअसल वनों में उगने वाले छरमा की किस्म अच्छी न होने के कारण एक हेक्टेयर में करीब 0.07 टन पैदावार होती है. लेकिन हाइब्रिड छरमा लगाने से किसानों को काफी लाभ होगा. ऐसे अब अब खेतों के किनारे छरमा के हाइब्रिड पौधे लगाने से भूमि कटाव भी रुकेगा और हाइब्रिड पौधों से तीन से चार साल में फल व पत्तियां मिलने लगेंगी.

seabuckthorn in lahaul spiti
लाहौल स्पीति में रूस का हाइब्रिड छरमा.
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Published : Jul 9, 2022, 8:17 PM IST

Updated : Jul 11, 2022, 10:06 PM IST

लाहौल स्पीति: जिला लाहौल स्पीति में अब किसानों की आर्थिकी को रूस का हाइब्रिड छरमा मजबूत करेगा. इसके अलावा लाहौल भाटी को हरा-भरा करने में भी रूस का हाइब्रिड छरमा अपना अहम योगदान देगा. लाहौल-स्पीति के वनों में प्राकृतिक तौर पर उगने वाले छरमा की अब खेती होगी. हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (Himalayan Institute of Bioresource Technology, IHBT) व चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर (Chaudhary Saravan Kumar Himachal Pradesh Agricultural University Palampur) ने लाहौल-स्पीति के किसानों को रूस से मंगवाए गए हाइब्रिड छरमा के पौधे उपलब्ध करवाए हैं.

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने लाहौल-स्पीति के ठंडे एवं शुष्क क्षेत्रों को हरा-भरा बनाने व छरमा की खेती शुरू करने के लिए सुरक्षित हिमालय नाम से प्रोजेक्ट सौंपा था. वन विभाग के सहयोग से यहां के किसानों (farmers in Lahaul and Spiti) को छरमा की खेती के तौर-तरीके बताए गए. इसके फल व पत्तियों से उत्पाद तैयार करने के लिए मयाड़ में प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया गया हैं.

seabuckthorn
छरमा फल.

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए प्रशिक्षण शिविर: वहीं, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं (Self Help Groups in Lahaul Spiti) को उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया. मयाड़ संयंत्र में पिछले साल ट्रायल के तौर पर उत्पाद तैयार किए थे. वो इस बार ग्रीन टी, जूस, जैम व पाउडर मार्केट में उतारे जा रहे हैं. वनों में प्राकृतिक तौर पर उगने वाले छरमा के फल व पत्तियों को एकत्र कर लोग खुद के लिए पाउडर या फिर जूस आदि तैयार करते थे. कुछ लोग मार्केट में छरमा की पत्तियां बेच देते थे.

seabuckthorn in lahaul spiti
लाहौल स्पीति में रूस का हाइब्रिड छरमा.

वनों में उगने वाले छरमा की किस्म अच्छी न होने के कारण एक हेक्टेयर में करीब 0.07 टन पैदावार होती है. लाहौल में बड़े पैमाने पर आलू, मटर व फूलगोभी आदि की खेती होती है. ऐसे में छरमा की खेती से आलू व सब्जी उत्पादन पर भी कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा. अब खेतों के किनारे छरमा के हाइब्रिड पौधे (Russian hybrid seabuckthorn) लगाए जाएंगे. इससे भूमि कटाव भी रुकेगा और हाइब्रिड पौधों से तीन से चार साल में फल व पत्तियां मिलना शुरू होंगी. एक हेक्टेयर में उत्पादन करीब छह टन रहेगा. मयाड़ प्रसंस्करण संयंत्र में उत्पाद सुखाने के लिए सोलर ड्रायर लगाया गया है.

seabuckthorn in lahaul spiti
लाहौल स्पीति में छरमा

छरमा के फल में ओमेगा-7 फैटी एसिड: कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर के प्रभारी डॉ. पंकज सूद (Krishi Vigyan Kendra Sundernagar) ने बताया कि छरमा के फल में ओमेगा-7 फैटी एसिड पाया जाता है. फल स्वास्थ्य के लिए बेहतर है. इसकी पत्तियों में भी भरपूर मात्रा में ओमेगा फैटी एसिड 3, 6, 7 और 9 होते हैं. इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स पाया जाता है. इसमें विटामिन सी, ई, अमीनो एसिड, लिपिड, बीटा कैरोटीन, लाइकोपीन के अलावा प्रोविटामिन, खनिज और बायोलाजिकल एक्टिव तत्व पाएं जाते हैं. छरमा रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और कैंसर के उपचार में भी मददगार है.

क्या कहते हैं लाहौल वनमंडल के डीएफओ: लाहौल वनमंडल के डीएफओ दिनेश कुमार का कहना है कि लाहौल के किसानों को छरमा की खेती (chharma in Lahaul and Spiti) करने व उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया है. स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं बड़े पैमाने पर ग्रीन टी, जैम, जूस व पाउडर इत्यादि उत्पाद तैयार कर रही हैं. किसानों को हाइब्रिड पौधे भी उपलब्ध करवाए गए हैं.

seabuckthorn in lahaul spiti
लाहौल स्पीति में रूस का हाइब्रिड छरमा

क्या कहते हैं आयुर्वेदिक अस्पताल कुल्लू के डॉक्टर: वहीं, आयुर्वेदिक अस्पताल कुल्लू में तैनात डॉक्टर मनीष सूद का कहना है कि इस फल व तैयार उत्पादों का सेवन करने से यह शरीर की वृद्धि, विकास और उसे स्वस्थ रखता है. अन्य कोशिकाओं संरचनाओं के लिए निर्णाण ब्लॉक के रुप में काम करता है और ठंडे शरीर में इंसुलेशन देता है. उन्होंने बताया कि यह एक एथलीट को बेहतर प्रदर्शन में भी मदद करता है. वहीं, मानसिक तनाव, कैंसर, डायबिटीज, मांसपेशियों को मजबूत, थायरॉइड को कंट्रोल, लिवर को हेल्दी और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है.

लाहौल स्पीति: जिला लाहौल स्पीति में अब किसानों की आर्थिकी को रूस का हाइब्रिड छरमा मजबूत करेगा. इसके अलावा लाहौल भाटी को हरा-भरा करने में भी रूस का हाइब्रिड छरमा अपना अहम योगदान देगा. लाहौल-स्पीति के वनों में प्राकृतिक तौर पर उगने वाले छरमा की अब खेती होगी. हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (Himalayan Institute of Bioresource Technology, IHBT) व चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर (Chaudhary Saravan Kumar Himachal Pradesh Agricultural University Palampur) ने लाहौल-स्पीति के किसानों को रूस से मंगवाए गए हाइब्रिड छरमा के पौधे उपलब्ध करवाए हैं.

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने लाहौल-स्पीति के ठंडे एवं शुष्क क्षेत्रों को हरा-भरा बनाने व छरमा की खेती शुरू करने के लिए सुरक्षित हिमालय नाम से प्रोजेक्ट सौंपा था. वन विभाग के सहयोग से यहां के किसानों (farmers in Lahaul and Spiti) को छरमा की खेती के तौर-तरीके बताए गए. इसके फल व पत्तियों से उत्पाद तैयार करने के लिए मयाड़ में प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया गया हैं.

seabuckthorn
छरमा फल.

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए प्रशिक्षण शिविर: वहीं, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं (Self Help Groups in Lahaul Spiti) को उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया. मयाड़ संयंत्र में पिछले साल ट्रायल के तौर पर उत्पाद तैयार किए थे. वो इस बार ग्रीन टी, जूस, जैम व पाउडर मार्केट में उतारे जा रहे हैं. वनों में प्राकृतिक तौर पर उगने वाले छरमा के फल व पत्तियों को एकत्र कर लोग खुद के लिए पाउडर या फिर जूस आदि तैयार करते थे. कुछ लोग मार्केट में छरमा की पत्तियां बेच देते थे.

seabuckthorn in lahaul spiti
लाहौल स्पीति में रूस का हाइब्रिड छरमा.

वनों में उगने वाले छरमा की किस्म अच्छी न होने के कारण एक हेक्टेयर में करीब 0.07 टन पैदावार होती है. लाहौल में बड़े पैमाने पर आलू, मटर व फूलगोभी आदि की खेती होती है. ऐसे में छरमा की खेती से आलू व सब्जी उत्पादन पर भी कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा. अब खेतों के किनारे छरमा के हाइब्रिड पौधे (Russian hybrid seabuckthorn) लगाए जाएंगे. इससे भूमि कटाव भी रुकेगा और हाइब्रिड पौधों से तीन से चार साल में फल व पत्तियां मिलना शुरू होंगी. एक हेक्टेयर में उत्पादन करीब छह टन रहेगा. मयाड़ प्रसंस्करण संयंत्र में उत्पाद सुखाने के लिए सोलर ड्रायर लगाया गया है.

seabuckthorn in lahaul spiti
लाहौल स्पीति में छरमा

छरमा के फल में ओमेगा-7 फैटी एसिड: कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर के प्रभारी डॉ. पंकज सूद (Krishi Vigyan Kendra Sundernagar) ने बताया कि छरमा के फल में ओमेगा-7 फैटी एसिड पाया जाता है. फल स्वास्थ्य के लिए बेहतर है. इसकी पत्तियों में भी भरपूर मात्रा में ओमेगा फैटी एसिड 3, 6, 7 और 9 होते हैं. इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स पाया जाता है. इसमें विटामिन सी, ई, अमीनो एसिड, लिपिड, बीटा कैरोटीन, लाइकोपीन के अलावा प्रोविटामिन, खनिज और बायोलाजिकल एक्टिव तत्व पाएं जाते हैं. छरमा रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और कैंसर के उपचार में भी मददगार है.

क्या कहते हैं लाहौल वनमंडल के डीएफओ: लाहौल वनमंडल के डीएफओ दिनेश कुमार का कहना है कि लाहौल के किसानों को छरमा की खेती (chharma in Lahaul and Spiti) करने व उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया है. स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं बड़े पैमाने पर ग्रीन टी, जैम, जूस व पाउडर इत्यादि उत्पाद तैयार कर रही हैं. किसानों को हाइब्रिड पौधे भी उपलब्ध करवाए गए हैं.

seabuckthorn in lahaul spiti
लाहौल स्पीति में रूस का हाइब्रिड छरमा

क्या कहते हैं आयुर्वेदिक अस्पताल कुल्लू के डॉक्टर: वहीं, आयुर्वेदिक अस्पताल कुल्लू में तैनात डॉक्टर मनीष सूद का कहना है कि इस फल व तैयार उत्पादों का सेवन करने से यह शरीर की वृद्धि, विकास और उसे स्वस्थ रखता है. अन्य कोशिकाओं संरचनाओं के लिए निर्णाण ब्लॉक के रुप में काम करता है और ठंडे शरीर में इंसुलेशन देता है. उन्होंने बताया कि यह एक एथलीट को बेहतर प्रदर्शन में भी मदद करता है. वहीं, मानसिक तनाव, कैंसर, डायबिटीज, मांसपेशियों को मजबूत, थायरॉइड को कंट्रोल, लिवर को हेल्दी और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है.

Last Updated : Jul 11, 2022, 10:06 PM IST
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