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ये कैसा विकास! सड़क न होने के कारण 18KM बर्फ में कुर्सी पर बैठाकर गर्भवती को पहुंचाना पड़ा अस्पताल - road problem in kullu

सैंज घाटी में सड़क और अस्पताल न होने से गांव के लोगों को गर्भवती को कुर्सी पर बैठाकर पैदल चलकर सड़क तक पहुंचाना पड़ा. परिवार वालों ने गांव वालों की मदद ली और एक कुर्सी को लकड़ी के डंडों से बांध दिया.

Road problem in Kullu
सड़क समस्या कुल्लू
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Published : Feb 17, 2020, 12:36 PM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू की सैंज घाटी में सड़क और अस्पताल न होने के कारण गांव के लोगों को गर्भवती महिला को कुर्सी पर बैठाकर 18 किलोमीटर पैदल चलकर सड़क तक पहुंचाना पड़ा. ये मामला शाक्टी गांव का है. रविवार सुबह सुनीता देवी (27) को प्रसव पीड़ा शुरू हुई जिसके बाद महिलाओं ने उसे कुर्सी पर अस्पताल पहुंचाया.

परिवार वालों ने गांव वालों की मदद ली और एक कुर्सी को लकड़ी के डंडों से बांध दिया. सुनीता को कुर्सी पर बैठाया और खड़े और उतराई वाले बर्फीले रास्ते से करीब 18 किलोमीटर पैदल चलकर पांच घंटे बाद निहानी तक पहुंचाया. इसके बाद सुनीता को गाड़ी से सैंज अस्पताल पहुंचाया जहां उन्हें उपचार दिया जा रहा है.

वीडियो रिपोर्ट

उल्लेखनीय है कि डेढ़ महीने के भीतर इस तरह का यह चौथा मामला है. गाड़ापारली पंचायत से दो और रैला पंचायत से महिला को भी कुर्सी में उठाकर सड़क तक पहुंचाया गया था. बीते दिनों पोलियो की दवा पिलाने जा रही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की बर्फीले रास्ते में फिसलकर खाई में गिरने से जान जा चुकी है. इसके बावजूद बावजूद प्रशासन इसको लेकर कोई कदम हीं उठा रहा है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि आजादी के 73 साल बाद भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. सैंज घाटी के दूरस्थ गांव शुगाड़, शाक्टी, मरौड और कुटला को सड़क भी नसीब नहीं हुई है. लोग मरीजों को ही नहीं, अपनी रोजमर्रा की वस्तुओं को भी पीठ पर उठाकर लाने को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें: नैना देवी में नकली किन्नरों के गिरोह का पर्दाफाश, श्रद्धालुओं से ऐंठते थे पैसे

कुल्लू: जिला कुल्लू की सैंज घाटी में सड़क और अस्पताल न होने के कारण गांव के लोगों को गर्भवती महिला को कुर्सी पर बैठाकर 18 किलोमीटर पैदल चलकर सड़क तक पहुंचाना पड़ा. ये मामला शाक्टी गांव का है. रविवार सुबह सुनीता देवी (27) को प्रसव पीड़ा शुरू हुई जिसके बाद महिलाओं ने उसे कुर्सी पर अस्पताल पहुंचाया.

परिवार वालों ने गांव वालों की मदद ली और एक कुर्सी को लकड़ी के डंडों से बांध दिया. सुनीता को कुर्सी पर बैठाया और खड़े और उतराई वाले बर्फीले रास्ते से करीब 18 किलोमीटर पैदल चलकर पांच घंटे बाद निहानी तक पहुंचाया. इसके बाद सुनीता को गाड़ी से सैंज अस्पताल पहुंचाया जहां उन्हें उपचार दिया जा रहा है.

वीडियो रिपोर्ट

उल्लेखनीय है कि डेढ़ महीने के भीतर इस तरह का यह चौथा मामला है. गाड़ापारली पंचायत से दो और रैला पंचायत से महिला को भी कुर्सी में उठाकर सड़क तक पहुंचाया गया था. बीते दिनों पोलियो की दवा पिलाने जा रही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की बर्फीले रास्ते में फिसलकर खाई में गिरने से जान जा चुकी है. इसके बावजूद बावजूद प्रशासन इसको लेकर कोई कदम हीं उठा रहा है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि आजादी के 73 साल बाद भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. सैंज घाटी के दूरस्थ गांव शुगाड़, शाक्टी, मरौड और कुटला को सड़क भी नसीब नहीं हुई है. लोग मरीजों को ही नहीं, अपनी रोजमर्रा की वस्तुओं को भी पीठ पर उठाकर लाने को मजबूर हैं.

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