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छरूडू में बार-बार हो रहा लैंडस्लाइड, मौत के 'मुंह' से गुजर कर सफर करने पर मजबूर लोग

कुल्लू से करीब चार किलोमीटर दूर छरूडू के पास बारिश के कारण लैंडस्लाइड का खतरा कुछ समय से बढ़ता जा रहा है, लेकिन जिला प्रशासन इससे बचने के लिए कोई उपाय ढूंढ नहीं पाया है.

छरूडू में लैंडस्लाइड से सड़क हुई खस्ताहाल.
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Published : Apr 19, 2019, 2:38 PM IST

कुल्लू: जिला मुख्यालय कुल्लू से करीब चार किलोमीटर दूर छरूडू के पास भूस्खलन होने से मार्ग की हालत खस्ता हो गई है. बार-बार भूस्खलन से यहां जोखिम बढ़ गया है. रोजाना यहां से हजारों सैलानियों के साथ ऊझी घाटी के लोग जान खतरे में डालकर यहां से गुजरने पर मजबूर हैं. जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन की लापरवाही बड़े हादसे को दावत दे सकती है.

छरूडू में लैंडस्लाइड से सड़क हुई खस्ताहाल.

गत 12 अप्रैल को भी भूस्खलन होने से मार्ग की हालत खराब हो चुकी थी. पर्यटन सीजन के चलते वाहनों की आवाजाही रोजाना यहां से होती है. बारिश के कारण लैंडस्लाइड का खतरा कुछ समय से बढ़ता जा रहा है, लेकिन जिला प्रशासन इससे बचने के लिए कोई उपाय ढूंढ नहीं पाया है.

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गौर रहे कि छरूडू में आज से करीब बीस साल पहले भी काफी बड़ा हादसा हुआ था. भूस्खलन की चपेट में आने से यहां काम कर रहे काफी मजदूरों की मौत हो गई थी. उस वक्त हुए हादसे ने पीड़ित परिवारों को जिंदगीभर के लिए गहरे जख्म दे गया था. उस समय हुई घटना के बाद से अब तक सरकार, लोक निर्माण विभाग, राजनेता यहां पर सुरिक्षत मार्ग के लिए स्थान ढूंढ नहीं पाए हैं.

अब तो हालात और भी खतरनाक होते जा रहे हैं. पिछले साल सितंबर माह आई बाढ़ के कारण पूरा रास्ता बाढ़ में बह गया था. लोनिवि ने आनन-फानन में दूसरा रास्ता तैयार कर दिया है. लेकिन बार-बार भूस्खलन होने के कारण यहां से गुजरने वाले लोगों के सिर पर खतरा मंडरा रहा है.

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सेऊबाग से लेकर काईस, कराड्सू, अरछंडी, लंराकेला, घुड़दौड़, नग्गर, जगतसुख, प्रीणी और मनाली तक के लोग प्रशासन और लोक निर्माण विभाग से लगातार इस गंभीर मसले का समाधान करने की गुहार लगा रहे हैं. लेकिन इसके बाजवूद इस ओर कोई कदन नहीं उठाया जा रहा है.

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कुल्लू-मनाली वामतट मार्ग मनाली की कई पंचायतों को जोड़ता है. यही नहीं विश्व विख्यात पर्यटन नगरी मनाली का समर और विंटर सीजन का आधा ट्रैफिक इसी रास्ते पर निर्भर रहता है. पर्यटन सीजन के चलते रोजाना सैंकड़ों सैलानियों के वाहन सहित स्थानीय लोग यहां से गुजरते हैं. लेकिन प्रशासन स्तर पर इस मार्ग को सुरक्षित बनाने के लिए अबतक कोई पहल नहीं की गई है.

कुल्लू: जिला मुख्यालय कुल्लू से करीब चार किलोमीटर दूर छरूडू के पास भूस्खलन होने से मार्ग की हालत खस्ता हो गई है. बार-बार भूस्खलन से यहां जोखिम बढ़ गया है. रोजाना यहां से हजारों सैलानियों के साथ ऊझी घाटी के लोग जान खतरे में डालकर यहां से गुजरने पर मजबूर हैं. जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन की लापरवाही बड़े हादसे को दावत दे सकती है.

छरूडू में लैंडस्लाइड से सड़क हुई खस्ताहाल.

गत 12 अप्रैल को भी भूस्खलन होने से मार्ग की हालत खराब हो चुकी थी. पर्यटन सीजन के चलते वाहनों की आवाजाही रोजाना यहां से होती है. बारिश के कारण लैंडस्लाइड का खतरा कुछ समय से बढ़ता जा रहा है, लेकिन जिला प्रशासन इससे बचने के लिए कोई उपाय ढूंढ नहीं पाया है.

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गौर रहे कि छरूडू में आज से करीब बीस साल पहले भी काफी बड़ा हादसा हुआ था. भूस्खलन की चपेट में आने से यहां काम कर रहे काफी मजदूरों की मौत हो गई थी. उस वक्त हुए हादसे ने पीड़ित परिवारों को जिंदगीभर के लिए गहरे जख्म दे गया था. उस समय हुई घटना के बाद से अब तक सरकार, लोक निर्माण विभाग, राजनेता यहां पर सुरिक्षत मार्ग के लिए स्थान ढूंढ नहीं पाए हैं.

अब तो हालात और भी खतरनाक होते जा रहे हैं. पिछले साल सितंबर माह आई बाढ़ के कारण पूरा रास्ता बाढ़ में बह गया था. लोनिवि ने आनन-फानन में दूसरा रास्ता तैयार कर दिया है. लेकिन बार-बार भूस्खलन होने के कारण यहां से गुजरने वाले लोगों के सिर पर खतरा मंडरा रहा है.

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सेऊबाग से लेकर काईस, कराड्सू, अरछंडी, लंराकेला, घुड़दौड़, नग्गर, जगतसुख, प्रीणी और मनाली तक के लोग प्रशासन और लोक निर्माण विभाग से लगातार इस गंभीर मसले का समाधान करने की गुहार लगा रहे हैं. लेकिन इसके बाजवूद इस ओर कोई कदन नहीं उठाया जा रहा है.

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कुल्लू-मनाली वामतट मार्ग मनाली की कई पंचायतों को जोड़ता है. यही नहीं विश्व विख्यात पर्यटन नगरी मनाली का समर और विंटर सीजन का आधा ट्रैफिक इसी रास्ते पर निर्भर रहता है. पर्यटन सीजन के चलते रोजाना सैंकड़ों सैलानियों के वाहन सहित स्थानीय लोग यहां से गुजरते हैं. लेकिन प्रशासन स्तर पर इस मार्ग को सुरक्षित बनाने के लिए अबतक कोई पहल नहीं की गई है.

छरूडू के पास बार बार भूस्खलन होने से लोगो की बढ़ रही दिक्कते

कुल्लू
जिला मुख्यालय कुल्लू से करीब चार किलोमीटर दूर कुल्लू के छरूडू के पास एक बार फिर भूस्खलन होने से मार्ग की खस्ता हालत हो गई है। ऐसे में लोगों को यहां जान जोखिम में डालकर मार्ग को पार करना पड़ा रहा है। गत 12 अप्रैल को भी भूस्खलन होने के चलते मार्ग की खस्ताहालत हो चुकी थी। वहीं, एक बार फिर भूस्खलन होने से रास्ते से गुजरना किसी खतरे से कम नहीं है। रोजारा यहां से सैंकड़ों वाहन गुजरते है। पर्यटन सीजन के चलते वाहनों की आवाजाही रोजाना यहां से होती है। किस तरह से हजारों सैलानियों के साथ ऊझी घाटी के लोग सफर कर रहे हैं। यहां की तस्वीर देखकर शरीर कांप उठता है। खतरा कुछ समय से बढ़ता जा रहा है, लेकिन तेजी से विकल्प अभी तक भी जिला प्रशासन ढूंढ नहीं पाई है।  जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन की लापवाही कभी बड़े हादसे को यहां न्यौता दे सकती है। सेऊबाग के बाद यहां अब इस स्थान पर भूस्खलन आम सा हो गया है। जिस और अगर समय रहते कोई दूसरा विकल्प नहीं तलाशा गया तो कभी बड़े हादसे को न्यौता भी दे सकता है। गौर रहे कि  छरूडू नामक स्थान इस स्थान पर आज से  बीस वर्ष पहले भी काफी बड़ा हादसा हुआ है। जहां पर  भूस्खलन की चपेट में काफी मजदूर दब चुके हैं और परिवार को उस वक्त का हादसा जिंदगीभर के लिए गहरे जख्म दे गया। लेकिन आज दिनों तक सरकार, लोक निर्माण विभाग, राजनेता यहां पर सुरिक्षत मार्ग के लिए स्थान ढूंढ नहीं पाए हैं। अब तो हालत और भी खस्ता होते जा रहे है। गत कुछ माह पूर्व आई बाढ़ के बाद से रास्ता पूरा ही पानी मेंं बह गया। लोनिवि ने रास्ता तो दूसरा आनन फानन में तैयार कर दिया है। लेकिन अब भूस्खलन बार बार होने से खतरा सर पर मंडरा रहा है। हालांकि सेऊबाग से लेकर काईस, कराड्सू, अरछंडी, लंराकेला, घुड़दौड़, नग्गर, जगतसुख, प्रीणी और मनाली तक के लोग प्रशासन और लोक निर्माण विभाग से लगातार इस गंभीर मसले का समाधान करने की गुहार लगा रहे हैं,लेकिन इसके लिए सिर्फ दावे ही आंके जा रहे हैं, लेकिन मार्ग उसी जोखिम भरे स्थान होकर खोला जा रहा है। कुल्लू-मनाली वामतट मार्ग मनाली विधानसभा क्षेत्र की कई पंचायतों को जोड़ता है और यहां हजारों की आबादी रहती है। यही नहीं विश्व विख्यात  पर्यटन नगरी मनाली का समर और विंटर सीजन का आधा ट्रैफिक इसी मार्ग पर निर्भर रहता है। पर्यटन सीजन के चलते रोजाना सैंकड़ों सैलानियों के वाहनों सहित स्थानीय वाहन यहां से गुजरते है।  लेकिन इस मार्ग को सुरक्षित बनाने की पहल नहीं की जा रही है।

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