कुल्लू: जिला मुख्यालय कुल्लू से करीब चार किलोमीटर दूर छरूडू के पास भूस्खलन होने से मार्ग की हालत खस्ता हो गई है. बार-बार भूस्खलन से यहां जोखिम बढ़ गया है. रोजाना यहां से हजारों सैलानियों के साथ ऊझी घाटी के लोग जान खतरे में डालकर यहां से गुजरने पर मजबूर हैं. जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन की लापरवाही बड़े हादसे को दावत दे सकती है.
गत 12 अप्रैल को भी भूस्खलन होने से मार्ग की हालत खराब हो चुकी थी. पर्यटन सीजन के चलते वाहनों की आवाजाही रोजाना यहां से होती है. बारिश के कारण लैंडस्लाइड का खतरा कुछ समय से बढ़ता जा रहा है, लेकिन जिला प्रशासन इससे बचने के लिए कोई उपाय ढूंढ नहीं पाया है.
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गौर रहे कि छरूडू में आज से करीब बीस साल पहले भी काफी बड़ा हादसा हुआ था. भूस्खलन की चपेट में आने से यहां काम कर रहे काफी मजदूरों की मौत हो गई थी. उस वक्त हुए हादसे ने पीड़ित परिवारों को जिंदगीभर के लिए गहरे जख्म दे गया था. उस समय हुई घटना के बाद से अब तक सरकार, लोक निर्माण विभाग, राजनेता यहां पर सुरिक्षत मार्ग के लिए स्थान ढूंढ नहीं पाए हैं.
अब तो हालात और भी खतरनाक होते जा रहे हैं. पिछले साल सितंबर माह आई बाढ़ के कारण पूरा रास्ता बाढ़ में बह गया था. लोनिवि ने आनन-फानन में दूसरा रास्ता तैयार कर दिया है. लेकिन बार-बार भूस्खलन होने के कारण यहां से गुजरने वाले लोगों के सिर पर खतरा मंडरा रहा है.
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सेऊबाग से लेकर काईस, कराड्सू, अरछंडी, लंराकेला, घुड़दौड़, नग्गर, जगतसुख, प्रीणी और मनाली तक के लोग प्रशासन और लोक निर्माण विभाग से लगातार इस गंभीर मसले का समाधान करने की गुहार लगा रहे हैं. लेकिन इसके बाजवूद इस ओर कोई कदन नहीं उठाया जा रहा है.
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कुल्लू-मनाली वामतट मार्ग मनाली की कई पंचायतों को जोड़ता है. यही नहीं विश्व विख्यात पर्यटन नगरी मनाली का समर और विंटर सीजन का आधा ट्रैफिक इसी रास्ते पर निर्भर रहता है. पर्यटन सीजन के चलते रोजाना सैंकड़ों सैलानियों के वाहन सहित स्थानीय लोग यहां से गुजरते हैं. लेकिन प्रशासन स्तर पर इस मार्ग को सुरक्षित बनाने के लिए अबतक कोई पहल नहीं की गई है.