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सैकड़ों देवी देवताओं की उपस्थिति से 'देवलोक' बना ढालपुर, भगवान रघुनाथ की हुई विशेष पूजा - रघुनाथ महाराज

जिला कुल्लू में आयोजित अंतरराष्ट्रीय दशहरे में रोजाना सुबह के समय भगवान रघुनाथ की पूजा के बाद उनका भव्य श्रृंगार किया जा रहा है. इसके बाद सीता हनुमान सहित नरसिंह की भी विधिवत तरीके से पूजा होती है. देवी-देवताओं के मिलन को सैलानी भी अपने कैमरो में कैद कर रहे हैं.

raghunath puja
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Published : Oct 9, 2019, 1:57 PM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू में आयोजित अंतरराष्ट्रीय दशहरे का मुख्य आकर्षण अधिष्ठाता भगवान रघुनाथ का शिविर भक्तिमय हो उठा है. देवता के अस्थाई शिविर में सुबह से शाम तक घाटी के आराध्य देव अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं. भगवान रघुनाथ जी के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सहित सैकड़ों श्रद्धालु पूजा में भाग ले रहे हैं.

बता दें कि रोजाना सुबह के समय भगवान रघुनाथ की पूजा के बाद उनका भव्य श्रृंगार किया जा रहा है. इसके बाद सीता हनुमान सहित नरसिंह की भी विधिवत तरीके से पूजा होती है. देवी-देवताओं के मिलन को सैलानी भी अपने कैमरो में कैद कर रहे हैं. बता दें कि कार्यक्रम के दौरान भक्तों के लिए भंडारे की भी व्यवस्था की जा रही है. वहीं, शाम के समय महिलाएं भजन-कीर्तन कर रघुनाथ जी के अस्थाई शिविर में कर रही हैं.

वीडियो.

कुल्लू दशहरा में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले भगवान रघुनाथ को हर दिन नए-नए वस्त्र और आभूषण पहनाए जाते हैं. अनूठी परंपरा व देव संस्कृति का गढ़ माने जाने वाला विश्व प्रसिद्ध कुल्लू दशहरा में रघुनाथ महाराज का विशेष महत्व है. पहले दिन अपने स्थायी मंदिर रघुनाथपुर से ढालपुर मैदान के अस्थायी कैंप में विराजमान रघुनाथ जी की प्रतिमा का हर दिन स्नान होता है और बेशकीमती रंगबिरंगे आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है.

कुल्लू: जिला कुल्लू में आयोजित अंतरराष्ट्रीय दशहरे का मुख्य आकर्षण अधिष्ठाता भगवान रघुनाथ का शिविर भक्तिमय हो उठा है. देवता के अस्थाई शिविर में सुबह से शाम तक घाटी के आराध्य देव अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं. भगवान रघुनाथ जी के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सहित सैकड़ों श्रद्धालु पूजा में भाग ले रहे हैं.

बता दें कि रोजाना सुबह के समय भगवान रघुनाथ की पूजा के बाद उनका भव्य श्रृंगार किया जा रहा है. इसके बाद सीता हनुमान सहित नरसिंह की भी विधिवत तरीके से पूजा होती है. देवी-देवताओं के मिलन को सैलानी भी अपने कैमरो में कैद कर रहे हैं. बता दें कि कार्यक्रम के दौरान भक्तों के लिए भंडारे की भी व्यवस्था की जा रही है. वहीं, शाम के समय महिलाएं भजन-कीर्तन कर रघुनाथ जी के अस्थाई शिविर में कर रही हैं.

वीडियो.

कुल्लू दशहरा में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले भगवान रघुनाथ को हर दिन नए-नए वस्त्र और आभूषण पहनाए जाते हैं. अनूठी परंपरा व देव संस्कृति का गढ़ माने जाने वाला विश्व प्रसिद्ध कुल्लू दशहरा में रघुनाथ महाराज का विशेष महत्व है. पहले दिन अपने स्थायी मंदिर रघुनाथपुर से ढालपुर मैदान के अस्थायी कैंप में विराजमान रघुनाथ जी की प्रतिमा का हर दिन स्नान होता है और बेशकीमती रंगबिरंगे आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है.

Intro:सैंकड़ो देवी देवताओं की उपस्थिति से ढालपुर हुआ देवमयी
भगवान रघुनाथ की हो रही विशेष पूजा अर्चनाBody:

अंतरराष्ट्रीय दशहरे का मुख्य आकर्षण अधिष्ठाता भगवान रघुनाथ का शिविर भक्तिमय हो उठा है। देवता के अस्थाई शिविर में सुबह से शाम तक घाटी के आराध्य देव अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। भगवान रघुनाथ जी के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सहित सैकड़ों श्रद्धालु सुबह-शाम पूजा में भाग ले रहे हैं। दशहरे में पहुंचे सैकड़ों देवी देवता भगवान रघुनाथ के शिविर में पहुंच कर शीश नवा रहे हैं। हर रोज सुबह के समय से ही भगवान रघुनाथ की पूजा के बाद उनका भव्य श्रृंगार किया जा रहा है और उसके बाद सीता हनुमान सहित नरसिंह की भी विधिवत तरीके से पूजा की जा रही है। पूरा ढालपुर मैदान देव वाद्य यंत्रों से थाप से गूंज उठता है। देवी-देवताओं के मिलन को देशी-विदेशी सैलानी भी अपने कैमरे में कैद कर रहे हैं। यही नहीं भक्तों के लिए भंडारे की भी व्यस्था यहां पर की गई है। वहीं शाम के समय महिलाएं भजन-कीर्तन कर रघुनाथ जी के अस्थाई शिविर में कर रही है।
कुल्लू दशहरा में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले भगवान रघुनाथ जी को हर दिन नए-नए वस्त्र और आभूषण पहनाए जाते हैं। अनूठी परंपरा व देव संस्कृति का गढ़ माने जाने वाला विश्व प्रसिद्ध कुल्लू दशहरा में रघुनाथ महाराज का विशेष महत्व है। पहले दिन अपने स्थायी मंदिर रघुनाथपुर से ढाल पुर मैदान के अस्थायी कैंप में विराजमान रघुनाथ जी की प्रतिमा का हर दिन स्नान होता है और बेशकीमती रंगबिरंगे आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है। Conclusion:यहां देवाधिदेव रघुनाथ जी को प्रतिदिन स्वच्छ जल से स्नान करवाने के बाद श्रृंगार होता है। प्रत्येक दिन रघुनाथ जी को नाना प्रकार के वस्त्र पहनाए जाते हैं।
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