ETV Bharat / city

UGC 7th Pay Scale Demand: यूजीसी वेतनमान की मांग को लेकर कुल्लू और शिमला में भूख हड़ताल पर बैठे प्राध्यापक

author img

By

Published : Jun 4, 2022, 6:18 PM IST

हिमाचल प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों में यूजीसी के सातवें वेतनमान को (UGC 7th Pay Scale Demand) लागू करने के लिए प्राध्यापकों के द्वारा भूख हड़ताल पूरे प्रदेशभर में की जा रही है तो वहीं, कुल्लू राजकीय महाविद्यालय में भी प्राध्यापक इस मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं. वहीं, राजकीय महाविद्यालय चौड़ा मैदान, शिमला की एचजीसीटीए इकाई द्वारा भी यूजीसी के सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने और अन्य मांगों को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन के तेरवें दिन आज सामूहिक भूख हड़ताल की गई.

UGC 7th Pay Scale Demand
हिमाचल में यूजीसी के सातवें वेतनमान की मांग

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों में यूजीसी के सातवें वेतनमान को लागू करने के लिए प्राध्यापकों के द्वारा भूख हड़ताल पूरे प्रदेशभर में की जा रही है तो वहीं, कुल्लू राजकीय महाविद्यालय में भी प्राध्यापक इस मांग को (Professor sitting on hunger strike in Kullu) लेकर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं. कुल्लू कॉलेज में 9 जून तक भूख हड़ताल का आयोजन किया जाएगा और सरकार से मांग रखी जाएगी कि जल्द से जल्द सभी मांगों को स्वीकार किया जाए. छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए अध्यापक भी बारी-बारी इस क्रमिक भूख हड़ताल में शामिल हो रहे हैं. जिससे कॉलेज में छात्रों को भी कोई परेशानी पेश नहीं आ रही है.

राजकीय महाविद्यालय कुल्लू में भूख हड़ताल पर बैठे प्राध्यापकों ने प्रदेश सरकार से मांग रखी कि यूजीसी का सातवां वेतनमान जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए ताकि इसका फायदा प्रदेश के सभी प्राध्यापकों को हो सके. प्राध्यापक संघ कुल्लू के अध्यक्ष डॉ. राकेश राणा का कहना है कि इसके अलावा सरकार से मांग रखी जा रही है कि एमफिल और पीएचडी की वेतन वृद्धि को बहाल किया जाए और कुल्लू महाविद्यालय में प्रोफेसर के पद को भी सृजित किया जाए.

प्राध्यापक संघ कुल्लू के अध्यक्ष डॉ. राकेश राणा

इसके अलावा सभी कर्मचारियों के (Demand for UGC pay scale in Himachal) भविष्य को ध्यान में रखते हुए पुरानी पेंशन स्कीम को भी बाहर किया जाना चाहिए और प्रिंसिपल के प्रमोशन के लिए डीपीसी भी तुरंत बैठक की जानी चाहिए. उनका कहना है कि डीपीसी की बैठक न होने के कारण कई कॉलेज बिना प्रिंसिपल के ही चल रहे हैं. ऐसे में अध्यापकों के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार उनकी मांगों को पूरा करे.

शिमला: राजकीय महाविद्यालय चौड़ा मैदान, शिमला की एचजीसीटीए इकाई द्वारा यूजीसी के सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने और अन्य मांगों को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन के तेरवें दिन आज सामूहिक भूख हड़ताल की गई. एचजीसीटीए के स्थानीय इकाई के अध्यक्ष डॉ. दिलीप शर्मा और सचिव डॉ. सुनील चौहान ने कहा कि जब देश के 28 राज्यों में यूजीसी वेतमान (UGC 7th Pay Scale Demand) लागू किए जा चुके हैं तो हिमाचल प्रदेश, जो शिक्षा में अग्रणी राज्य है, में शिक्षकों के वेतनमानों को अकारण रोकना चिंताजनक और शोचनीय है.

उन्होंने कहा कि महाविद्यालय शिक्षक, मुख्यमंत्री सहित शिक्षा मंत्री व प्रशासकीय अधिकारियों से इस बावत अनेक बार अपनी मांग सांझा कर चुका है. लेकिन कोई प्रगति दृष्टिगोचर नहीं है. महाविद्यालय प्राध्यापक पिछले दस वर्षों से अपने यूजीसी प्रदत्त अधिकारों को लेकर सरकार से गुहार लगा रहे हैं. वर्तमान समय में प्रदेश में लगभग 90 महाविद्यालय बिना प्राचार्य के कार्य कर रहे हैं. चार वर्षों से पात्र प्राध्यापकों की प्रमोशन लम्बित है, बिना प्रमोशन के सेवानिवृत्त हो रहे हैं. महाविद्यालय के प्रशासकीय व विकासात्मक कार्य प्रभावित हो रहे हैं.

2014 से अकारण व एकाएक प्राध्यापकों की पीएचडी व एमफिल उच्च शिक्षा की विशेष वेतनवृद्धियां रोक दी गई जिन्हें बहाल करने की मांग को अनसुना किया जा रहा है. 2009 से भेदभाव तरीके से व अस्पष्ट भर्ती नीति (UGC 7th Pay Scale Demand) से संविदा भर्तियां की गई. भर्ती नियमों को सरकार बदलती रही. प्रारंभ में संविदा के बाद नियमितीकरण की अवधि 8 वर्ष, फिर 5 वर्ष और अब 2 वर्ष की गयी है. इस तरह से भेदभावपूर्ण संविदा शर्तों को थोपा गया और संविदा काल को सेवा में जोड़ा भी नहीं गया. इन सभी मांगों को लेकर सभी प्राध्यापकों ने महाविद्यालय में भूख हड़ताल कर सत्याग्रह किया.

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों में यूजीसी के सातवें वेतनमान को लागू करने के लिए प्राध्यापकों के द्वारा भूख हड़ताल पूरे प्रदेशभर में की जा रही है तो वहीं, कुल्लू राजकीय महाविद्यालय में भी प्राध्यापक इस मांग को (Professor sitting on hunger strike in Kullu) लेकर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं. कुल्लू कॉलेज में 9 जून तक भूख हड़ताल का आयोजन किया जाएगा और सरकार से मांग रखी जाएगी कि जल्द से जल्द सभी मांगों को स्वीकार किया जाए. छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए अध्यापक भी बारी-बारी इस क्रमिक भूख हड़ताल में शामिल हो रहे हैं. जिससे कॉलेज में छात्रों को भी कोई परेशानी पेश नहीं आ रही है.

राजकीय महाविद्यालय कुल्लू में भूख हड़ताल पर बैठे प्राध्यापकों ने प्रदेश सरकार से मांग रखी कि यूजीसी का सातवां वेतनमान जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए ताकि इसका फायदा प्रदेश के सभी प्राध्यापकों को हो सके. प्राध्यापक संघ कुल्लू के अध्यक्ष डॉ. राकेश राणा का कहना है कि इसके अलावा सरकार से मांग रखी जा रही है कि एमफिल और पीएचडी की वेतन वृद्धि को बहाल किया जाए और कुल्लू महाविद्यालय में प्रोफेसर के पद को भी सृजित किया जाए.

प्राध्यापक संघ कुल्लू के अध्यक्ष डॉ. राकेश राणा

इसके अलावा सभी कर्मचारियों के (Demand for UGC pay scale in Himachal) भविष्य को ध्यान में रखते हुए पुरानी पेंशन स्कीम को भी बाहर किया जाना चाहिए और प्रिंसिपल के प्रमोशन के लिए डीपीसी भी तुरंत बैठक की जानी चाहिए. उनका कहना है कि डीपीसी की बैठक न होने के कारण कई कॉलेज बिना प्रिंसिपल के ही चल रहे हैं. ऐसे में अध्यापकों के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार उनकी मांगों को पूरा करे.

शिमला: राजकीय महाविद्यालय चौड़ा मैदान, शिमला की एचजीसीटीए इकाई द्वारा यूजीसी के सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने और अन्य मांगों को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन के तेरवें दिन आज सामूहिक भूख हड़ताल की गई. एचजीसीटीए के स्थानीय इकाई के अध्यक्ष डॉ. दिलीप शर्मा और सचिव डॉ. सुनील चौहान ने कहा कि जब देश के 28 राज्यों में यूजीसी वेतमान (UGC 7th Pay Scale Demand) लागू किए जा चुके हैं तो हिमाचल प्रदेश, जो शिक्षा में अग्रणी राज्य है, में शिक्षकों के वेतनमानों को अकारण रोकना चिंताजनक और शोचनीय है.

उन्होंने कहा कि महाविद्यालय शिक्षक, मुख्यमंत्री सहित शिक्षा मंत्री व प्रशासकीय अधिकारियों से इस बावत अनेक बार अपनी मांग सांझा कर चुका है. लेकिन कोई प्रगति दृष्टिगोचर नहीं है. महाविद्यालय प्राध्यापक पिछले दस वर्षों से अपने यूजीसी प्रदत्त अधिकारों को लेकर सरकार से गुहार लगा रहे हैं. वर्तमान समय में प्रदेश में लगभग 90 महाविद्यालय बिना प्राचार्य के कार्य कर रहे हैं. चार वर्षों से पात्र प्राध्यापकों की प्रमोशन लम्बित है, बिना प्रमोशन के सेवानिवृत्त हो रहे हैं. महाविद्यालय के प्रशासकीय व विकासात्मक कार्य प्रभावित हो रहे हैं.

2014 से अकारण व एकाएक प्राध्यापकों की पीएचडी व एमफिल उच्च शिक्षा की विशेष वेतनवृद्धियां रोक दी गई जिन्हें बहाल करने की मांग को अनसुना किया जा रहा है. 2009 से भेदभाव तरीके से व अस्पष्ट भर्ती नीति (UGC 7th Pay Scale Demand) से संविदा भर्तियां की गई. भर्ती नियमों को सरकार बदलती रही. प्रारंभ में संविदा के बाद नियमितीकरण की अवधि 8 वर्ष, फिर 5 वर्ष और अब 2 वर्ष की गयी है. इस तरह से भेदभावपूर्ण संविदा शर्तों को थोपा गया और संविदा काल को सेवा में जोड़ा भी नहीं गया. इन सभी मांगों को लेकर सभी प्राध्यापकों ने महाविद्यालय में भूख हड़ताल कर सत्याग्रह किया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.