कुल्लू: बच्चों में कुपोषण चिंता की बात है और इस समस्या से निपटने के लिए सरकार की अनेक योजनाएं व कार्यक्रम हैं, जिनका प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिए. ये बात डीसी डॉ. ऋचा वर्मा ने जिला परिषद सभागार में समेकित बाल विकास सेवाओं के तहत जिला स्तरीय अनुश्रवण व समीक्षा समिति बैठक में कही.
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डीसी ने सभी बाल विकास परियोजना अधिकारियों से जिला में पहचान किए गए 18 कुपोषित बच्चों व आंशिक रूप से कुपोषण की समस्या से ग्रसित 231 बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करके उपचार की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए. इसके अलावा उन्होंने चंडीगढ़ या अन्य अस्पताल में रेफर किए गए मामलों की निगरानी करने के लिए जिला कार्यक्रम अधिकारी को निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों के विशेष उपचार व देखभाल की आवश्यकता है और संबंधित विभागों को इस दिशा में हर संभव प्रयास करने चाहिए ताकि सकारात्मक परिणाम आ सके.
डीसी ने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में हर महीने किए जाने वाले स्वास्थ्य परीक्षण को हर हाल में सुनिश्चित किया जाना चाहिए और बच्चों में पाई जाने वाली बीमारियों का तुरंत इलाज होना चाहिए. पूरक पोषाहार पर चर्चा करते हुए डॉ. ऋचा वर्मा ने कहा कि गर्भवती व धात्री माताओं को पेट में पल रहे बच्चे, नवजात शिशु के लिए पर्याप्त आहार नहीं मिल पाता है. ऐसे में आंगनबाड़ी के माध्यम से इन माताओं व बच्चों को पूरक आहार प्रदान किया जा रहा है, ताकि कुपोषण की समस्या न रहे.
पोषण अभियान में सभी हितधारक विभाग सौ फीसदी योगदान करें
उपायुक्त ने कहा कि पोषण अभियान को जिला में मिशन आधार पर क्रियान्वित किया जाना चाहिए. सभी विभागों को आपसी तालमेल के साथ बच्चों, किशोरियों व धात्री महिलाओं में कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए अपना सौ फीसदी योगदान करने की सख्त जरूरत है. उन्होंने कहा कि सूचना, शिक्षा व संप्रेषण गतिविधियों के संचालन के लिए विभागों को अपनी-अपनी जिम्मेदारी की पूरी जानकारी होनी चाहिए.
गांवों में लोगों को पोषण अभियान के दौरान बारीकी से खान-पान, कैलोरी व प्रोटीन के बारे में जानकारी प्रदान की जानी चाहिए, ताकि कोई एक भी बच्चा या महिला कुपोषण की शिकार न बने. बच्चों का आयु के अनुसार वजन और उंचाई के बारे में लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए. इसके अलावा बच्चे को 6 माह तक केवल मां का ही दूध मिले और जन्म के दौरान पहला गाड़ा दूध बच्चे के लिए अत्यावश्यक है जो आजीवन उसे बीमारियों से दूर रखता है. उन्होंने कहा कि पहले दो साल बच्चे के जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष होते हैं और इस दौरान बच्चे का उचित तरीके से पोषण किया जाना चाहिए.
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14 वर्ष उम्र से पहले स्कूल छोड़ने वाले बच्चे का पता लगाए शिक्षा विभाग
डॉ. ऋचा वर्मा ने कहा कि शिक्षा मौलिक अधिकार है और राज्य सरकार लड़कियों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर रही है. जिला में 14 वर्ष आयु से पूर्व 19 लड़कियों द्वारा स्कूल छोड़ने या स्कूल न जाने के बारे में शिक्षा विभाग प्रत्येक बच्ची के घर जाकर रिपोर्ट तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिेए. उन्होंने कहा कि लड़कियों को कम से कम प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए अध्यापकों को अभिभावकों से मिलकर इस बारे में बातचीत करके बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाने के प्रयास करना चाहिए.
आंगनबाड़ी में शौचालयों की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करे विभाग
उपायुक्त ने कहा कि जिले में 1095 आंगनबाड़ी कार्यरत हैं और इनमें से 200 के करीब आदर्श आंगनबाड़ी हैं, जिनमें पेयजल और शौचालयों की व्यवस्था करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी बच्चों के पालन-पोषण में बड़ा योगदान कर रही हैं और सरकार भवनों के लिए माकूल धनराशि उपलब्ध करवा रही है.