आनी/कल्लूः केंद्र सरकार की ओर से पारित किए गए कृषि विधेयकों के विरोध में उपमंडल आनी की हिमाचल किसान सभा इकाई और सीटू ने भी विरोध जताया है. इस दौरान किसान सभा और सीटू की ओर से अपनी मांग से जुड़ा एक ज्ञापन भी एसडीएम के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा.
हिमाचल किसान सभा के जिला सचिव पदम प्रभाकर ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार किसान व मजदूर विरोधी बिल पास कर रही है. केंद्र सरकार ने तीन विषयों पर कृषि बिल संसद से पास कर लिए हैं जिन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी मिलना बाकि है. ये तीनों अध्यादेश भारत के करोड़ों किसान परिवारों के भविष्य से जुड़े हुए हैं.
उन्होंने कहा कि इससे पहले भी कांग्रेस व बीजेपी की सरकारों ने एमएसपी को खत्म करने की तरफ कदम बढ़ाने की असफल कोशिशे की हैं, लेकिन किसानों के दबाव के सामने उन्हें अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं. अब मोदी सरकार कोरोना वायरस के चलते अनैतिक तरीके से ये तीनों अध्यादेश लेकर आई है.
आनी किसान सभा का कहना है कि इस अध्यादेश के जरिये केंद्र सरकार कृषि का पश्चिमी मॉडल किसानों पर थोपना चाहती है, लेकिन सरकार यह बात भूल जाती है कि हमारे किसानों की तुलना विदेशी किसानों से नहीं हो सकती. यहां भूमि-जनसंख्या अनुपात पश्चिमी देशों से अलग है और यहां खेती-किसानी जीवनयापन करने का साधन है. वहीं, पश्चिमी देशों में यह व्यवसाय है. वहीं, हिमाचल किसान सभा की आनी इकाई ने इन विधेयकों को किसान विरोधी बताया है और इन बिलों को वापस लेने की मांग की है.
बता दें कि कृषि विधेयकों के प्रावधानों के खिलाफ विभिन्न किसान व अन्य संगठन सरकार से इस बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. कई किसान संगठनों का कहना है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को किसानों का कानूनी अधिकार घोषित करे. इसके अलावा भी कई प्रावधानों को लेकर किसानों में असंतोष है.
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