कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कथक कलाकार दिनेश गुप्ता और ममता ठाकुर ने शुक्रवार को जिला मुख्यालय सरवरी में चंद्र आभा मेमोरियल ब्लाइंड स्कूल में बच्चों को कथक नृत्य का प्रशिक्षण दिया. साथ ही उन्होंने कथक नृत्य के इतिहास की भी जानकारी दी.
कथक नृत्य शैली में प्रदेश सहित देश-विदेश में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके दिनेश गुप्ता ने कहा कि प्राचीन काल मे कथक को कुशिलव के नाम से जाना जाता था. कथक राजस्थान और उत्तर भारत की नृत्य शैली है. यह बहुत प्राचीन शैली है क्योंकि महाभारत में भी कथक का वर्णन है.
बिरजू महाराज कथक नृत्य से बड़े व्याख्याता
मध्य काल में इसका संबंध कृष्ण कथा और नृत्य से था. मुसलमानों के काल में यह दरबार में भी किया जाने लगा. वर्तमान समय में बिरजू महाराज इसके बड़े व्याख्याता रहे हैं. हिन्दी फिल्मों में अधिकांश नृत्य इसी शैली पर आधारित होते हैं.
कई अवॉर्ड से सम्मानित हो चुके हैं दिनेश गुप्ता
कलाकार दिनेश गुप्ता मंडी जिले के रहने वाले हैं और प्रदेश के पहले पुरुष कथक स्नातकोत्तर है. साहित्य कला परिषद दिल्ली से इन्हे छात्रवृत्ति भी प्राप्त हुई है. इसके साथ ही इन्हें हिमालयन कल्चर हेरिटेज अवार्ड, महाराजा सर चंद्रप्रकाश अवार्ड, हिमाचल एक्सीलेंस अवार्ड, स्वामी विवेकानंद अवार्ड, हिमाचल और नृत्य शिरोमणी अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है. इसके साथ ही ये कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके है.
कहानियों को बोलने का साधन है कथक नृत्य
देश व विदेश में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुकी कथक नृत्य की कुशल नर्तकी ममता ठाकुर ने कहा कि सफलता के इस मुकाम पर पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कथक नृत्य कहानियों को बोलने का साधन है और इस नृत्य के तीन प्रमुख घराने हैं.