कुल्लू: एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्ला संघ को अब सुप्रीम कोर्ट से अपने भविष्य की आस बंध गई है. गुरिल्ला संघ की बैठक ढालपुर कुल्लू में आयोजित हुई. जिसमें कुल्लू व लाहौल के सैकड़ों गुरिल्लाओं ने भाग लिया. यह बैठक जिला अध्यक्ष प्रेम सिंह राणा की अध्यक्षता में संपन्न हुई और इस बैठक में अखिल भारतीय गुरिल्ला संघ के अध्यक्ष प्रीतम सिंह ठाकुर विशेष रूप से उपस्थित रहे.
बैठक को संबोधित करते (SSB trained guerrillas demands) हुए चेयरमैन प्रीतम सिंह ठाकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरिल्लाओं के हक में फैसला देते हुए केंद्र सरकार को कहा है कि गुरिल्ला के लिए कंपीटेंट ऑथोरिटी कुछ न कुछ नीति बनाई जाए. उन्होंने कहा कि यह उनकी पहली जीत है और अब 27 सितंबर को अगली सुनवाई होनी है. इस दिन कंपीटेंट ऑथोरिटी को पॉलिसी पेश (Guerrilla union meeting in Kullu) करनी होगी और हमें उम्मीद है कि हमारा भविष्य सुरक्षित हो जाएगा. बैठक को संबोधित करते हुए जिला अध्यक्ष प्रेम सिंह राणा ने कहा कि अब सभी गुरिल्ला को बैठक में अवश्य आना होगा. वहीं, उन्होंने सदस्यों को चेतावनी देते हुए कहा कि जो सदस्य बैठक में नहीं आएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि जो सदस्य नहीं आए हैं उनके लिए भी विशेष बैठक रखी जाएगी.
कौन होते हैं गुरिल्ला: गौर रहे कि पहले सीमांत क्षेत्र के राज्यों में युवाओं को एसएसबी की तरफ से ट्रेंनिग दी जाती थी और उन्हीं युवाओं में से एसएसबी में भर्ती होते थे. जो भर्ती नहीं हो पाते थे उनके लिए फिर गांव-गांव में ही रिफ्रेशर कोर्स होते थे. जिसमें उनको वर्दी, असला व इंसेंटिव मिलता था. गुरिल्ला एक आरक्षित सेना थी जब कोई सेना हार जाती थी तो यह गुरिल्ला दुश्मनों को हराकर अपने राज्य में कब्जा नहीं करने देते थे. लेकिन बाद में गुरिल्ला की ट्रेनिग बंद कर दी गई और एसएसबी में भी सीधी भर्ती होने लगी. जिस कारण सभी गुरिल्ला बेरोजगार हो गए.
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