कुल्लू: सैंज घाटी के दुर्गम गांव मझाण में हुए अग्निकांड में (KULLU MAZHAN FIRE INCIDENT) जलने वाले मकानों की संख्या 27 तक जा पहुंची है और पूरा गांव खाक में मिल गया है, जबकि इस घटना में 26 गौशालाएं और राई नाग व जाड़ा नाग के दो मंदिर भी (fire in mazhan village of kullu) आग की भेंट चढ़े हैं. जिसके चलते इस घटना में राजस्व विभाग ने करीब नौ करोड़ के नुकसान होने का अनुमान लगाया है.
उधर, विधायक सुरेंद्र शौरी (MLA Surendra Shourie) विधानसभा छोड़कर घटना स्थल पर पहुंचे और डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग भी पैदल प्रभावित गांव पहुंचे. घटना में मझाण गांव के जिन लोगों के घरौंदे व गौशालाएं जलीं हैं, उनमें करताप चंद, मोहर सिंह, नारा देवी, कर्मचंद, देवराज, नोक सिंह, मीर चंद, जोग राज, ध्यान सिंह, तारा चंद, जगदीश चंद, जीत राम, यान सिंह, राजकुमार, भागीरथ, अनिरूद्ध, लोत राम, तीर्थ राम, कुंज लाल, धूप सिंह, तेजा सिंह, शेर सिंह, टेकराम आदि शामिल है, जबकि देवता राईनाग और जाड़ा नाग का मंदिर भी जलकर राख हो गए हैं.
मझाण गांव सड़क से करीब आठ से दस किलामीटर दूर है. जिस कारण गांव तक दमकल विभाग के फायर टेंडर नहीं पहुंच पाए हैं और विभाग की टीम को निहारनी नामक स्थान से आठ से दस किलोमीटर का यह सफर पैदल गांव तक तय करना पड़ा. जिस कारण टीम को गांव तक पहुंचने में करीब तीन घंटे लग गए, लेकिन तब तक सब कुछ तबाह हो चुका था, जबकि गांव में पर्याप्त मात्रा में पानी न होने के कारण लोग भी आग पर काबू पाने में असमर्थ दिखाई दिए. मजबूरन गांव के लोग पत्थर और मिट्टी घरों से उठती आग की लपटों पर फेंकते रहे.
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हालांकि यह घटना शनिवार सुबह साढ़े 11 बजे की घटित हुई बताई जा रही है, लेकिन इस घटना की (fire incident himachal) जानकारी सरकार विभागों तक करीब दो घंटे बाद पहुंच पाई. क्योंकि क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क नहीं होने के चलते ग्रामीण जानकारी समय पर नहीं दे पाए. लिहाजा, जब प्रशासन की टीम भी मौके लिए रवाना हुई तो उनके मोबाइल नेटवर्क भी क्षेत्र में जाकर गायब हो गए. ऐसे में मुख्यालय में बैठे अधिकारियों से भी इस टीम का संपर्क नहीं हो पाया. देर रात को जब यह टीम वापस लौटने लगी तब जाकर मुख्यालय में बैठे अधिकारियों तक घटना की सटीक जानकारी पहुंच पाई.
गौर रहे कि इससे पहले ऐतिहासिक मलाणा गांव प्राचीन भवन निर्माण शैली से बना गांव था, लेकिन इस गांव में इससे पहले दो आगजनी की घटना पेश आ चुकी है. जिसमें पहली घटना में गांव के 48 मकान जले थे, जबकि दूसरी घटना में 148 मकान आग की भेंट चढ़े थे. जिससे लगभग यहां की प्राचीन भवन निर्माण शैली खत्म हो चुकी है. मलाणा का धुंआ अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि मझाण गांव सुलग पड़ा. अब तीसरी बार मलाणा गांव में 12 मकान जल गए हैं. मलाणा गांव में इससे पहले 2007 और 2009 में भयंकर अग्रिकांड हो चुका है.
कुल्लू जिले के गांव अकसर आगजनी की घटना (fire incident in mazhan kullu himachal) से सुलगते रहे हैं. हालांकि 2007 और 2009 में मलाणा गांव आग की भेंट चढ़ा, जबकि मणिकर्ण घाटी का शिल्हा गांव भी दो बार आगजनी की घटना (fire case kullu) पेश आई है, जबकि 2007 नवंबर को बंजार का मोहणी गांव आग की भेंट चढ़ गया था. यह गांव भी दो बार जला है. 2011 में काष्ठकुणी शैली के दो मंदिर और कशु नारायण का मंदिर आग की भेंट चढ़ा. 2011 में आठ नवंबर को बंजार के जमद और पलाहच में आगजनी की घटना हुई. 22 नवंबर को मनाली के वशिष्ठ में आगजनी की घटना घटी. इससे पहले बरशेनी, तोश,कोटला व शांघड़ गांव भी जलकर राख हो चुके हैं.
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