कुल्लू: जिला कुल्लू के विभिन्न इलाकों में अब फागली उत्सव का आगाज हो गया है तो वहीं, देवी देवता भी अब स्वर्ग से वापस लौट आए हैं. शनिवार सुबह से ही मंदिरों में ढोल नगाड़ों की धुन बजती रही और श्रद्धालु भी अपने-अपने इष्ट देवी (Fagli festival begins) देवताओं के दर्शनों के लिए मंदिरों में जुटे रहे. कुछ देवी देवता पौष मास तो कुछ देवी देवता माघ मास की संक्रांति पर अपने स्वर्ग प्रवास की ओर रवाना हो गए थे. अब शनिवार को घाटी के अधिकतर देवी देवता वापस धरती पर लौट आए हैं.
वहीं, कुछ देवी देवता चैत्र मास सक्रांति तो कुछ वैशाख मास सक्रांति को वापस धरती पर लौटेंगे और स्वर्ग लोक में देवी देवताओं के बीच क्या चर्चा हुई और आने वाला समय कैसा रहेगा. इसके बारे में भी भविष्यवाणी करेंगे. जिला कुल्लू के मुख्यालय के साथ खराहल घाटी (Kharhal Valley kullu) के बनोगी गांव में शनिवार को देवता गिरमल के सम्मान में फागली उत्सव का आयोजन (Fagli festival organized) किया गया.
सैकड़ों श्रद्धालु मंदिर पहुंचे: हर साल यहां पर फागली उत्सव का आयोजन किया जाता है और शनिवार सुबह से ही देवता की ढोल नगाड़ों की थाप पर विशेष पूजा-अर्चना भी की गई. देवता गिरमल का आशीर्वाद लेने के लिए खराहल घाटी (FAGLI FESTIVAL CELEBRATED IN KULLU) के श्रद्धालु मंदिर पहुंचे और उन्होंने देवता का आशीर्वाद लिया. इस दौरान पूरे गांव में उत्सव का माहौल बना रहा और हर घर में मेहमान नवाजी का भी विशेष दौर चलता रहा.
बनोगी गांव में 4 दिनों तक फागली उत्सव मनाया जाता है. पहले दिन बनोगी गांव (Fagli festival in Banogi village) में यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है और दूसरे दिन फाड़मेह गांव में इस कार्यक्रम का आयोजन होगा. तीसरे दिन विश्राम किया जाता है और चौथे दिन गाहर गांव में फागली का आयोजन किया जाएगा.
देवता गिरमल के कारदार ठाकुर चंद्र कोठिया व गाहर पंचायत के प्रधान रोहित वत्स धामी ने कहा कि जिला कुल्लू में लोगों की देवी-देवताओं के प्रति गहरी आस्था है और इसे बनाए रखने की भी जरूरत है. उन्होंने कहा कि फागली उत्सव के दौरान हर घर में विशेष मेहमान नवाजी का भी दौर चलता है और युवा भी अपनी संस्कृति से जुड़ कर इस तरह के आयोजनों में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं.
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