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कुल्लू देवी-देवता कारदार संघ के अध्यक्ष बने दोतराम ठाकुर, पूर्व कार्यकारिणी पर बरसे

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Published : Dec 1, 2021, 4:47 PM IST

Kullu Region News: कुल्लू देवी-देवता कारदार संघ (Kullu Devi Devta Kardar Sangh) के अध्यक्ष बनने के बाद दोतराम ठाकुर ने पूर्व कार्यकारिणी को आड़े हाथों लेते हुए कटघरे में खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा कि पूर्व कार्यकारिणी ने देवनीति में राजनीति को प्रवेश करवाया था और एक विशेष गुट के इशारे पर ही काम कर रहा था. वहीं, तीन वर्ष पूर्व करवाई गई महाआरती पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि श्मशान घाट में पूजा करना (worship at the cremation ground) देव संस्कृति के खिलाफ हैं और देवी-देवताओं ने इस बात को नहीं स्वीकारा है.

Dotram Thakur became the president of Kullu Devi Devata Kardar Sangh
कुल्लू देवी-देवता कारदार संघ के अध्यक्ष बने दोतराम ठाकुर

कुल्लू: Kullu Region News: जिला कुल्लू देवी-देवता कारदार संघ (Kullu Devi Devta Kardar Sangh) के अध्यक्ष बनने के बाद दोतराम ठाकुर ने पूर्व कार्यकारिणी को आड़े हाथों लेते हुए कटघरे में खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा कि पूर्व कार्यकारिणी ने देवनीति में राजनीति को प्रवेश करवाया था और एक विशेष गुट के इशारे पर ही काम कर रहा था. मतलब कारदार संघ का रिमोट किसी और के हाथ में था जिस कारण देव संस्कृति का तीन वर्षों में उपहास उड़ाया गया.

वहीं, तीन वर्ष पूर्व करवाई गई महाआरती पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि श्मशान घाट में पूजा करना (worship at the cremation ground) देव संस्कृति के खिलाफ हैं और देवी-देवताओं ने इस बात को नहीं स्वीकारा है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि दशहरा पर्व के दौरान देवधुन को भी देवी-देवताओं ने नहीं स्वीकारा और इसका खामियाजा हम अभी तक भुगत रहे हैं. कभी काहिका करवाना पड़ रहा तो कभी छिद्रा करवानी पड़ रही है.

उन्होंने कहा कि देवी-देवताओं की आवाज को उठाने में कारदार संघ विफल रहा और तभी इस बार देवी-देवताओं का आशीर्वाद उन पर रहा और अब हम देवी-देवताओं की आवाज को बुलंद करेंगें. उन्होंने कहा कि पहले भी हमने देवी-देवताओं की परंपरा (Tradition of deities in Himachal) को जिंदा रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी है.

उन्होंने कहा कि पूर्व कार्यकारिणी यस मैन बनकर रह गई थी. यही कारण रहा कि दशहरा पर्व में देवी-देवताओं पर ही आने में (Kullu Region News) प्रतिबंध लगाया गया था. यदि हमारी कार्यकारिणी सत्ता में होती तो कभी भी देव परंपरा को खंडित होने नहीं देते. उन्होंने कहा कि देव संस्कृति को जिंदा रखने के लिए भरसक प्रयास किए जाएंगे.

गौर रहे कि इस बार के दशहरा पर्व में कारदार संघ देव नजराने की भी आवाज नहीं उठा पाया था और पहली बार दशहरा पर्व में नजराना न देने के फरमान जारी हुए थे. जिससे देव समाज में भारी आक्रोश था और उसका खामियाजा कारदार संघ के चुनाव में हार कर कार्यकारिणी को भुगतना पड़ा और दोतराम ठाकुर का पूरा पैनल भारी मतों से जीता.

ये भी पढ़ें- ...और जब अजगर ने रोक दिया हाईवे पर ट्रैफिक, लगा लंबा जाम

कुल्लू: Kullu Region News: जिला कुल्लू देवी-देवता कारदार संघ (Kullu Devi Devta Kardar Sangh) के अध्यक्ष बनने के बाद दोतराम ठाकुर ने पूर्व कार्यकारिणी को आड़े हाथों लेते हुए कटघरे में खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा कि पूर्व कार्यकारिणी ने देवनीति में राजनीति को प्रवेश करवाया था और एक विशेष गुट के इशारे पर ही काम कर रहा था. मतलब कारदार संघ का रिमोट किसी और के हाथ में था जिस कारण देव संस्कृति का तीन वर्षों में उपहास उड़ाया गया.

वहीं, तीन वर्ष पूर्व करवाई गई महाआरती पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि श्मशान घाट में पूजा करना (worship at the cremation ground) देव संस्कृति के खिलाफ हैं और देवी-देवताओं ने इस बात को नहीं स्वीकारा है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि दशहरा पर्व के दौरान देवधुन को भी देवी-देवताओं ने नहीं स्वीकारा और इसका खामियाजा हम अभी तक भुगत रहे हैं. कभी काहिका करवाना पड़ रहा तो कभी छिद्रा करवानी पड़ रही है.

उन्होंने कहा कि देवी-देवताओं की आवाज को उठाने में कारदार संघ विफल रहा और तभी इस बार देवी-देवताओं का आशीर्वाद उन पर रहा और अब हम देवी-देवताओं की आवाज को बुलंद करेंगें. उन्होंने कहा कि पहले भी हमने देवी-देवताओं की परंपरा (Tradition of deities in Himachal) को जिंदा रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी है.

उन्होंने कहा कि पूर्व कार्यकारिणी यस मैन बनकर रह गई थी. यही कारण रहा कि दशहरा पर्व में देवी-देवताओं पर ही आने में (Kullu Region News) प्रतिबंध लगाया गया था. यदि हमारी कार्यकारिणी सत्ता में होती तो कभी भी देव परंपरा को खंडित होने नहीं देते. उन्होंने कहा कि देव संस्कृति को जिंदा रखने के लिए भरसक प्रयास किए जाएंगे.

गौर रहे कि इस बार के दशहरा पर्व में कारदार संघ देव नजराने की भी आवाज नहीं उठा पाया था और पहली बार दशहरा पर्व में नजराना न देने के फरमान जारी हुए थे. जिससे देव समाज में भारी आक्रोश था और उसका खामियाजा कारदार संघ के चुनाव में हार कर कार्यकारिणी को भुगतना पड़ा और दोतराम ठाकुर का पूरा पैनल भारी मतों से जीता.

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