कुल्लूः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वोकल फॉर लोकल' के नारे से प्रभावित होकर अब जिला कुल्लू में भी एक नया प्रयोग किया गया है. खंड विकास कार्यालय कुल्लू ने महिलाओं को गाय के गोबर से दीपक, धूप और गमला बनाने का प्रशिक्षण दिया है.
ऐसे में अगर यह प्रयोग सफल रहा तो जिला कुल्लू के स्वयं सहायता समूह की महिलाएं खुद आत्मनिर्भर बनने के साथ ही गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाएंगी. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को गोबर से आकर्षक गमले, दीपक, धूप बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है. इसके अलावा दीवाली के लिए प्रयोग में लाए जाने वाली सामग्री जैसे दीपक भी इसी गोबर से तैयार किए जा रहे हैं.
इसकी खास बात यह है कि यह सामग्री मिट्टी की सामग्री की अपेक्षा बहुत हल्की और टिकाऊ भी साबित होगी. गाय के गोबर से कई तरह के घरेलू उपयोग की सामग्री का निर्माण किया जा रहा है. जो बाजार में मिलने वाली सामग्री से बहुत सस्ती होगी. यह नया प्रयोग है, यदि सफल रहा तो और महिलाओं को इस रोजगार से जोड़ा जा सकता है.
देसी गाय के गोबर से व्यावसाय का नया तरीका तलाशा
गोबर के दीये तैयार कर रहीं महिला सीता ठाकुर व सुनीला का कहना है कि गाय के गोबर से अब उपले ही नहीं बल्कि स्वरोजगार के माध्यम का तरीका मिला है. गोबर से दीपक, धूप, गमले, सहित अन्य वस्तुएं भी बनाए जाएंगे ताकि महिलाएं आर्थिक रूप से सक्षम हो सकें. उन्होंने बताया कि अभी दीपावली के पर्व को देखते हुए दीये ही तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन आगे चलकर इनसे धूप व गमले भी बनाए जाएंगे.
वहीं, उन्होंने बताया कि दीपक बनाने के लिए 70 प्रतिशत देसी गाय का गोबर, मुलतानी मिट्टी, चावल का आटा इसके लिए प्रयोग में लाया जाता है और इसके बाद दीपक के आकार के लिए एक डाय में डाल दिया जाता है. सूख जाने के बाद दीपक तैयार हो जाता है. इसके अतिरिक्त धूप बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की जड़ी बुटियां और 70 प्रतिशत देसी गाय के गोबर को धूप में प्रयोग किया जाता है.
बीडीओ कुल्लू डॉ. जयवंती ठाकुर का कहना है कि गोबर से धूप, दीपक, गमला बनाने से प्रमुख लाभ यह है कि यह टिकाऊ है. साथ ही पर्यावरण के अनुकूल हैं. प्लास्टिक-पॉलिथिन के गमले के स्थान पर इनका उपयोग किया जा सकता है. क्षतिग्रस्त गमले की खाद भी बन सकती है. इसके अलावा दीपावली के लिए गाय के गोबर से दीपक भी तैयार किए जा सकते हैं.
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