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ऐतिहासिक गांव मलाणा को फिर से स्थापित करे सरकार: धनीराम चौहान

पिछले कुछ दिनों पहले प्राचीन लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए दुनिया में मशहूर कुल्लू के मलाणा गांव में भीषण अग्निकांड में कई घर राख हो गए थे. ऐसे में अब पुजारी कल्याण संघ के अध्यक्ष धनीराम चौहान ने सरकार से गांव दोबारा स्थापित करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि यहां सिर्फ मकान राख नहीं हुए बल्कि यहां की धार्मिक धरोहर व पुरातन शैली भी धुंआ हो गई.

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Published : Nov 8, 2021, 3:18 PM IST

कुल्लू: धार्मिक, ऐतिहासिक एवं प्राचीन लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए दुनिया में मशहूर कुल्लू जिले के मलाणा गांव में एक बार फिर भीषण अग्निकांड चिंता का विषय है. इस बार मलाणा गांव में 16 मकान जलकर राख हुए हैं. जिससे यहां की पुरातन शैली भी समाप्त हो गई. यह बात पुजारी कल्याण संघ के अध्यक्ष धनीराम चौहान ने कही.

उन्होंने सरकार से मांग की है कि मलाणा गांव का स्वरूप बदला नहीं चाहिए इसलिए इस गांव को पुनः उसी शैली में स्थापित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यहां सिर्फ मकान राख नहीं हुए बल्कि यहां की धार्मिक धरोहर व पुरातन शैली भी धुंआ हो गई है. इससे पहले वर्ष 2008 में पहली बार मलाणा गांव भीषण अग्निकांड में तबाह हो गया था और इसमें 100 से अधिक घर, देवालय आदि सब जल गए थे. सिर्फ मलाणा का वह देव न्यायालय सुरक्षित बचा था जहां पर देवता जमदग्नि फैसले सुनाते हैं, लेकिन तत्कालीन सरकार ने मलाणा गांव को पुनः उसी शैली में स्थापित किया था.

उन्होंने कहा कि मलाणा गांव प्राचीनतम लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध है. आजादी से कई सौ साल पहले मलाणा गांव में देवता एवं ऋषि जमदग्नि ने यहां लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित की थी. यहां देवता का अपना कानून, अपनी व्यवस्था व अपना न्यायालय चलता है और इस व्यवस्था को भी कायम रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब से यहां की व्यवस्था पर हस्तक्षेप हुआ तब से मलाणा गांव में इस तरह की घटनाएं घट रही है. इतिहास गवाह है कि जमदग्नि ऋषि ने कभी भी अपने ऊपर दूसरों की सत्ता नहीं स्वीकारी है. यहां तक कि सम्राट अकबर भी देव ऋषि जमदग्नि के आगे नतमस्तक हुए थे इसलिए इस पुरातन व्यवस्था को बनाए रखना चाहिए.

ये भी पढ़ें: कैबिनेट का फैसला: हिमाचल में अब सभी बच्चे जाएंगे स्कूल, एक क्लिक पर पढ़ें सारी जानकारी

कुल्लू: धार्मिक, ऐतिहासिक एवं प्राचीन लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए दुनिया में मशहूर कुल्लू जिले के मलाणा गांव में एक बार फिर भीषण अग्निकांड चिंता का विषय है. इस बार मलाणा गांव में 16 मकान जलकर राख हुए हैं. जिससे यहां की पुरातन शैली भी समाप्त हो गई. यह बात पुजारी कल्याण संघ के अध्यक्ष धनीराम चौहान ने कही.

उन्होंने सरकार से मांग की है कि मलाणा गांव का स्वरूप बदला नहीं चाहिए इसलिए इस गांव को पुनः उसी शैली में स्थापित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यहां सिर्फ मकान राख नहीं हुए बल्कि यहां की धार्मिक धरोहर व पुरातन शैली भी धुंआ हो गई है. इससे पहले वर्ष 2008 में पहली बार मलाणा गांव भीषण अग्निकांड में तबाह हो गया था और इसमें 100 से अधिक घर, देवालय आदि सब जल गए थे. सिर्फ मलाणा का वह देव न्यायालय सुरक्षित बचा था जहां पर देवता जमदग्नि फैसले सुनाते हैं, लेकिन तत्कालीन सरकार ने मलाणा गांव को पुनः उसी शैली में स्थापित किया था.

उन्होंने कहा कि मलाणा गांव प्राचीनतम लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध है. आजादी से कई सौ साल पहले मलाणा गांव में देवता एवं ऋषि जमदग्नि ने यहां लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित की थी. यहां देवता का अपना कानून, अपनी व्यवस्था व अपना न्यायालय चलता है और इस व्यवस्था को भी कायम रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब से यहां की व्यवस्था पर हस्तक्षेप हुआ तब से मलाणा गांव में इस तरह की घटनाएं घट रही है. इतिहास गवाह है कि जमदग्नि ऋषि ने कभी भी अपने ऊपर दूसरों की सत्ता नहीं स्वीकारी है. यहां तक कि सम्राट अकबर भी देव ऋषि जमदग्नि के आगे नतमस्तक हुए थे इसलिए इस पुरातन व्यवस्था को बनाए रखना चाहिए.

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