कुल्लू: अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव शुक्रवार यानी 15 अक्टूबर से आरंभ हो रहा है. बुधवार को जिला कारदार संघ और देवी-देवताओं के लिए किए जाने वाले प्रबंधों को लेकर समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया. बैठक की अध्यक्षता उपायुक्त कुल्लू आशुतोष गर्ग ने की.
बैठक को संबोधित करते हुए उपायुक्त ने कहा कि पिछले कई वर्षों से जिले के देवी-देवताओं के बैठने के लिए ढालपुर मैदान में स्थल चिन्हित किए गए हैं और इसका बाकायदा नक्शा भी बनाया गया है. देवी-देवता ढालपुर मैदान में अपने चिन्हित स्थल पर ही बैठेंगे ताकि किसी प्रकार के विवाद से बचा जा सके.
आशुतोष गर्ग ने कहा कि इस बार भी मेलें में किसी भी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधियां नहीं होगी. उस स्थल को पूरी तरह से खाली रखा जाएगा और इसमें किसी भी प्रकार के अतिक्रमण की इजाजत नहीं होगी. ऐसे स्थलों को चिन्हित करने तथा बैरिकेडिंग करने के लिए एसडीएम की अध्यक्षता में एक समिति का भी गठन किया जिसमें कारदारों को भी शामिल किया गया है. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की जाएगी.
उपायुक्त ने कहा कि ढालपुर मैदान में स्वास्थ्य विभाग के काउंटर स्थापित किए जाएंगे. जहां लोगों को वैक्सीनेशन की सुविधा प्रदान की जाएगी. उन्होंने लोगों से अपील की है कि जिन्हें पहली डोज प्राप्त किए 84 दिन की अवधि पूरी हो चुकी है, वे तुरंत दूसरी डोज लगवा लें. तभी देवी-देवताओं के दर्शन के लिए ढालपुर मैदान में आ सकेंगे.
जिला कारदार संघ के महासचिव नारायण सिंह चौहान और जवाली महादेव के कारदार गोपाल महंत ने देवलुओं, पुजारियों व कारकूनों से आग्रह किया है कि वे दशहरा उत्सव में कोविड नियमों की अनुपालना करने में प्रशासन का सहयोग करें. जिन देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया गया है, वह अपने पूर्व चिन्हित स्थलों में बैठें और जो देवता पंजीकृत नहीं हैं और दशहरा में आ रहे हैं, वे अपना तिरपाल इत्यादि साथ लेकर आएंगे. उन्होंने यह भी आग्रह किया कि उपायुक्त कार्यालय परिसर में कोई भी देवता प्रवेश न करें. इससे जिला प्रशासन के साथ सौहार्द और अनुशासन बना रहेगा.
नारायण सिंह चौहान ने देवताओं से एक और आग्रह किया है कि जब भगवान रघुनाथ जी सुल्तानपुर अपने निवास स्थान से ढालपुर मैदान के लिए रवाना हो तो उस दौरान अन्य देवता श्री रघुनाथ जी के मंदिर की ओर ना जाएं. मार्ग तंग होने के कारण अनावश्यक भीड़-भाड़ और जाम की बड़ी समस्या हो जाती है. देवता रथ यात्रा के उपरांत अथवा दोपहर एक बजे से पहले श्री रघुनाथ जी के मंदिर के लिए जाएं तो इससे किसी प्रकार की असुविधा नहीं होगी.