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शादियों के सीजन में कैटरिंग बिजनेस पर पड़ी कोरोना की मार, सरकार से मदद की आस - corona cases in himachal

कोरोना महामारी के प्रभाव से कोई भी अछूता नहीं है, चाहे छोटे कारोबार से जुड़े लोग हों या बड़े कारोबार से, सब पर इसका असर देखने को मिल रहा है. हिमाचल में कैटरिंग कारोबार से जुड़े लोग भी इसकी चपेट में आ गये हैं. बुकिंग कैसिंल होने और कोरोना कर्फ्यू की वजह से इससे जुड़े लोग बेरोजगार होकर घरों में बैठे हैं.

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Published : Jun 5, 2021, 10:35 PM IST

कुल्लू: शादी समारोह का नाम सुनते ही लोगों के जहन में ढेर सारे लजीज व्यंजनों का नाम और उनका स्वाद गूंजने लगता है. पहाड़ी राज्यों में शादी या अन्य समारोह में परोसी जाने वाली धाम का जायका भी जगजाहिर है और इसका जायका बॉलीवुड के स्टार के अलावा कई राजनेता भी चख चुके हैं, लेकिन कोरोना संकट की वजह से धाम का जायका भी बेस्वाद हो गया है.

वहीं, स्वादिष्ट धाम बनाने वाले रसोइए और कैटरिंग का काम करने वाले भी कोरोना संकट में बेरोजगार हो गए हैं. हिमाचल प्रदेश में कोरोना संकट के चलते जहां कई व्यापारियों का कारोबार प्रभावित हुआ है, तो वहीं रसोइयों का कारोबार पटरी से उतर गया है. शादी ब्याह में 20 लोगों की अनुमति के चलते अब रसोइए भी अपने घरों में बेकाम बैठे हुए हैं.

सरकार ने जारी किए हैं ये निर्देश

कुल्लू जिले की अगर बात करें तो मई माह में यहां काफी संख्या में शादी समारोह जैसे आयोजन लोगों के द्वारा रखे गए थे, लेकिन कोरोना कर्फ्यू की गाइडलाइन के तहत मात्र 20 लोगों के साथ ही समारोह को पूरा करने के निर्देश हिमाचल प्रदेश सरकार के द्वारा दिए गए. जिसके चलते जिला कुल्लू के रसोइए भी अब अपने घरों में बेरोजगार बैठे हुए हैं. ऐसे में अब इस कारोबार से जुड़े रसोइए व अन्य कामगारों ने भी प्रदेश सरकार से उन्हें राहत देने की मांग रखी है.

वीडियो रिपोर्ट.

कुल्लू जिले के 1 हजार रसोइयों पर पड़ी कोरोना की मार

जिला कुल्लू में कैटरिंग व रसोइए के कारोबार से जुड़े करीब 1 हजार लोग हैं. वहीं, इन लोगों के साथ एक टीम मिलकर काम करती है. किसी एक शादी में अगर 1 हजार लोगों के भोजन की व्यवस्था करनी हो तो उसमें 7 रसोइए प्रमुख रूप से भोजन बनाने का काम करते है. वहीं, इसके अलावा 3 आदमी बर्तन व अन्य साफ-सफाई के लिए भी टीम में शामिल होते है. कोरोना कर्फ्यू के कारण 1 हजार रसोइयों के अलावा उनके साथ जुड़ें लोग भी इन दिनों बेरोजगारी की मार झेल रहे है.

कोरोना काल में कैंसिल हुई बुकिंग

जिला कुल्लू में कैटरिंग के कारोबार से जुड़े नरेश मिश्रा बताते हैं कि जनवरी से लेकर अप्रैल तक धार्मिक मान्यता के अनुसार अस्त चले हुए थे. जिस कारण कोई भी शुभ कार्य व अन्य समारोह पूरी तरह से बंद पड़े हुए थे. 20 अप्रैल के बाद जब सामाजिक समारोह शुरू हुए तो कोरोना का संकट आन पड़ा. मई माह में उनके पास शादी व अन्य धार्मिक आयोजनों को लेकर काफी बुकिंग थी, लेकिन कोरोना संकट के चलते उन्हें सारी बुकिंग को रद्द करना पड़ा. जिसका असर उनके अलावा उनके साथ जुड़े दर्जनों लोगों पर भी पड़ा है.

घरों में बेरोजगार बैठे हैं लोग

रसोइए का काम करने वाले दीपक भारद्वाज का कहना है कि रसोइए के साथ सात आठ अन्य युवक कार्य करते हैं जो सभी इसी कारोबार से अपनी गुजर-बसर करते हैं लेकिन कोरोना की बंदिशों के चलते सभी बेरोजगार बैठे हुए हैं. वही, वो लोग रसोइए के काम के अलावा कोई और काम भी नही जानते है. ऐसे में कोरोना का दौर उनके जीवन का बहुत बुरा दौर है.

महामारी के दौर में आम लोग भी परेशान

नव-विवाहित युवक गुंजन पाल का कहना है कि शादी को लेकर उनके मन में बहुत अरमान थे, लेकिन अंत में कोरोना की गाइडलाइन के अनुसार उन्हें बेहद कम लोगों में अपनी शादी की रस्में निभानी पड़ीं. गुंजन का कहना है कि उन्होंने अपनी शादी के लिए रसोइयों की टीम को एडवांस भी दिया था और पूरी तैयारियां की थी, लेकिन कोरोना संकट के बीच उनके सारे अरमान अधूरे रह गए.

सरकार से मदद की आस

गौर रहे कि जिला कुल्लू में अप्रैल माह के अंत व पूरे मई माह में धार्मिक शादी समारोह के आयोजन लोगों के द्वारा आयोजित किए गए, लेकिन 20 लोगों की अनुमति मिलने के चलते लोगों ने समारोह को बड़े सादे तरीके से मनाया है. जिसका असर कैटरिंग कारोबार से जुड़े लोगों पर नजर आ रहा है. ऐसे में इस कारोबार से जुड़ें लोगों ने सरकार से कुछ राहत देने की अपील की है, ताकि उनका परिवार का गुजारा हो सके.

ये भी पढ़ें: कोरोना कर्फ्यू में 65 फीसदी कम हुई चोरियां, मुस्तैदी से काम कर रही शिमला पुलिस

कुल्लू: शादी समारोह का नाम सुनते ही लोगों के जहन में ढेर सारे लजीज व्यंजनों का नाम और उनका स्वाद गूंजने लगता है. पहाड़ी राज्यों में शादी या अन्य समारोह में परोसी जाने वाली धाम का जायका भी जगजाहिर है और इसका जायका बॉलीवुड के स्टार के अलावा कई राजनेता भी चख चुके हैं, लेकिन कोरोना संकट की वजह से धाम का जायका भी बेस्वाद हो गया है.

वहीं, स्वादिष्ट धाम बनाने वाले रसोइए और कैटरिंग का काम करने वाले भी कोरोना संकट में बेरोजगार हो गए हैं. हिमाचल प्रदेश में कोरोना संकट के चलते जहां कई व्यापारियों का कारोबार प्रभावित हुआ है, तो वहीं रसोइयों का कारोबार पटरी से उतर गया है. शादी ब्याह में 20 लोगों की अनुमति के चलते अब रसोइए भी अपने घरों में बेकाम बैठे हुए हैं.

सरकार ने जारी किए हैं ये निर्देश

कुल्लू जिले की अगर बात करें तो मई माह में यहां काफी संख्या में शादी समारोह जैसे आयोजन लोगों के द्वारा रखे गए थे, लेकिन कोरोना कर्फ्यू की गाइडलाइन के तहत मात्र 20 लोगों के साथ ही समारोह को पूरा करने के निर्देश हिमाचल प्रदेश सरकार के द्वारा दिए गए. जिसके चलते जिला कुल्लू के रसोइए भी अब अपने घरों में बेरोजगार बैठे हुए हैं. ऐसे में अब इस कारोबार से जुड़े रसोइए व अन्य कामगारों ने भी प्रदेश सरकार से उन्हें राहत देने की मांग रखी है.

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कुल्लू जिले के 1 हजार रसोइयों पर पड़ी कोरोना की मार

जिला कुल्लू में कैटरिंग व रसोइए के कारोबार से जुड़े करीब 1 हजार लोग हैं. वहीं, इन लोगों के साथ एक टीम मिलकर काम करती है. किसी एक शादी में अगर 1 हजार लोगों के भोजन की व्यवस्था करनी हो तो उसमें 7 रसोइए प्रमुख रूप से भोजन बनाने का काम करते है. वहीं, इसके अलावा 3 आदमी बर्तन व अन्य साफ-सफाई के लिए भी टीम में शामिल होते है. कोरोना कर्फ्यू के कारण 1 हजार रसोइयों के अलावा उनके साथ जुड़ें लोग भी इन दिनों बेरोजगारी की मार झेल रहे है.

कोरोना काल में कैंसिल हुई बुकिंग

जिला कुल्लू में कैटरिंग के कारोबार से जुड़े नरेश मिश्रा बताते हैं कि जनवरी से लेकर अप्रैल तक धार्मिक मान्यता के अनुसार अस्त चले हुए थे. जिस कारण कोई भी शुभ कार्य व अन्य समारोह पूरी तरह से बंद पड़े हुए थे. 20 अप्रैल के बाद जब सामाजिक समारोह शुरू हुए तो कोरोना का संकट आन पड़ा. मई माह में उनके पास शादी व अन्य धार्मिक आयोजनों को लेकर काफी बुकिंग थी, लेकिन कोरोना संकट के चलते उन्हें सारी बुकिंग को रद्द करना पड़ा. जिसका असर उनके अलावा उनके साथ जुड़े दर्जनों लोगों पर भी पड़ा है.

घरों में बेरोजगार बैठे हैं लोग

रसोइए का काम करने वाले दीपक भारद्वाज का कहना है कि रसोइए के साथ सात आठ अन्य युवक कार्य करते हैं जो सभी इसी कारोबार से अपनी गुजर-बसर करते हैं लेकिन कोरोना की बंदिशों के चलते सभी बेरोजगार बैठे हुए हैं. वही, वो लोग रसोइए के काम के अलावा कोई और काम भी नही जानते है. ऐसे में कोरोना का दौर उनके जीवन का बहुत बुरा दौर है.

महामारी के दौर में आम लोग भी परेशान

नव-विवाहित युवक गुंजन पाल का कहना है कि शादी को लेकर उनके मन में बहुत अरमान थे, लेकिन अंत में कोरोना की गाइडलाइन के अनुसार उन्हें बेहद कम लोगों में अपनी शादी की रस्में निभानी पड़ीं. गुंजन का कहना है कि उन्होंने अपनी शादी के लिए रसोइयों की टीम को एडवांस भी दिया था और पूरी तैयारियां की थी, लेकिन कोरोना संकट के बीच उनके सारे अरमान अधूरे रह गए.

सरकार से मदद की आस

गौर रहे कि जिला कुल्लू में अप्रैल माह के अंत व पूरे मई माह में धार्मिक शादी समारोह के आयोजन लोगों के द्वारा आयोजित किए गए, लेकिन 20 लोगों की अनुमति मिलने के चलते लोगों ने समारोह को बड़े सादे तरीके से मनाया है. जिसका असर कैटरिंग कारोबार से जुड़े लोगों पर नजर आ रहा है. ऐसे में इस कारोबार से जुड़ें लोगों ने सरकार से कुछ राहत देने की अपील की है, ताकि उनका परिवार का गुजारा हो सके.

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