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इस 'धरती पुत्र' को दुनिया समझती रही 'पागल', देशसेवा के बाद अपने गांव को बनाया टूरिज्म हब

जिला कुल्लू का जीभी गांव एक व्यक्ति की दृढ़शक्ति से टूरिज्म का हब बनता जा रहा है. जीभी गांव के रहने वाले भगवान सिंह राणा ने एक कवायद शुरू की.

bhagwant rana made jibhi village a tourism hub
भगवान सिंह राणा
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Published : Feb 12, 2020, 7:02 PM IST

कुल्लू: हिमाचल की वन संपदा प्रकृति का वो अनमोल तोहफा है जिसे करीब से देखने और यहां रहने की चाह लिए लोग खींचे चले आते हैं. ये दुर्भाग्य ही रहा है कि इस अनमोल खजाने का सही इस्तेमाल करके राज्य सरकार कभी अपने खजाने को नहीं भर पाई.

लेकिन इस अनमोल खजाने को बचाने के लिए जिला कुल्लू के जीभी गांव के रहने वाले भगवान सिंह राणा ने एक कवायद शुरू की जिन्होंने पहले तो जीजान से देश की सेवा की और अब उम्र के अपने ढलते पड़ाव में पर्यावरण को बचाने में जुट गए हैं. दरअसल साल 1992 में सेना की नौकरी छोड़ने के बाद जब भगवान सिंह राणा वापस अपने गांव जीभी आए तो यहां की सुंदरता को पूरी दुनिया में उभारने के लिए उन्होंने इको टूरिज्म की शुरुआत की.

वीडियो

हालांकि उनकी इस कोशिश को देखकर पहले गांव के लोग उन्हें पागल समझते थे, लेकिन धीरे-धीरे जब जीभी गांव के सौंदर्य को देखने के लिए टूरिस्ट यहां पहुंचने लगे और यहां के लोगों के लिए रोजगार के दरवाजे खुले तो लोगों ने भी उनका सहयोग देना शुरू कर दिया.

ये भी पढ़ें: सफाई कर्मचारियों पर गिरी चिंतपूर्णी मंदिर आयुक्त की गाज, सभी सेवाएं की रद्द

आपको बता दें कि भगवान सिंह राणा ने जीभी खड्ड में बनने वाले हाइड्रो प्रोजेक्ट के खिलाफ भी लंबी लड़ाई लड़ी जिसमें आखिर में नतीजा उनके पक्ष में आया. इस पर भी उन्होंने क्या कहा चलिए वो भी आपको सुनाते हैं.

जहां कुछ सालों पहले तक जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार में बसे जीभी गांव को कोई जानता नहीं था वहीं इस गांव के एक व्यक्ति की दृढ़शक्ति से ये टूरिज्म का हब बनता जा रहा है. भगवंत सिंह राणा की कोशिशों से आज पूरे गांव में इको टूरिज्म पॉलिसी के तहत छोटे-छोटे गेस्ट हाउस और कॉटेज का निर्माण किया जा रहा है तो वहीं गांव की सुंदरता को बचाए रखने के लिए भी इनकी कोशिश सराहनीय है.

कुल्लू: हिमाचल की वन संपदा प्रकृति का वो अनमोल तोहफा है जिसे करीब से देखने और यहां रहने की चाह लिए लोग खींचे चले आते हैं. ये दुर्भाग्य ही रहा है कि इस अनमोल खजाने का सही इस्तेमाल करके राज्य सरकार कभी अपने खजाने को नहीं भर पाई.

लेकिन इस अनमोल खजाने को बचाने के लिए जिला कुल्लू के जीभी गांव के रहने वाले भगवान सिंह राणा ने एक कवायद शुरू की जिन्होंने पहले तो जीजान से देश की सेवा की और अब उम्र के अपने ढलते पड़ाव में पर्यावरण को बचाने में जुट गए हैं. दरअसल साल 1992 में सेना की नौकरी छोड़ने के बाद जब भगवान सिंह राणा वापस अपने गांव जीभी आए तो यहां की सुंदरता को पूरी दुनिया में उभारने के लिए उन्होंने इको टूरिज्म की शुरुआत की.

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हालांकि उनकी इस कोशिश को देखकर पहले गांव के लोग उन्हें पागल समझते थे, लेकिन धीरे-धीरे जब जीभी गांव के सौंदर्य को देखने के लिए टूरिस्ट यहां पहुंचने लगे और यहां के लोगों के लिए रोजगार के दरवाजे खुले तो लोगों ने भी उनका सहयोग देना शुरू कर दिया.

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आपको बता दें कि भगवान सिंह राणा ने जीभी खड्ड में बनने वाले हाइड्रो प्रोजेक्ट के खिलाफ भी लंबी लड़ाई लड़ी जिसमें आखिर में नतीजा उनके पक्ष में आया. इस पर भी उन्होंने क्या कहा चलिए वो भी आपको सुनाते हैं.

जहां कुछ सालों पहले तक जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार में बसे जीभी गांव को कोई जानता नहीं था वहीं इस गांव के एक व्यक्ति की दृढ़शक्ति से ये टूरिज्म का हब बनता जा रहा है. भगवंत सिंह राणा की कोशिशों से आज पूरे गांव में इको टूरिज्म पॉलिसी के तहत छोटे-छोटे गेस्ट हाउस और कॉटेज का निर्माण किया जा रहा है तो वहीं गांव की सुंदरता को बचाए रखने के लिए भी इनकी कोशिश सराहनीय है.

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