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हिमाचल में भेड़ पालकों को मिलेंगी ऑस्ट्रेलियाई नस्ल की भेड़ें, ऊन की गुणवत्ता भी बढ़ेगी - गड़सा

उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय केंद्र केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान गड़सा में भेड़ पालक किसानों के लिए एक दिन के जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. प्रदेश सरकार के ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए समझौते की भी भेड़ पालक किसानों को जानकारी दी गई.

Awareness programme for sheep farmers
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Published : Aug 21, 2019, 2:15 PM IST

कुल्लू: उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय केंद्र केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान गड़सा में भेड़ पालकों के लिए एक दिवसीय जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में किसानों को सरकारी योजनाओं से अवगत करवाते हुए सरकार की ओर से दिए जा रहे लाभों की विस्तार से जानकारी दी गई.

वहीं, आने वाले कुछ समय में ऑस्ट्रेलिया सरकार के साथ हिमाचल सरकार के हुए समझौते के बारे में भी किसानों को बताया गया. बता दें कि समझौते के अनुसार प्रदेश सरकार ऑस्ट्रेलिया से करीब 240 भेड़ें जिन में 200 फिमेल भेड़ें होंगी और 40 नर जाति के भेड़ कुल्लू के नंगवाई स्थित सेंटर में लाई जाएंगी.

गौर रहे कि ऑस्ट्रेलिया सरकार के साथ हुए विभाग के समझौते के अनुसार यह प्रोजेक्ट 5 करोड़ 72 लाख का है. इस योजना के तहत जिला कुल्लू के किसानों को आने वाले समय में काफी अधिक लाभ मिलने वाला है. स्थानीय बीडर को विभाग इन भेड़ों को देगा जिनकी कीमत 2 लाख 40 हजार तक रहेगी.

वीडियो

बता दें कि वर्तमान में जो प्रदेश की भेड़ें हैं उनसे पांच सौ ग्राम से लेकर 1 किलो ऊन ही निकल पाता है. संस्थान के प्रभारी ओम हरी चतुर्वेदी ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया से आने वाली इन भेड़ों से जो नस्ल तैयार होगी उससे ऊन की गुणवत्ता बढ़ेगी.

वहीं, शिविर में सैकड़ों किसानों को किसान किट भी वितरित किए गए. प्रभारी ओम हरी चतुर्वेदी ने कहा कि उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेश, उतराखंड, जम्मू-कश्मीर राज्यों में पतली ऊन पैदा कर सकते हैं. यहां पर गद्दी व रामपुर बुशहर में भेड़ों की प्रजाति मशीनों को क्रॉस करके सिंथेटिक शिप को तैयार कर विश्व स्तरीय भेड़ ऊन तैयार किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि किसानों को भेड़ पालन और खरगोश पालन योजना के तहत विभिन्न प्रकार की जानकारियां दी जा रही है.

कुल्लू: उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय केंद्र केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान गड़सा में भेड़ पालकों के लिए एक दिवसीय जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में किसानों को सरकारी योजनाओं से अवगत करवाते हुए सरकार की ओर से दिए जा रहे लाभों की विस्तार से जानकारी दी गई.

वहीं, आने वाले कुछ समय में ऑस्ट्रेलिया सरकार के साथ हिमाचल सरकार के हुए समझौते के बारे में भी किसानों को बताया गया. बता दें कि समझौते के अनुसार प्रदेश सरकार ऑस्ट्रेलिया से करीब 240 भेड़ें जिन में 200 फिमेल भेड़ें होंगी और 40 नर जाति के भेड़ कुल्लू के नंगवाई स्थित सेंटर में लाई जाएंगी.

गौर रहे कि ऑस्ट्रेलिया सरकार के साथ हुए विभाग के समझौते के अनुसार यह प्रोजेक्ट 5 करोड़ 72 लाख का है. इस योजना के तहत जिला कुल्लू के किसानों को आने वाले समय में काफी अधिक लाभ मिलने वाला है. स्थानीय बीडर को विभाग इन भेड़ों को देगा जिनकी कीमत 2 लाख 40 हजार तक रहेगी.

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बता दें कि वर्तमान में जो प्रदेश की भेड़ें हैं उनसे पांच सौ ग्राम से लेकर 1 किलो ऊन ही निकल पाता है. संस्थान के प्रभारी ओम हरी चतुर्वेदी ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया से आने वाली इन भेड़ों से जो नस्ल तैयार होगी उससे ऊन की गुणवत्ता बढ़ेगी.

वहीं, शिविर में सैकड़ों किसानों को किसान किट भी वितरित किए गए. प्रभारी ओम हरी चतुर्वेदी ने कहा कि उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेश, उतराखंड, जम्मू-कश्मीर राज्यों में पतली ऊन पैदा कर सकते हैं. यहां पर गद्दी व रामपुर बुशहर में भेड़ों की प्रजाति मशीनों को क्रॉस करके सिंथेटिक शिप को तैयार कर विश्व स्तरीय भेड़ ऊन तैयार किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि किसानों को भेड़ पालन और खरगोश पालन योजना के तहत विभिन्न प्रकार की जानकारियां दी जा रही है.

Intro:कुल्लू
भेड़ों की ऊन की गुणवत्ता बढाने को लेकर शिविर में हुई चर्चा
भेड़ पालकों को जल्द मिलेगा
हिमाचल सरकार ने लिया आवंटन योजना के लोन पर हस्ताक्षर Body:

उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय केंद्र केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान गड़सा में एक दिवसीय भेड़ पालक किसानों के लिए शिविर का आयोजन विभाग की ओर से किया गया। जहां पर किसानों को सरकारी योजनाओं से अवगत करवाते हुए सरकार की ओर से दिए जा रहे लाभों की विस्तार से जानकारी दी गई। वहीं, आने वाले कुछ समय में आस्ट्रेलिया सरकार के साथ हिमाचल सरकार के हुए समझौते तो लेकर भी किसानों को अवगत करवाया गया कि किस तरह से आने वाले समय में आस्ट्रेलिया से करीब 240 भेड़ें कुल्लू के नंगवाई स्थित सेंटर में लाई जाएंगी। जहां पर 200 सौ फिमेल भेड़ेें होगी और 40 नर जाति के। इन भेड़ों को यहां पर पाला जाएगा और साथ में स्थानीय किसानों को भी इनकी नस्ल तैयार होने के बाद दी जाएगी, ताकि अच्छी किस्म की ऊन की पैदावार भी जिला कुल्लू के पेड़ पालक कर सके। गौर रहे कि आस्टैलिया सरकार के साथ हुए विभाग के समझौते के अनुसार यह प्रोजेक्ट 5 करोड़ 72 लाख की है। इस योजना के तहत जिला कुल्लू के किसानों को आने वाले समय में काफी अधिक लाभ मिलने वाला है। क्योंकि स्थानीय बीडर को विभाग की और से इन भेड़ों को दिया जाएगा। एक भेड़ की कीमत 2 लाख 40 हजार और 2 लाख तक रहेगी। संस्थान के प्रभारी ओम हरी चतुर्वेदी ने बताया कि आस्टे्रलिया से आने वाली इन भेड़ों से जो नस्ल यहां तैयार होगी। उससे ऊन की गुणवता भी बढ़ेगी। क्योंकि वर्तमान में जो भेड़े यहां की है उनसे ऊन महज 5 सौ ग्राम से लेकर 1 किलो तक ही निकल पाता है। ऐसे में बाहरी नस्ल की भेड़ों से ऊन में बढ़ौतरी के साथ साथ अन्य कई लाभ मिलेंगे। वहीं, शिविर में सैंकड़ो किसानों को किसान किट भी वितरित किए गए। उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय केंद्र केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान गड़सा के प्रभारी ओम हरी चतुर्वेदी ने बताया कि उत्तरी शातोष्ण क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेश, उतराखंड, जम्मू-कश्मीर राज्यों में पतली ऊन पैदा कर सकते है। Conclusion:जिससे प्रदेश में दो प्रजाति की भेड़ पाई जाती है। यहां पर गददी व रामपुर बशैहरी में से गददी की प्रजाति मशीनों को क्रॉस करके सिथेंटिक शिप को तैयार कर विश्व स्तरीय भेंड ऊन के हिसाब से है। उन्होंने कहा कि किसानों को भेड़ पालन और खरगोश पालन योजना के तहत विभिन्न प्रकार की जानकारियां दी जा रही है।
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