हमीरपुर: शिक्षक दिवस का मौका हम सबके लिए खास होता है. 5 सितंबर का दिन एक ऐसा दिन होता है जब हम अपने शिक्षकों के द्वारा किए गए मार्गदर्शन और ज्ञान के बदले हम उन्हें श्रद्धा से याद करते हैं. इस मौके पर लोग अपने शिक्षकों को फोन करते हैं, उनसे मिलने जाते हैं या सोशल मीडिया पर उनकी यादगार तस्वीर साझा करते हैं.
एक शिक्षक ही जिंदगी का सबसे बेहतर आदर्श हो सकता है. ऐसे कई उदाहरण हमें देखने को मिलेंगे जहां पर शिक्षकों की बदौलत विद्यार्थियों ने बड़े बड़े मुकाम हासिल किए हैं. शिक्षक दिवस पर हम बात करेंगे हमीरपुर जिला के उस शिक्षक की जिनके छात्र आज देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जिला और प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं. कोरोना संकटकाल में मेडिकल इमरजेंसी है, इमरजेंसी में सेवानिवृत्त शिक्षक बीडी शर्मा के छात्र डॉ. अरुण शर्मा ने ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया.
इस मुकाम पर पहुंच कर भी अरुण शर्मा देश की मिट्टी से प्यार को नहीं भूले हैं. विदेशों में सेवाएं देने की बजाय प्रदेश में ही सेवाएं दे रहे है. वह शिक्षक बीडी शर्मा को अपना आदर्श मानते हैं. वहीं, सेवानिवृत्त प्रिंसिपल बीडी शर्मा का कहना है कि अरुण एक आदर्श छात्र थे और आज उनकी इस सफलता से वह बेहद खुश हैं. कुछ समय से बात नहीं हो पाई है लेकिन जब हमीरपुर में होते थे तो बातचीत होती रहती थी.
शिक्षक बीडी शर्मा वर्ष 1995 में बतौर प्रधानाचार्य सेवानिवृत्त हुए लगभग 85 वर्ष की उम्र में आज भी उनके शिष्य उन्हें फोन कर याद करते हैं. शिक्षक दिवस पर अपने विद्यार्थियों को याद करते हुए वह भावुक हो उठे. हिमाचल के बेटे डॉ. अरुण शर्मा समूचे भारत में चिकित्सा क्षेत्र की रेडियोलॉजी फील्ड में सबसे ऊंचा मुकाम हासिल किया है.
कार्डियो वस्कुलर रेडियोलॉजी एंड एंडोवस्कुलर इन्टरवेंशन (सीवीआर एंड ईआई) में सुपर स्पेशेलाइजेशन यानी डीएम डिग्री पाने वाले डॉ. अरुण शर्मा देश के पहले डॉक्टर हैं. महज 38 साल की आयु में ये प्रतिष्ठित सुपर स्पेशेलाइजेशन डिग्री करने वाले डॉ. अरुण शर्मा हिमाचल के बिलासपुर जिला से हैं. उनकी सुनहरी सफलताओं की लिस्ट में ये नई कड़ी है. इससे पहले वे पीजीआई चंडीगढ़ से रेडियोलॉजी में एमडी कर चुके हैं.
छह साल एम्स दिल्ली में सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर के तौर पर सेवाएं देने वाले डॉ. अरुण शर्मा अब कार्डियो वस्कुलर रेडियोलॉजी एंड एंडोवस्कुलर इन्टरवेंशन में डीएम डिग्री धारक भी हो गए हैं. सेवानिवृत्त प्रिंसिपल बीडी शर्मा कहते हैं कि जब परीक्षा में अरुण के उत्तर पुस्तिका को वह चेक करते थे तो उस में गलती ढूंढना मुश्किल हो जाता था.
सेवानिवृत्त शिक्षक बीडी शर्मा कहते हैं कि एक शिक्षक की पूंजी उसके विद्यार्थी ही होते हैं जब वह बड़ा मुकाम हासिल करते हैं तो दिल को संतोष मिलता है. डॉ. अरुण एक आदर्श छात्र रहे. उनके कार्य में गलती ढूंढना हर शिक्षक के लिए चुनौती था. वहीं, उन्होंने राज्य एवं राष्ट्रीय स्तरीय अवार्ड दिए जाने की प्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं.
बीडी शर्मा का मानना है कि सरकार को इस योजना के तहत सम्मान दिए जाने वाली प्रक्रिया में बदलाव करने की जरूरत है. एक शिक्षक को सम्मान के लिए आवेदन करने की जरूरत नहीं है. शिक्षक यदि छात्र की कसौटी पर खड़ा उतरता है तो वहीं सबसे बड़ा सम्मान है और छात्र ही सबसे बेहतर यह बता सकते हैं कि कौन सा शिक्षक इस सम्मान के काबिल है.
डॉ. अरुण शर्मा के सफलता के पैमाने की बात की जाए तो आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में ये डीएम डिग्री का कोर्स वर्ष 2016 में शुरू किया. उस समय देश के तमाम डॉक्टर्स में डॉ. अरुण शर्मा ने इस डिग्री के लिए क्वालीफाई किया था. इससे पहले ये डिग्री अमेरिका, ब्रिटेन व अन्य विकसित देशों में ही होती थी.
कार्डियो वस्कुलर रेडियोलॉजी एंड एंडोवस्कुलर इन्टरवेंशन की डीएम डिग्री वाले डॉक्टर अब भारत में भी हैं और उनमें पहला नाम हिमाचल के बेटे डॉ. अरुण शर्मा का है. डॉ. अरुण शर्मा ने शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज से वर्ष 2005 में एमबीबीएस की डिग्री हासिल की थी. उसके बाद उन्होंने कुछ समय के लिए स्वास्थ्य संस्थानों में सेवाएं दी और फिर वर्ष 2009 में पीजीआई चंडीगढ़ में रेडियोलॉजी विभाग में एमडी डिग्री के लिए परीक्षा पास की.
उल्लेखनीय है कि पीजीआई के लिए ऑल इंडिया एंट्रेस परीक्षा में भी देश के सेकेंड टॉपर थे. पीजीआई चंडीगढ़ से एमडी की डिग्री पूरी करने के साथ ही वे पीजीआई के रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट के बेस्ट परफार्मर भी रहे. उसके बाद डॉ. अरुण शर्मा हिमाचल वापिस आए, लेकिन जल्द ही एक बड़ी सफलता उनका इंतजार कर रही थी. डॉ. अरुण शर्मा एम्स दिल्ली पहुंचे और छह साल तक रेडियोलॉजी विभाग में सेवाएं दी.
इसी बीच, एम्स में कार्डियो वस्कुलर रेडियोलॉजी एंड एंडोवस्कुलर इन्टरवेंशन में डीएम यानी सुपर स्पेशेलाइजेशन कोर्स शुरू करने का फैसला हुआ. डॉ. अरुण ने परीक्षा दी और देश भर में वे अकेले उस डिग्री के लिए चुने गए. डॉ. अरुण शर्मा के अनुसार हिमाचल के युवाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है लेकिन उन्हें उचित मंच मिलना चाहिए. डॉ. अरुण शर्मा को देश और विदेश के कई निजी संस्थानों से बेहद ऊंची सेलेरी पर नौकरी के प्रस्ताव हैं, लेकिन वे भारत में ही रहकर अपने देश के मरीजों की सेवा करना चाहते हैं.
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