हमीरपुरः कोरोना संकट के चलते पटरी से उतरा निजी बस ऑपरेटरों का कारोबार अब तक रफ्तार नहीं पकड़ पाया है. अनलॉक के बाद भले ही प्रदेश में चहल-पहल लौटने लगी है लेकिन इसके बाद भी निजी बस ऑपरेटर्स कोरोना की मार से उबर नहीं पा रहे हैं.
हालात ऐसे हैं कि इस पेशे से जुड़े सैकड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं और बस के मालिकों हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही हैं. बस ऑपरेटरों की आमदनी अट्ठन्नी है और खर्चा रुपइया हो रहा है. ऐसे में ट्रांसपोटर्स के हाथ खड़े हो चुके हैं. कई कर्मचारियों को नाममात्र का वेतन मिला रहा है और कई तो इंश्योरेंस की किस्त तक नहीं जमा करवा पा रहे हैं.
'नहीं मिल रहा पूरा वेतन'
परिचालक का सुभाष ने बताया कि पांच महीने बाद काम पर लौटे हैं लेकिन अब नाममात्र ही वेतन मिल रहा है. निजी बस ऑपरेटर्स राकेश कुमार ने कहा कि उनके ट्रांसपोर्ट में 11 बसें हैं लेकिन 4 बसें ही चल पाई हैं. 30 कर्मचारियों से 8 कर्मचारी ही काम पर लौटे हैं और अन्य लोगों का रोजगार छिन गया है. हालात ऐसे हैं कि बस का खर्च भी पूरा नहीं हो पा रहा है.
सड़कों पर दौड़ रही आधी बसें
निजी बस के परिचालक कुलदीप चंद ने बताया कि उनकी ट्रांसपोर्ट में 100 से अधिक कर्मचारी थे. 40 बसें उनके ट्रांसपोर्ट के चलती है, लेकिन अब 8 से 10 बसें ही चल रही हैं और अन्य कर्मचारी घर पर ही हैं. वह दिहाड़ी-मजदूरी लगाकर गुजारा कर रहे हैं.
टैक्स में छूट की उठाई मांग
निजी बस ऑपरेटर यूनियन हमीरपुर के पूर्व वरिष्ठ उपप्रधान बलबीर ठाकुर ने कहा कि बसों के पेट्रोल-डीजल का खर्च तक पूरा नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि उनकी 12 बसें हैं, लेकिन वह पांच ही बसें चला रहे हैं. सरकार की तरफ से टैक्स की मांग को अभी तक पूरा नहीं किया गया है. इस वजह से हालत और भी खराब हैं. पंजाब में निजी बस ऑपरेटरों की मांग को सरकार ने पूरा कर दिया है, लेकिन हिमाचल में अभी तक यह मांग पूरी नहीं हो पाई है.
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बता दें कि लंबे समय से निजी बस ऑपरेटर्स हिमाचल भर में टैक्स माफी की मांग प्रदेश सरकार से उठा रहे हैं. 31 दिसंबर 2021 तक टैक्स माफी की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक सरकार की तरफ से इसे लेकर कोई बयान जारी नहीं किया गया है जिस कारण निजी बसों के ऑपरेटरों में खासा रोष है.
कारोबार के पटरी पर लौटने की उम्मीद
कोरोना के चलते बसा बसाया व्यवसाय उजड़ गया है. कभी बस के हॉर्न और कंडक्टर की आवाजों से गूंजने वाला बस अड्डा हमीरपुर अब शांत रहता है. ड्राइविंग सीखा कर परिवार का पेट पालने वाले आज बेरोजगार हो गए हैं. वहीं, निजी बस ऑपरेटर्स को अभी भी उम्मीद है कि एक बार फिर जल्द कारोबार पटरी पर लौटेगा.
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